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This Article is From Mar 31, 2021

स्लम में कोरोना टीकाकरण क्यों नहीं आसां? BMC करना चाहती है डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन

45 साल के राजेश कोली धारावी कोलीवाडा में रहते और व्यापार करते हैं. साफ़ कहते हैं कि जब तक भरोसा ना बने कोविड का टीका नहीं लगवाएंगे.

स्लम में कोरोना टीकाकरण क्यों नहीं आसां? BMC करना चाहती है डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन
अब भी कोरोना वैक्सीन लगवाने से झिझक रहे लोग (फाइल फोटो)
मुंबई:

मुंबई में फ़िलहाल रोज़ाना 45,000 लोगों को टीका लगा रही बीएमसी (BMC) एक दिन में एक लाख लोगों को टीका लगाने का टारगेट बना रही है, लेकिन मुंबई की आधी आबादी जो झुग्गी बस्तियों में रहती है, वहां टीकाकरण (Corona Vaccination) आसान नहीं है. 45 साल के राजेश कोली धारावी कोलीवाडा में रहते और व्यापार करते हैं. साफ़ कहते हैं कि जब तक भरोसा ना बने कोविड का टीका नहीं लगवाएंगे. राजेश कोली ने कहा, "बस बोल रहे हैं कि जाओ टीका लगवालो, कैसे लगाओ, बाद में क्या होगा, नहीं होगा इसकी जानकारी तो दो. ऐसे कैसे लगवा लें."

राजेश जैसे और भी यहां कई हैं. 55 साल के अब्दुल पेशे से ड्राइवर हैं, वो कहते हैं कोविड के टीके को लेकर हिचक अब तक सरकार दूर नहीं कर पायी है. अब्दुल रशीद ने कहा, "जिस दिन लगा वैक्सीन सेफ़ है ले लूंगा, अभी विश्वास नहीं है, कहीं मौतें हो रही हैं, कहीं साइड इफ़ेक्ट है. अभी नहीं लूंगा, बाद में देखेंगे जब भरोसा हुआ तो लूंगा." 

धारावी में संक्रमण बढ़ता देख, 22 मार्च से धारावी के लिए अलग से दस वैक्सीन बूथ शुरू हुए हैं. लोगों की रजिस्ट्रेशन में मदद करने और इनकी हिचक दूर करने के लिए एनजीओ ‘भारतीय जैन संगठन' से बीएमसी ने टायअप किया है, लेकिन 9 दिनों में 1,110 लोगों को ही टीका लग सका है. 

भारतीय जैन संगठन के राजेश जैन कहते हैं, "लोगों को अभी तक वैक्सीन की समझ नहीं है, डर बैठा हुआ है कि कुछ ग़लत होगा, हमारा प्रयास है कि उनको समझाएं की ऐसी कोई तकलीफ़ नहीं होगी, ऐसा कोई बुरा साइड इफ़ेक्ट नहीं है. उनको डॉक्टर भी गाइड कर रहे हैं, धीरे धीरे चल रहा है."

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शहर की दूसरी बस्तियों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. बीएमसी के साथ एम-ईस्ट वॉर्ड में वैक्सीन पर काम कर चुकी अपनालय संस्था बीएमसी के डोर टू डोर वैक्सीनेशन सुझाव को सही मानती है. 

अपनालय के अरुण कुमार कहते हैं, "मुंबई की क़रीब 55% यानी आधी आबादी बस्तियों में रहती है, बीएमसी धारावी से शुरुआत कर बाक़ी बस्तियों में भी अलग से टीका केंद्र खोलना चाहती है. चाहत है डोर टू डोर वैक्सिनेशन की इजाज़त मिले, लेकिन केंद्र को लगता है कि वैक्सीन के बाद की ऑब्ज़र्वेशन प्रक्रिया जैसी कुछ अड़चनें हैं."

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