हाल के दिनों में झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दो घटनाओं ने देश को झकझोर दिया है. जहां दुमका में नाबालिग लड़की की जलाकर हत्या कर दी गई, वहीं चतरा की छात्रा पर एसिड अटैक हुआ. जेएमएम की नेता महुआ मांझी ने इन दोनों घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कहा, यह दुखद है. हम सभी चिंतित है. सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है. फिर चाहेवह अंकिता का मामला हो या फिर काजल का. काजल को संदीप भारती नाम के युवा ने तेजाब फेंककर जला दिया जबकि अंकिता को किसी ने पेट्रोल से जलाया था. महुआ ने कहा कि ये दोनों अपराध जिन्होंने किए वे तो अपराधी मानसिकता के थे लेकिन बीजेपी नेता सीमा पात्रा, जो रिटायर आईएएस अफसर की पत्नी हैं, ने अपने घर में 2019 से एक आदिवासी युवती को कैद करके रखा और गुस्से में उसे दागती रहीं. इस युवती के पूरे शरीर में जलाए जाने के निशान हैं. सामने के दांत तोड़ दिए हैं. वह युवती कुपोषण की शिकार है. यह घटना ऐसे समय हुई जब बीजेपी अंकिता के केस को पूरे देश में उठा रही है. झारखंड सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर रही, इस सवाल पर महुआ ने कहा-ऐसा नहीं है. सरकार की ओर से कई लोग दुमका गए हैं, मदद कर रही है. पांच घंटे में अपराधी को अरेस्ट किया, पार्टी नेताओं ने रांची में भी लड़की की मदद की जबकि बीजेपी का कोई नेता नहीं आया.
भाजपा की महिला विंग की नेता सीमा पात्रा के मामले ने पार्टी को शर्मसार किया है. झारखंड के प्रमुख बीजेपी नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने इस बात से इनकार किया कि सीमा पात्रा को पार्टी से बर्खास्त करने में देर की गई. उन्होंने कहा, हमें घटना के बारे में तब पता लगा जब हम दुमका की ओर से जा रहे थे. हमें सोशल मीडिया से इस बारे में जानकारी मिली. इस पर हमने प्रदेश अध्यक्ष को कहा कि तुरंत बर्खास्त करने को कहा और उन्होंने तुरंत कार्रवाई की. इस सवाल कि सीमा पात्रा इसे राजनीतिक साजिश बता रहीं, मरांडी ने कहा कि यह जांच का विषय है. मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता. जहां तक पार्टी की बात है तो जैसे ही सूचना मिली तुरंत कार्रवाई की गई.
झारखंड में सियासी संकट के बीच सीएम हेमंत सोरेन अपने विधायकों को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे, इस सवाल के जवाब में मरांडी ने कहा कि इससे दुखद क्या हो सकता है. आम तौर पर विपक्ष को विधायकों की टूटफूट का डर रहता है और वे उन्हें दूर ले जाते हैं लेकिन यहां तो सत्ताधारी दल के विधायकों को ही डर सता रहा.आपके पास यहां पुलिस प्रशासन है, घर में भी रख सकते थे लेकिन छत्तीसगढ़ लेकर गए. उन्होंने कहा कि इन्हें बीजेपी से नहीं अपने लोगों से डर है. अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है. राज्यपाल को इस मामले में फैसला लेने में वक्त क्यों लग रहा, जवाब में मरांडी ने कहा कि हर संवैधानिक प्रक्रिया है. संभव है कि वे कानून विशेषज्ञों से राय ले रहे होंगे. कार्य के अपने तरीके होते हैं, हम दबाव नहीं डाल सकते. झारखंड की मौजूदा सरकार पर टिप्पणी करते हुए मरांडी ने कहा कि हम सरकार गिराने की कोशिश नहीं कर रहे. वे अपने ही लोगों से डरे हुए हैं. सरकार ने कुछ काम नहीं किया. विधायकों को यह डर सता रहा कि काम कुछ नहीं हुआ जनता के बीच जाएंगे तो क्या बताएंगे.
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