भारत में मुंह का कैंसर बड़ी समस्या बनता जा रहा है. इसकी रोकथाम के लिए क्या उपाय किए जाएं, इसे लेकर मंगलवार को एक नई स्टडी सामने आई है. ये स्टडी तंबाकू उत्पादों पर अधिक प्रभावी चेतावनी संकेतों को अंकित करने की सलाह देती है. मुंह का कैंसर मुंह और गले के टिशू को नुकसान पहुंचाता है. तंबाकू उत्पादन और बिक्री को नियंत्रित करने वाला कानून, तंबाकू नियंत्रण और रोकथाम के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम, और ओरल कैंसर की रोकथाम और जांच के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम होने के बावजूद, भारत में ओरल कैंसर के पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
भारत में प्रतिवर्ष 1,35,000 से अधिक नए मामले रिपोर्ट किए जाते हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा है. हालांकि इसकी रोकथाम की जा सकती है. ग्लोबोकैन 2020 और राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार दुनिया के कुल पीड़ितों में से एक तिहाई भारत के ही हैं. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के पार्थ शर्मा ने आईएएनएस को बताया, "तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी संकेत तंबाकू उपभोक्ताओं तक पहुंचने का सबसे प्रभावी तरीका है. अनुसंधान को तंबाकू का उपयोग शुरू करने से रोकने और तंबाकू छोड़ने को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रभावी (गंभीर) चेतावनी संकेतों को डिजाइन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
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शर्मा के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के अन्य शोधकर्ताओं, मोंगजाम मेघचंद्र सिंह, आमोद लक्ष्मीकांत बोरले ने अध्ययन में पाया कि ओरल कैंसर संबंधी जागरूकता और निवारक उपायों को लेकर समझ की कमी है. अगस्त 2023 से जून 2024 तक किए गए इस क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन में 116 वयस्क मरीज शामिल थे जिन्हें मुख कैंसर की पुष्टि हुई थी. ई कैंसर पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र से पता चला कि 54.3 प्रतिशत लोग धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते थे, 10.3 प्रतिशत धूम्रपान करते थे और 27.6 प्रतिशत दोनों का सेवन करते थे.
अधिकांश लोग प्रतिदिन तंबाकू का सेवन करते थे, जिनमें से 52.6 प्रतिशत ने मुख कैंसर का पता चलने के बाद तंबाकू छोड़ दिया था. लगभग 66.4 प्रतिशत तंबाकू और मुख कैंसर के बीच संबंध के बारे में जानते थे और उन्हें इसकी जानकारी मुख्यतः तंबाकू की पैकेजिंग (48.1 प्रतिशत) और तंबाकू विरोधी विज्ञापनों (36.3 प्रतिशत) से हुई थी. हालांकि, सभी लोग मुख कैंसर के शुरुआती लक्षणों और स्व-परीक्षण विधियों से अनजान थे, और केवल 7.8 प्रतिशत ही तंबाकू नियंत्रित करने वाले कानूनों के बारे में जानते थे.
साक्षर प्रतिभागियों, चेतावनी के संकेतों को देखने वालों और तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी के संकेतों से डरने वालों में तंबाकू से कैंसर होने के बारे में जागरूकता काफी अधिक थी. शोधकर्ताओं ने टारगेट जागरूकता अभियान और बेहतर स्क्रीनिंग की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे भारत में मुख कैंसर को कम करने में मदद मिल सकती है. शर्मा ने कहा, "हेल्थकेयर कर्मियों को हेल्थ सिस्टम के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है."
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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