
- सीपी राधाकृष्णन को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है
- सीपी राधाकृष्णन के पास लगभग 67,11,40,166 रुपये की कुल चल और अचल संपत्ति है.
- राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना के राज्यपाल व पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाला है
CP Radhakrishnan Net Worth : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है. महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है. सीपी राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. वे भाजपा से जुड़े हैं और कोयंबटूर से दो बार सांसद रह चुके हैं. पेशे से बिजनेसमैन सीपी राधाकृष्णन करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हैं.
करोड़ों की संपत्ति के मालिक
साल 2019 में चुनाव को दिये हलफनामे के मुताबिक, सीपी राधाकृष्णन के चल, अचल संपत्ति के अलावा करोड़ों रुपये बैंक खातों में भी जमा हैं. सीपी राधाकृष्णन के पास लगभग 67,11,40,166 रुपये की संपत्ति हैं. इसमें 7,31,07,436.32 रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें कैश, बैंक में जमा रुपये, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड शेयर, ज्वेलरी आदि शामिल है. वहीं, 44,43,25,040 रुपये की एग्रीकल्चर लैंड, 7,23,73,690 की नॉन एग्रीकल्चर लैंड, 6,63,34,000 रुपये की कमर्शियल बिल्डिंग और 1,50,00,000 रुपये का घर है.

सीपी राधाकृष्णन के पास कोई गाड़ी नहीं है और बैंक लोन आदि कुल 2,36,86,000 रुपये की देनदारी है.
लंबा राजनीतिक करियर
चंद्रपुर पोन्नुसामी राधाकृष्णन को 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में काम किया. इसके अलावा, वे तेलंगाना के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल चुके हैं. वह 2004 से 2007 तक भाजपा तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2020 से 2022 तक भाजपा केरल के अखिल भारतीय प्रभारी रहे. साथ ही 18 फरवरी 2023 को झारखंड के राज्यपाल नियुक्त किए गए थे.

स्वयंसेवक के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत
20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे सीपी राधाकृष्णन ने 1974 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और भारतीय जनसंघ के राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने. 1996 में वह भाजपा तमिलनाडु के सचिव नियुक्त हुए. इसके बाद 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए. इसके अलावा, 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में भाषण दिया और ताइवान की पहली संसदीय यात्रा में भी शामिल हुए थे.
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