उपहार त्रासदी मामले में पीडितों की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. क्यूरेटिव याचिका की खुली अदालत में मांग भी खारिज कर दी. ये विचार CJI एसए बोबडे, जस्टिस एन वी रमना और जस्टिस अरुण मिश्रा चेंबर में किया. सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल की सजा बढाने की मांग भी ठुकराई. दोषी सुशील अंसल की उम्र और बीमारी के चलते सजा माफ करने का फैसला बरकरार रखा है. अब अंसल बंधु आगे जेल नहीं जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उपहार केस को दोबारा खोलने से इनकार किया है. बताते चले कि ये 13 फरवरी का फैसला है जो अब आया है.
पीडितों ने सुप्रीम कोर्ट के 2016 के उस आदेश पर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है जिसमें पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई के बाद सुशील अंसल की उम्र और बीमारी के चलते जेल की सजा को माफ कर दिया था. जबकि गोपाल अंसल की एक साल की सजा को बरकरार रखा था. आपको बता दें कि नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गोपाल और सुशील अंसल को तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने उम्र के आधार पर कहा था कि जुर्माना ना देने की सूरत में 2 साल जेल की सजा दी जाएगी. इस फैसले के बाद उपहार हादसा पीड़ित असोसिएशन की प्रमुख नीलम कृष्णामूर्ति और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी. सुशील अंसल पांच महीने जबकि गोपाल अंसल चार महीने की सजा काट चुके थे. इससे पहले दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसले सुनाए जिसकी वजह से मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया था.
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गौरतलब है कि 1997 में हिन्दी फिल्म ‘बार्डर' के प्रदर्शन के दौरान हुए इस अग्निकांड में 59 दर्शकों की मृत्यु हो गई थी और भगदड़ में 103 लोग जख्मी हुए थे.
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