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संभल कब्रिस्तान विवाद : HC का हस्तक्षेप से इंकार, याचिकाकर्ताओं को राजस्व टीम के सामने पेश होने का आदेश

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया प्रशासन का आदेश केवल सर्वे प्लॉट नंबर 32/2 (क्षेत्रफल 0.478 हेक्टेयर) के माप और सीमांकन का प्रावधान करता है. इसलिए, कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए असीम खान और अन्य याचिकाकर्ताओं को यह छूट दी है कि वे एसडीएम, संभल द्वारा गठित राजस्व (रेवेन्यू) टीम के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखें.

संभल कब्रिस्तान विवाद : HC का हस्तक्षेप से इंकार, याचिकाकर्ताओं को राजस्व टीम के सामने पेश होने का आदेश

उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद से सटे करीब आठ बीघा कब्रिस्तान की जमीन पर अवैध कब्जे और पैमाइश के विवाद ने अब कानूनी रूप ले लिया है. इस मामले में 17 याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रशासन के पैमाइश आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्पेशल वेकेशन बेंच ने बुधवार को 'अर्जेंट बेसिस' पर सुनवाई की. जस्टिस राजीव मिश्रा और जस्टिस सत्यवीर सिंह की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से साफ इंकार कर दिया और स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोर्ट तथ्यों के ऐसे विवादित सवालों में नहीं जा सकता.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रथम दृष्टया प्रशासन का आदेश केवल सर्वे प्लॉट नंबर 32/2 (क्षेत्रफल 0.478 हेक्टेयर) के माप और सीमांकन का प्रावधान करता है. इसलिए, कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए असीम खान और अन्य याचिकाकर्ताओं को यह छूट दी है कि वे एसडीएम, संभल द्वारा गठित राजस्व (रेवेन्यू) टीम के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखें, ताकि पैमाइश की कार्यवाही के समय उनकी बात सुनी जा सके.

मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार, कल्कि सेना के सुभाष चंद्र त्यागी ने 12 दिसंबर 2025 को गाटा संख्या 32 पर अतिक्रमण की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर उप जिलाधिकारी ने राजस्व अधिकारियों को सर्वे के निर्देश दिए. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वे यहाँ दशकों से रह रहे हैं और प्रशासन की यह कार्रवाई भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यह केवल उस हिस्से (32/2) को लक्षित कर रही है जहाँ मुस्लिम परिवार रहते हैं. उन्होंने राजस्व मानचित्रों में उप-विभाजन न होने और मुगल काल से भूमि के 'कब्रिस्तान' के रूप में दर्ज होने का तर्क भी दिया.

दूसरी ओर, सरकार की तरफ से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल मनोज कुमार सिंह ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति जताते हुए कहा कि चूंकि भूमि राजस्व अभिलेखों में 'कब्रिस्तान' के रूप में दर्ज है, इसलिए सर्वे और सीमांकन की प्रक्रिया में कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए. वर्तमान में, जिला प्रशासन ने जिलाधिकारी के आदेश पर करीब 8 बीघा जमीन की नापजोख पूरी कर कई मकानों और दुकानों को चिन्हित किया है, जिनकी वैधता की जांच अब राजस्व टीम के समक्ष सुनवाई के बाद स्पष्ट होगी.

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