
- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल ब्रदर्स से बतौर जुर्माना लिए गए 60 करोड़ रुपये को ट्रॉमा सेंटर निर्माण के लिए कम बताया.
- सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता को द्वारका में बने अस्पताल का निरीक्षण करने और कार्यप्रणाली देखने का निर्देश दिया.
- दिल्ली सरकार ने जुर्माने की राशि के साथ मिलाकर ट्रॉमा सेंटरों के निर्माण में कुल 866 करोड़ रुपये खर्च किए.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अंसल बंधुओं पर लगाए गए 60 करोड़ रुपये के जुर्माने से एक नए ट्रामा सेंटर बनाने वाली याचिका पर कहा है कि 60 करोड़ रुपये सिर्फ ' पीनट ' हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली में 60 करोड़ रुपये में पांच एकड़ जमीन मिल सकती है? इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता उपहार त्रासदी पीड़ितों के संघ को दिल्ली के द्वारका में बनाए गए अस्पताल का निरीक्षण करने को कहा है.
अदालत की उदारता का फायदा
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता संघ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत मेहता की दलीलें सुन रही थी. सुनवाई के दौरान, मेहता ने 2015 में अंसल बंधुओं को रिहा करते समय अदालत द्वारा जारी निर्देशों के क्रियान्वयन की मांग वाली एक याचिका पर बहस की. उन्होंने दावा किया कि दोषियों ने अदालत द्वारा दिखाई गई उदारता का लाभ उठाया है लेकिन उस समय सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया है.
क्या वाकई जुर्माने की राशि प्रयोग हुई
उन्होंने आगे बताया कि डीडीए को अदालत के निर्देशों के अनुसार 5 एकड़ जमीन आवंटित करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से पूछा कि क्या अंसल बंधुओं से 60 करोड़ रुपये की पूरी जुर्माने की राशि प्राप्त हो गई है और उसका उपयोग किया गया है? अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल दवे ने दिल्ली भर में चल रही तीन बड़े अस्पताल प्रोजेक्ट्स का जिक्र किया, जिनमें ट्रॉमा सेंटर हैं. सॉलिसिटर जनरल ने इस बात पर जोर दिया कि द्वारका में एक इंदिरा गांधी अस्पताल पहले से ही चल रहा है.
जुर्माना राशि बहुत कम
हालांकि, उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि 60 करोड़ रुपये की राशि "बहुत कम" है. जस्टिस कांत ने सहमति जताते हुए कहा कि ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए यह राशि बहुत कम है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फैसले को कई साल बीत चुके हैं. जस्टिस सूर्य कांत कांत ने कहा कि सरकार ने ट्रॉमा सेंटर के निर्माण पर जुर्माने के रूप में प्राप्त 60 करोड़ रुपये से भी अधिक, सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
उन्होंने कहा कि 60 करोड़ तो कुछ भी नहीं है. सरकार ने सैकड़ों करोड़ खर्च कर दिए हैं. हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं? क्या आपको लगता है कि द्वारका अस्पताल हवा में बना है? क्या यह सरकारी जमीन नहीं है? क्या आपको पता है कि इस अस्पताल के निर्माण में कितनी जमीन का इस्तेमाल हुआ है? क्या आपको लगता है कि दिल्ली में 60 करोड़ में 5 एकड़ जमीन उपलब्ध है?
याचिकाकर्ता को दिया गया सुझाव
जस्टिस कांत ने प्रस्ताव रखा कि याचिकाकर्ता द्वारा द्वारका अस्पताल का दौरा करके यह पता लगाया जाए कि वे ठीक से काम कर रहा है या नहीं. बेंच ने यह भी सुझाव दिया कि इस मामले को विरोधात्मक मुकदमे में न बदला जाए. विशेष तौर पर जस्टिस कांत ने टिप्पणी की कि बेंच पुनर्विचार के लिए नहीं बैठी है. एकमात्र चिंता यह है कि 2015 के फैसले में जिन ट्रॉमा केयर सुविधाओं का ज़िक्र किया गया था, वे ठीक से उपलब्ध कराई गई हैं या नहीं.
सरकार ने अब तक कितने खर्च किए
इससे पहले अगस्त में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में अंसल बंधुओं से वसूले गए 60 करोड़ रुपये का उपयोग दिल्ली सरकार ने ट्रॉमा सेंटरों के निर्माण में किया है. कोर्ट के आदेश के अनुसार यह राशि साल 2015 में जुर्माने के तौर पर अंसल बंधुओं से ली गई थी. सरकार ने बताया था कि इस रकम के साथ अतिरिक्त बजट जोड़कर तीन बड़े अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर बनाए जा रहे हैं. सरकार ने कुल 866 करोड़ रुपये खर्च किए हैं जिनमें जुर्माने के 60 करोड़ भी शामिल है.
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