Hidden Dangers of Social Media: आज सोशल मीडिया हमारे रूटीन का हिस्सा बन चुका है. सुबह उठते ही सबसे पहले हम फोन उठाकर नोटिफिकेशन देखते हैं और रात में सोने से पहले आखिरी बार फीड स्क्रोल करते हैं. दोस्तों से जुड़ने, जानकारी पाने और मनोरंजन के लिए बनाया गया सोशल मीडिया आज धीरे-धीरे हमारे दिमाग पर ऐसा कब्जा जमा रहा है कि हम खुद भी इसका असर महसूस नहीं कर पाते. सबसे खतरनाक बात यह है कि सोशल मीडिया के कई साइड इफेक्ट दिखाई नहीं देते, ये अदृश्य बीमारियां हैं, जो धीरे-धीरे मेंटल हेल्थ को अंदर से कमजोर करती जाती हैं.
हम सोचते हैं कि हम बस थोड़ी देर टाइम पास कर रहे हैं, लेकिन असल में ये प्लेटफॉर्म हमारी सोच, नींद, याददाश्त और आत्मविश्वास तक को प्रभावित कर रहे हैं. यहां हम ऐसी ही 5 अदृश्य बीमारियों के बारे में बात करेंगे जो बिना शोर किए आपके दिमाग पर गहरा असर डाल रही हैं.
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1. डूम-स्क्रोलिंग सिंड्रोम (लगातार निगेटिव कंटेंट देखने की बीमारी)
डूम-स्क्रोलिंग का मतलब है लगातार फीड या न्यूज़ में ऐसे कंटेंट को स्क्रोल करना जो डर, तनाव या बेचैनी बढ़ाते हैं. लोग इसे आदत की तरह करते हैं. दिमाग पर नकारात्मकता का बोझ बढ़ता है. इससे तनाव, चिंता और डर हमेशा बना रहता है.
यह समस्या इसलिए खतरनाक है क्योंकि आपको लगता है कि आप बस फीड स्क्रोल कर रहे हैं, लेकिन आपका दिमाग लगातार तनाव में रहता है.
2. सोशल कम्पैरिजन डिसऑर्डर (दूसरों से खुद को तुलना करने की बीमारी)
सोशल मीडिया पर हर पोस्ट चमकदार लगती है, परफेक्ट फोटो, महंगी जगहें, हर समय खुश लोग. इससे अनजाने में तुलना शुरू हो जाती है:
- सब अच्छा कर रहे हैं… सिर्फ मैं पीछे हूं.
- उनकी लाइफ इतनी परफेक्ट है, मेरी क्यों नहीं?
- क्या मैं किसी से कम हूं?
ये तुलना धीरे-धीरे आपके आत्मविश्वास, खुशी और स्वाभिमान को कम कर देती है.
3. इंफॉर्मेशन ओवरलोड डिसऑर्डर (जानकारी का बोझ बढ़ने की बीमारी)
हर दिन इतने नोटिफिकेशन, रील, वीडियो और पोस्ट मिलते हैं कि दिमाग लगातार सक्रिय रहता है. इससे दिमाग को आराम नहीं मिल पाता. याददाश्त कमजोर होती है. फोकस टूट जाता है. काम में मन नहीं लगता. धीरे-धीरे आपका दिमाग थक जाता है, लेकिन आप महसूस भी नहीं कर पाते कि असली वजह सोशल मीडिया है.
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4. सोशल वैलिडेशन एडिक्शन (लाइक्स और कमेंट्स की लत)
बहुत से लोग अपनी तस्वीर, वीडियो या स्टोरी पोस्ट करने के बाद बार-बार नोटिफिकेशन चेक करते रहते हैं:
- कितने लाइक्स आए?
- किसने कमेंट किया?
- कौन देख रहा है?
ये वैलिडेशन एडिक्शन दिमाग को एक ऐसा रिवॉर्ड सिस्टम बना देता है, जहां आपकी खुशी इस पर निर्भर होने लगती है कि लोग आपको कितना पसंद करते हैं. धीरे-धीरे असली आत्मविश्वास घटने लगता है.
5. स्लीप डिस्टरबेशन (नींद खराब होने की अदृश्य बीमारी)
सोशल मीडिया की चमकीली स्क्रीन, लगातार नोटिफिकेशन और देर रात तक स्क्रोलिंग आपकी नींद को गहराई से प्रभावित करते हैं. नींद पतली हो जाती है, दिमाग फ्रेश नहीं होता, सुबह थकान रहती है, मूड खराब रहता है. यह समस्या इतनी धीरे चढ़ती है कि आपको पता भी नहीं चलता कि आपकी आधी परेशानियों की जड़ सोशल मीडिया की ओवरयूज़ है.
सोशल मीडिया खराब नहीं है, लेकिन इसका गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आपकी मेंटल हेल्थ को धीमे-धीमे खा सकता है. ये 5 अदृश्य बीमारियां इसलिए खतरनाक हैं क्योंकि इनका असर तुरंत दिखाई नहीं देता, बल्कि धीरे-धीरे आपके दिमाग को थकाता रहता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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