
World Mental Health Day: मानसिक स्वास्थ्य कितना जरूरी है ये हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जब कोई मानसिक रूप से बीमार होता है तो कौन से लक्षण दिखाई देते हैं? हम अक्सर सोचते हैं कि भूख लगना सिर्फ पेट से जुड़ी बात है. लेकिन अगर आपको हर समय खाने का मन करता है, खाने के बाद भी भूख लगती है या बिना मेहनत के भी बार-बार भूख लगती है, तो यह सिर्फ डाइजेशन नहीं, बल्कि ब्रेन सिग्नल्स में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है. मेडिकल साइंस में इस स्थिति को पॉलिफेजिया (Polyphagia) कहा जाता है. यह एक ऐसी कंडीशन है जिसमें बहुत ज्यादा भूख लगती है यहां तक कि शरीर को एनर्जी की भी जरूरत होती है.
वेबएमडी के अनुसार, अगर आपको हर समय भूख लगती है यहां तक कि खाने के तुरंत बाद, तो यह डायबिटीज, हाइपरथायरॉइडिज्म, डिप्रेशन या स्ट्रेस जैसी स्थितियों का संकेत हो सकता है.
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क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?
हालांकि डब्ल्यूएचओ ने पॉलिफेजिया को सीधे मानसिक बीमारी नहीं कहा है, लेकिन WHO की मेंटल हेल्थ गाइडलाइन में यह साफ किया गया है कि खाने की आदतें और मानसिक स्वास्थ्य आपस में गहराई से जुड़े होते हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर खाने की आदतें असामान्य हो जाएं जैसे बार-बार भूख लगना, इमोशनल ईटिंग या बिना कारण खाने की इच्छा तो यह मानसिक असंतुलन का संकेत हो सकता है.
ज्यादा भूख लगना क्यों हो सकता है मानसिक लक्षण?
1. ब्रेन के हाइपोथैलेमस हिस्से में गड़बड़ी
हाइपोथैलेमस वह हिस्सा है जो भूख और तृप्ति को कंट्रोल करता है. अगर यह हिस्सा ठीक से काम न करे, तो भूख के सिग्नल बार-बार भेजे जाते हैं, जिससे व्यक्ति को बार-बार खाने का मन करता है.
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2. तनाव और चिंता
क्रॉनिक स्ट्रेस से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो भूख को बढ़ाता है. तनाव में लोग अक्सर इमोशनल ईटिंग करते हैं, यानी भावनात्मक असंतुलन को खाना खाकर शांत करने की कोशिश.
3. डिप्रेशन और मूड डिसऑर्डर
डिप्रेशन में कुछ लोग भूख खो देते हैं, जबकि कुछ को अत्यधिक भूख लगती है. यह ब्रेन के सेरोटोनिन और डोपामाइन लेवल में बदलाव के कारण होता है.
4. नींद की कमी
नींद पूरी न होने से घ्रेलिन नामक हार्मोन बढ़ता है, जो भूख को तेज करता है. साथ ही लेप्टिन नामक हार्मोन घटता है, जो तृप्ति का संकेत देता है.
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कैसे पहचानें कि ब्रेन में कोई दिक्कत है?
- खाने के तुरंत बाद भी भूख लगना
- बिना शारीरिक मेहनत के भी बार-बार खाने की इच्छा
- खाने से मूड बेहतर लगना, फिर जल्दी खराब होना
- नींद की कमी, चिड़चिड़ापन और फोकस की कमी
- वजन तेजी से बढ़ना या घटना बिना कारण
क्या करें अगर ऐसा हो रहा है?
न्यूरोलॉजिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें. ब्लड शुगर, थायरॉइड और हार्मोन टेस्ट कराएं. कब, कितना और क्यों खा रहे हैं, इसका रिकॉर्ड रखें. इससे इमोशनल ईटिंग की आदत को समझने में मदद मिलेगी. तनाव कम करने के लिए प्राणायाम, ध्यान और हल्का व्यायाम बेहद असरदार है. रात को 7–8 घंटे की नींद लें. मोबाइल और टीवी का इस्तेमाल सीमित करें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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