सीजफायर बढ़ना चाहिए या नहीं? जानें क्या है गाजा और इजरायल के लोगों की राय

गाजा के लोग सीजफायर (Israel Gaza Ceasefire) चाहते हैं तो वहीं इजरायल में इसे लोकर आमराय नहीं है. इजरायल के कुछ लोग चाहते हैं कि सीजफायर लंबा चले, ताकि बंधक हमास की कैद से छूट सकें, तो कई लोगों को लगता है कि इससे हमास को फायदा होगा.

खास बातें

  • गाजा में दो और और बढ़ा सीजफायर
  • गाजा के लोग चाहते हैं कि सीजफायर लंबा चले
  • सीजफायर पर इजरायल के लोगों में नहीं है एकराय
नई दिल्ली:

इजरायल और गाजा के बीच चार दिन तक चले संघर्ष विराम (Israel Gaza Ceasefire) के बाद इसे दो दिन और बढ़ा दिया है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक इजरायल के हमलों से परेशान गाजा के लोग चाहते हैं कि सीजफायर को और बढ़ा दिया जाए. लेकिन इस मामले पर इजरायल के लोगों के बीच आमसहमति नहीं है. इजरायली सीजफायर बढ़ाए जाने पर बंटे हुए हैं. इजरायल के कई लोग चाहते हैं कि सीजफायर बढ़े, जिससे हमास के चंगुल से छूटकर उनके अपने घर वापस लौट सकें, लेकिन वहीं कई लोग हमास की मांगें माने जाने को लेकर चिंतित दिखे.

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सीजफायर को लंबा खींचने पर जोर

इजरायल और गाजा के बीच चार दिन की सीजफायर डील का सोमवार को चौथा और अंतिम दिन था, हालांकि मिस्र, कतर और अमेरिका ने मिलकर इसे दो दिन और बढ़वा दिया. इन देशों के वार्ताकारों की कोशिशों का ही फल है कि हमास और इज़रायल इसे दो दिन और खींचने पर सहमत हो गए. ये देश चाहते हैं कि सीजफायर को लंबा खींचा जाए.

बता दें कि दक्षिणी गाजा के खान यूनिस शहर में, जहां उत्तर से विस्थापित हुए हजारों शरणार्थियों की भारी भीड़ को संयुक्त राष्ट्र डिपो में आटे की बोरियां बांटी गईं. गाजा की रहने वाली सबरीन अल-नजर ने कहा कि अपने बच्चों को खाना खिलाने के लिए आटा पाने के लिए उसे कई घंटों तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन उसे जो राशन दिया गया था वह मुश्किल से दो या तीन दिनों तक ही चल सकता है. 

गाजा के लोग चाहते हैं, सीजफायर लंबा चले

परेशान महिला ने अरब देशों से गाजा की मदद करने का आह्वान करते हुए कहा, "हम अपने घर वापस जाना चाहते हैं. हम बिल्कुल भी युद्ध नहीं चाहते. ऊपरवाले ने चाहा तो सीजफायर को बढ़ाया जाएगा." वहीं अल-नजर ने कहा कि उनके परिवार के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन या साफ पानी नहीं था, और जब बारिश हुई तो वह आश्रय गृहों में पूरी तरह भीग गए. वहीं अन्य विस्थापित लोग, जो ठंड और बारिश के साथ ही खाना, बिजली जैसे बुनियादी चीजों की कमी से जूझ रहे हैं, वह घर वापस लौटने की लालसा के बीच सीजफायर जारी रहने के पक्षघर हैं.

व्हीलचेयर पर बैठे एक जुमा अल-अराज नाम के एक शख्स ने कहा, "यह चार दिन का सीजफायर क्या है? यह बहुत अनुचित है, हमारे साथ क्या किया गया है. हम केवल चार दिनों में क्या करने जा रहे हैं? हम मोमबत्तियां जलाकर जीने को मजबूर हैं. हमारे पास बैटरी, गैस, बिजली, पानी नहीं है. पानी के लिए भी हमकों दूर-दराज की जगहों पर जाना पड़ता है.'' 

सीजफायर पर इजरालियों में आमराय नहीं

इज़रायल के तेल अवीव में सामुदायिक प्रबंधक अरावा गेरज़ोन रज़ ने कहा, "हम चाहते हैं कि सभी बंधक अब घर वापस आ जाएं, इसलिए चाहे कुछ भी करना पड़े और जब तक हम उन्हें घर वापस लाते रहेंगे, मैं चाहता हूं कि युद्धविराम जारी रहे." वहीं इंटेल के एक कर्मचारी, इदो सेगेव ने कहा कि वह आशावादी हैं कि जब तक हमास बंधकों को सौंपना जारी रखेगा, तब तक संघर्ष विराम जारी रहेगा. उन्होंने कहा, "जब आपके कुछ आपसी हित हों तो आप सौदे करते हैं और जब तक हमास सैन्य दबाव या अन्य कारणों से सीजफायर में रुचि रखता है, तो वह बंधकों की रिहाई जारी रखेगा. 

वहीं पर्यटन कंपनी चलाने वाले एडम सेला सीजफायर के खिलाफ हैं. उनका मानना है कि इज़रायल को एक बेहतर समझौते के लिए आगे बढ़ना चाहिए था, जिसमें सभी बंधकों को रिहा कर दिया जाता. उन्होंने कहा कि सीजफायर वाली स्थिति हमास के पक्ष में है. वहीं एक शख्स ने कहा कि सीजफायर जारी रहना चाहिए, क्यों कि हिंसा किसी भी चीज का समाधान नहीं है. 

बता दें कि 7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हमले के बाद इस युद्ध का आगाज हुआ. जिसके बाद इजरायल ने इसे अंजाम तक पहुंचाने की कसम खाई. दरअसल हमास के हमले में 1200 इजरालियों की मौत हो गई. तो वहीं जबावी कारर्वाई में इजरा.ल गाजा पट्टी के 14,800 लोगों को अब तक मार चुका है, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)