
- सीबीआई ने अनिल अंबानी के विभिन्न ठिकानों पर बैंक फ्रॉड मामले में छापेमारी की है.
- एसबीआई ने 2000 करोड़ रुपये के एक खाते को फर्जी घोषित कर 24 जून को इसकी सूचना आरबीआई को दी थी
- ईडी ने अनिल अंबानी से 17000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले को लेकर कई घंटे तक पूछताछ की थी.
रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के अलग-अलग ठिकानों पर सीबीआई की टीम ने रेड किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई की ये रेड बैंक फ्राड केस में की गई है. एसबीआई से 2000 करोड़ रुपये के फ्राड का मामला दर्ज है. 13 जून 2025 को एसबीआई ने इस अकाउंट को फर्जी घोषित कर दिया था. इसके बाद एसबीआई ने 24 जून को इसकी सूचना आरबीआई को दे दी थी. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ईडी की टीम ने भी अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर रेड किया था. बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम अनिल अंबानी के ठिकानों पर सुबह सात बजे ही पहुंच गई थी. ये छापेमारी छह ठिकानों पर चल रही है.
सीबीआई से पहले ईडी ने भी अनिल अंबानी से पूछताछ की थी. बैंक फ्राड मामले में ईडी ने कुछ दिन पहले ही अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए बुलाया था. उस दौरान अनिल अंबानी से ईडी ने नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में 17,000 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले को लेकर कई घंटे तक पूछताछ की थी. इस पूछताछ में ईडी की ओर से अनिल अंबानी से कई सवाल पूछे गए, जिसमें "क्या लोन शेल कंपनियों को भेजे गए थे?, "क्या पैसा राजनीतिक दलों को दिया गया?" और "क्या आपने किसी अधिकारी को रिश्वत दी?" जैसे सवाल शामिल थे. अनिल अंबानी को एक हफ़्ते बाद फिर से पेश होने के लिए कहा गया था.
आपको बता दें पिछले महीने ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी से जुड़े अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की थी. ये छापेमारी दिल्ली और मुंबई में की गई थी.ईडी ने ये छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को लेकर की थी. ईडी की प्रारंभिक जांच में "बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर जनता के पैसे की हेराफेरी करने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना" का खुलासा हुआ था. ईडी ने दिल्ली और मुंबई में कुल 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान 50 कंपनियों की जांच की गई है. छापेमारी के दौरान 25 लोगों से पूछताछ किए जाने की बात सामने आ रही थी.
बताया जा रहा है कि 2017 और 2019 के बीच, यस बैंक ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की RAAGA कंपनियों को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया था. ईडी का दावा था कि उसने एक अवैध लेन-देन व्यवस्था का पता लगाया है जिसमें यस बैंक के प्रमोटरों ने कथित तौर पर लोन एक्सेप्ट करने से ठीक पहले अपनी निजी कंपनियों से पेमेंट लिया था.
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