Winter Disease: अक्टूबर का महीना जाने वाला है. हल्की-हल्की ठंड शुरू हो गई है. गर्मी के बाद अब सुबह और शाम ठंडक महसूस होने लगी है. कई लोगों को सर्दियां काफी पसंद होती है, लेकिन इस मौसम में इंफेक्शन और बीमारियां बेहद आम होती है. ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आते हैं. मौसम में बदलाव के कारण ऐसा होता है. वैसे तो इन बीमारियों का इलाज आसानी से मिल जाता है लेकिन इन्हें नजरअंदाज भी नहीं करना चाहिए. इन समस्याओं से परेशान होने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. आइए जानते हैं ठंड के मौसम में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
इन आम विंटर डिजीज से बचकर रहें | Stay Away From These Common Winter Diseases
1) फीवर और ज़ुकाम
सर्दी का मौसम शुरू होते ही ज़ुकाम-खांसी की समस्या से दो चार होना पड़ता है. बदलते मौसम और किसी संक्रमित के संपर्क में आने से आसानी से चपेट में ले लेती हैं. नाक बंद, छींक आना, कमजोरी, सिरदर्द, बदन दर्द, खांसी सर्दी और फ्लू के संकेत हैं.
2) टॉन्सिल्स
ठंड के मौसम में टॉन्सिल्स की समस्या बेहद आम है. गले के पीछे अंडाकारनुमा टिशू पैड्स में सूजन आने से टॉन्सिल हो जाता है. इसकी वजह से काफी दर्द होता है. खाने-पीने में भी समस्या होती है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, हवा में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के कारण टॉन्सिल्स होते हैं.
3) कान का इंफेक्शन
जैसे-जैसे मौसम में ठंडापन आता है ठंड और नमी के चलते कान का इंफेक्शन बढ़ने लगता है. सर्दी में कान में इंफेक्शन होना नॉर्मल होता है, लेकिन इसका इलाज कराना चाहिए. इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए.
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4) जोड़ों का दर्द
कई लोगों में ठंड की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है. ज्यादा उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. उनके जोड़ों में अकड़न आ जाती है. इससे उन्हें चलने-फिरने और काम करने में दिक्कत आने लगती है. गठिया से पीड़ित लोग के लिए यह काफी परेशान करने वाला होता है. मौसम में बदलाव के चलते टिशूज़ में सूजन आ जाती है और इसी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है.
5) ब्रोंकाइटिस
फेफड़ों के सबसे छोटे वायु मार्ग में बलगम बनने से ये बीमारी होती है. ज्यादातर सर्दी के मौसम में ये बीमारी होती है. बलगम बनने से खांसी आने लगती है और समस्या बढ़ जाती है. ऐसे होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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