भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने कहा है कि आयुध निर्माणी मुरादनगर समेत देश की सभी आयुध निर्माणियों के निगमीकरण का सरकार का निर्णय मजदूर विरोधी है. शनिवार को आत्मनिर्भर भारत के भाग-4 के हिस्से के रूप में वित्त मंत्री ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ाते हुए, आयुध निर्माणियों के निगमीकरण की घोषणा के साथ में FDI को 49% से बढ़ाकर 74% कर दिया. यह निर्णय आयुध निर्माणियों के इतिहास में आज काला दिन है. यह निर्णय किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है, न ही यह निर्णय राष्ट्र हित में है. यही पार्टी जब विपक्ष में थी तब FDI का विरोध करती थी लेकिन आज सत्ता में है तो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े आयुध निर्माणी संगठन को विदेशी हाथों में दे रही है .
भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने कहा है कि अगस्त 2019 में हुए हड़ताल को वापस लेने के लिए मजदूर संगठनों से चर्चाओं के दौरान, सरकार ने 30 हजार करोड़ का लक्ष्य देने का आश्वासन दिया था और कर्मचारियों ने सरकार द्वारा दी गई चुनौती को स्वीकार कर लिया था. सरकार का उपरोक्त निर्दयी निर्णय जब राष्ट्र COVID19 से लड़ने में लगा हुआ है तब यह सरकारी कर्मचारियों के पीठ में खंजर घोंपने जैसा है, इसलिए इस निर्णय के विरोध में चरणबद्ध तरीके से लड़ाई लड़ी जाएगी.
भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के राष्ट्रीय महासचिव मुकेश सिंह ने सरकार के इस निर्णय को राष्ट्र हित के विपरीत बताते हुए कहा कि यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि COVID-19 महामारी की इस अभूतपूर्व स्थिति के दौरान दिन रात लगकर ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज ने कवर ऑल, हैंड सैनिटाइज़र, टेंट, फेस मास्क, रिपीट ऑफ़ वेंटिलेटर जैसी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन शुरू करके राष्ट्र की आवश्यकताओं का जवाब दिया. ऐसे में सरकार का मजदूरों पर यह कुठाराघात किसी धोखे से कम नहीं.
उन्होंने कहा कि सरकार किस स्वदेशी की बात करती है? क्या सरकार स्वदेशी का मतलब भी बदलना चाहती है? लगभग 200 वर्षों पुराने संगठन आयुध निर्माणी बोर्ड क्या स्वदेशी का सबसे बड़ा उदाहरण नहीं है? आयुध निर्माणियां मेक इन इंडिया का सबसे बड़ा उदाहरण हैं लिहाजा वर्तमान परिस्थितियों में आयुध निर्माणियों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता है न कि निगमीकरण की. लगभग 82 हजार कर्मचारी स्टाफ अधिकारी तथा उनके परिवार के भविष्य को सरकार ने अंधकार में डाल दिया है. निगमीकरण में आयुध निर्माणियों में इंडेंट नहीं दिया जाएगा, वर्कलोड नहीं दिया जाएगा. फिर इसे घाटे में दिखाकर इसका निगमीकरण से निजीकरण कर दिया जाएगा और अंत मे सारे कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे और उनके समेत लाखों परिवार वाले सड़क पर आ जाएंगे.
सबसे बड़ी बात यह है कि यह निर्णय ऐसे समय में लाया गया है जब कोरोना के चलते अधिकांश राज्यों में धारा 144 लागू है, NSA लागू है जिसकी वजह से कर्मचारी विरोध नहीं कर सकते. यदि करेंगे तो जेल में डाल दिए जाएंगे. सरकार के इस निर्दयी क्रूर मजदूर विरोधी फैसले से देश के 82 हजार कर्मचारी सदमे में हैं.
मुकेश सिंह ने कहा कि सरकार अपने निर्णय को तुरंत वापस ले नहीं तो इसके विरोध में राष्ट्र व्यापी आंदोलन होगा जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी. किसी भी परिस्थिति में, BPMS सरकार के ऐसे एकतरफा, अन्यायपूर्ण और बुरे फैसलों को बर्दाश्त नहीं करेगा.
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