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This Article is From Feb 25, 2024

"बिलकुल कोई लॉजिक नहीं..." : दिल्ली शराब नीति मामले में CBI के समन पर BRS नेता के कविता

कविता ने अपने पत्र में कहा कि धारा 41ए सीआरपीसी के तहत समन क्यों भेजा गया, इसका "निश्चित रूप से कोई तर्क, कारण या पृष्ठभूमि" नहीं है.

"बिलकुल कोई लॉजिक नहीं..." : दिल्ली शराब नीति मामले में CBI के समन पर BRS नेता के कविता
नई दिल्ली:

भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता (K Kavitha) ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) 
को पत्र लिखकर कहा है कि वह कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में पूछताछ के लिए कल उपस्थित नहीं हो सकेंगी. कविता ने अपने पत्र में कई "जरूरी" सार्वजनिक व्यस्तताओं और सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक याचिका का हवाला दिया है. यह दूसरी बार है जब बीआरएस नेता और तेलंगाना के पूर्व मुख्‍यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी पूछताछ में शामिल नहीं होंगी. केंद्रीय एजेंसी ने उनसे आखिरी बार दिसंबर 2022 में पूछताछ की थी. 

कविता ने पिछले साल मार्च में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पूछताछ से राहत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. शीर्ष अदालत ने मामले पर रोक लगा दी और किसी फैसले तक पहुंचने तक पूछताछ से छूट दी गई थी. 

सीबीआई ने अब सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत समन भेजा है, जिसका उल्लंघन करने पर उनकी गिरफ्तारी हो सकती है. कविता ने अपने पत्र में कहा कि इस धारा के तहत समन क्यों भेजा गया, इसका "बिलकुल कोई तर्क, कारण या पृष्ठभूमि" नहीं है.

उन्होंने लिखा, "धारा 41ए सीआरपीसी के तहत वर्तमान नोटिस धारा 160 सीआरपीसी के तहत पहले के नोटिस के बिलकुल विपरीत है, जो मुझे 02.12.2022 को जारी किया गया था और जिसका पालन पहले ही हो चुका है."

किसी भी आरोप में मेरी कोई भूमिका नहीं : कविता 

पत्र में कहा गया, "चूंकि किसी भी आरोप में मेरी कोई भूमिका नहीं है, इसलिए सीबीआई को मामले में मेरी सहायता की जरूरत नहीं है क्‍योंकि मामला पूरी तरह से अदालत के समक्ष विचाराधीन है."

केंद्रीय एजेंसियों का आरोप है कि कविता उस "साउथ कार्टेल" का हिस्सा हैं, जिसने दिल्ली की शराब नीति में रिश्वत से लाभ उठाया, जिसमें आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया है. राजनीतिक तूफान के बाद इस नीति को वापस ले लिया गया था. 

शराब कंपनियां पॉलिसी तैयार में करने में थी शामिल : सीबीआई 

सीबीआई का तर्क है कि शराब कंपनियां एक्‍साइज पॉलिसी तैयार करने में शामिल थीं, जिससे उन्हें 12 प्रतिशत का लाभ होता. एक शराब लॉबी ने रिश्‍वत का भुगतान किया था. इस शराब लॉबी को 'साउथ ग्रुप' कहा जाता था. रिश्‍वत का एक हिस्सा पब्लिक सर्वेंट्स को दिया गया था. 

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