कैश फॉर क्वेरी (Cash for Query)यानी रिश्वत लेकर संसद में सवाल करने के आरोप में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को लोकसभा की एथिक्स कमेटी (Ethics Committee) ने 31 अक्टूबर को उनका पक्ष सुनने के लिए बुलाया है. गुरुवार को एथिक्स कमेटी की बैठक के बाद चीफ विनोद कुमार सोनकर ने यह जानकारी दी. गुरुवार को हुई 4 घंटे की मीटिंग में महुआ मोइत्रा के एक्स पार्टनर और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने एथिक्स कमेटी के सवालों का जवाब दिया. उसके बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) भी कमेटी के सामने पेश हुए. निशिकांत दुबे ने ही TMC सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी (Darshan Hiranandani) के कहने पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे थे. इस दौरान दोनों पक्षों के सांसदों के बीच गरमागरम बहस हुई. आइए जानते हैं कि एथिक्स कमेटी की बैठक में क्या-क्या हुआ और किसने क्या कहा?
ये हैं एथिक्स कमेटी के सदस्य
एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर हैं. कमेटी में 15 सदस्य हैं. कमेटी के मेंबर के तौर पर बीजेपी की ओर से वीडी शर्मा, सुमेधानंद सरस्वती, अपराजिता सारंगी, डॉ. राजदीप रॉय, सुनिता दुग्गल और सुभाष भामरे हैं. कांग्रेस की ओर से कमेटी में वी वैथीलिंगम, एन उत्तम कुमार रेड्डी, बालासौरी वल्लभनेनी और प्रणीत कुमार शामिल हैं. इसके अलावा शिवसेना के हेमंत गोडसे, JDU के गिरिधारी यादव, CPI (M) के पीआर नटराजन और बीसपी के दानिश अली शामिल हैं.
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मीटिंग में 4 सदस्य रहे गैरहाजिर
गुरुवार की मीटिंग में 15 में से 11 सदस्य ही मौजूद थे. वीडी शर्मा, परनीत कौर, हेमंत गोडसे, बल्लभनेनी आज की मीटिंग में गैरहाजिर रहे.
करीब 4 घंटे की बैठक में कई मौके ऐसे आये, जब दोनों पक्षों के सांसदों में गरमागरम बहस हुई. कमेटी के मेंबर्स को देखें तो लगता है कि सत्तारुढ़ दल के पास आसान बहुमत है, लेकिन तब भी पेशी के दौरान शिकायतकर्ता जय अनंत देहद्राई और निशिकांत दुबे से विपक्षी सांसदों ने जमकर सवाल जवाब किये. एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा के एक्स पार्टनर और वकील जय अनंत देहद्राई से करीब एक घंटे से ज़्यादा देर तक पूछताछ की. इसके बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे से 35-40 मिनट तक सवाल किए गए.
किसने क्या कहा?
इस दौरान दो सदस्यों ने निशिकांत दुबे से कहा महुआ मोइत्रा को माफ करें. दुबे ने कहा एथिक्स कमेटी इस बारे में फैसला लेगी. वहीं, कमेटी के सदस्य उत्तम रेड्डी ने कहा कि महुआ से निशिकांत दुबे का डिग्री मामले पर झगड़ा हुआ था, अब वो बदला ले रहे हैं. जबकि इसके जवाब में दुबे ने कहा कि उन्होंने कोर्ट में केस जीत लिया था. कमेटी की मीटिंग खत्म होने के बाद निशिकांत दुबे ने बताया, "मेरे सामने सभी ने नॉर्मल बर्ताव किया. सभी ने सवाल पूछे." महुआ मोइत्रा को सामने बिठाकर पूछताछ होगी या नहीं? इस सवाल पर दुबे ने कहा कि ये कमेटी को तय करने दीजिए. वहीं, जय अनंत देहद्राई ने कहा, "मैं कमेटी के बारे में कुछ भी नहीं बोल सकता. इसकी परमिशन नहीं है."
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क्या हीरानंदानी को भी बयान देने के लिए बुलाया जाएगा?
एथिक्स कमेटी ने कहा कि बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी का हलफ़नामा मजिस्ट्रेट के आगे बयान देने के समान है. लिहाजा उन्हें कमेटी के सामने दोबारा बयान देने के लिए बुलाने की ज़रूरत नहीं है.
महुआ के लिए क्या है मुश्किलें?
एथिक्स कमेटी के सामने पेश होने पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा दो पॉइंट पर घिरेंगी. पहला- लोकसभा अकाउंट का लॉग-इन आईडी और पासवर्ड शेयर करना. दूसरा-कथित तौर पर घूस लेकर संसद में सवाल करने से जुड़ी नैतिकता पर.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस पूरे मामले पर NDTV ने सीनियर वकील और एनालिस्ट नलिन कोहली और राजनीतिक विश्लेषक तौसीफ अहमद खान से बात की. नलिन कोहली ने बताया, "इसमें कुल तीन मामले हैं. पहला- महुआ मोइत्रा एक सांसद हैं. दूसरा- उनपर लोकसभा अकाउंट का लॉगइन आईडी और पासवर्ड किसी तीसरे शख्स के साथ शेयर करने का आरोप है. तीसरा-उनपर रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप है. सांसद होते हुए महुआ मोइत्रा के कुछ विशेषाधिकार हैं. उनका गलत इस्तेमाल करना या एक लोक प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें जो काम करने थे, उनसे परे जाकर कुछ करना एक गंभीर मामला है. आप एक सांसद रहते हुए किसी निजी फर्म या कंपनी के लिए काम करें और उसके एवज में बेनिफिट लें चाहे हो काइंड में हो या कैश में हो... सरासर गलत है. एक सांसद के तौर पर आपको एक लॉगइन आईडी मिलता है, उसे किसी तीसरे के साथ शेयर करना एक गंभीर अपराध है. महुआ इन्हीं मामलों में घिर रही हैं. बेशक एथिक्स कमेटी के सामने उन्हें दिक्कतें आएंगी."
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वहीं, राजनीतिक विश्लेषक तौसीफ अहमद खान बताते हैं, "सारा मामला अभी इंवेस्टिगेशन के दायरे में है. इल्जाम लगा देने से वो साबित नहीं हो जाएगा. उसे साबित करना पड़ता है. जब तक कि इल्जाम (आरोप) साबित नहीं हो जाते, तब तक महुआ मोइत्रा को मुजरिम (दोषी) नहीं माना जा सकता. जो सवाल संसद में महुआ मोइत्रा की तरफ से पूछे गए, उसकी भी जांच होनी बाकी है. ये लंबा प्रोसेस है."
निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिख की थी शिकायत
झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के नाम चिट्ठी लिखी थी. इसका टाइटल था- 'री-इमर्जेंस ऑफ नैस्टी कैश फॉर क्वेरी इन पार्लियामेंट.' लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी में निशिकांत ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सदन में सवाल पूछने के लिए मुंबई के बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट और कैश लिया है.
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निशिकांत ने स्पीकर से मांग की थी कि इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई जाए और महुआ मोइत्रा को सदन से निलंबित किया जाए. उन्होंने चिट्ठी में विशेषाधिकारों के गंभीर उल्लंघन, सदन के अपमान और IPC की धारा 120A के तहत आपराधिक केस दर्ज कराने की भी बात लिखी थी. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार 17 अक्टूबर को निशिकांत दुबे की शिकायत एथिक्स कमेटी के पास भेजी दी थी.
महुआ मोइत्रा की याचिका पर 31 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई
निशिकांत दुबे के इन आरोपों को लेकर महुआ मोइत्रा ने 17 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. उनकी याचिका पर 31 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
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