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भारतीयों की थाली में ज्यादा चावल-रोटी और कम प्रोटीन बन रहा है शुगर और मोटापे का कारण : ICMR का खुलासा

ICMR ने देशभर के 1 लाख 21 हजार से ज्यादा लोगों पर यह रिसर्च की है. इसमें शहरों से लेकर गांवों तक, 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था. इस स्टडी में पता चला है कि हम भारतीय अपनी रोज की कैलोरी का लगभग 62% हिस्सा कार्बोहाइड्रेट्स से लेते हैं. ये दुनिया में सबसे ज्यादा में से एक है.

भारतीयों की थाली में ज्यादा चावल-रोटी और कम प्रोटीन बन रहा है शुगर और मोटापे का कारण : ICMR का खुलासा
हमें अपने खाने में कुल कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम करनी होगी और प्रोटीन ज़्यादा खाना होगा, खासकर दालों, फलियों और डेयरी प्रोडक्ट्स से.

ICMR Study on indian diet : क्या आपकी थाली में भी चावल या रोटी ज्यादा और दाल-सब्जी कम होती है? अगर हां, तो जरा अलर्ट हो जाइए.  ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की एक नई स्टडी ने खुलासा किया है कि हम भारतीय जिस तरह का खाना खा रहे हैं, वह हमें तेजी से डायबिटीज और मोटापे की ओर धकेल रहा है. स्टडी में पता चला है कि हमारे खाने में कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे चावल, रोटी, चीनी) की मात्रा बहुत अधिक है, और प्रोटीन (जैसे दाल, दूध, पनीर) की मात्रा बहुत कम है.

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क्या कहती है ये रिसर्च?

ICMR ने देशभर के 1 लाख 21 हजार से ज्यादा लोगों पर यह रिसर्च की है. इसमें शहरों से लेकर गांवों तक, 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था. जिसमें पता चला है कि हम भारतीय अपनी रोज की कैलोरी का लगभग 62% हिस्सा कार्बोहाइड्रेट्स से लेते हैं. ये दुनिया में सबसे ज्यादा में से एक है.

आपका खाना, आपकी सेहत पर असर

अब आप सोचेंगे कि इसमें क्या बुराई है? बुराई ये है कि ये कार्बोहाइड्रेट्स ज्यादातर सफेद चावल, मैदे की चीजें और चीनी से आते हैं, जो सेहत के लिए उतने अच्छे नहीं होते हैं.

चावल और गेहूं का राज

रिसर्च कहती है कि दक्षिण, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में लोग ज्यादा सफेद चावल खाते हैं. वहीं, उत्तर और मध्य भारत में गेहूं की रोटी ज्यादा खाई जाती है.

चीनी की मिठास, सेहत के लिए खतरा

पूरे देश में चीनी का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो रहा है. 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लोग जरूरत से ज्यादा चीनी खा रहे हैं. ये सब मिलकर शुगर, प्री-डायबिटीज और मोटापे का खतरा बढ़ा रहे हैं.

बाजरा कहां गया?

हमारे पुराने जमाने में बाजरा, ज्वार जैसे मोटे अनाज खूब खाए जाते थे, जो सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं. लेकिन अब ये सिर्फ कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे कुछ ही राज्यों तक ही सीमित रह गया है.

प्रोटीन की कमी, फैट की गड़बड़

रिसर्च में ये भी सामने आया है कि हमारे खाने में प्रोटीन की भारी कमी है. हम अपनी कुल कैलोरी का सिर्फ 12% प्रोटीन से लेते हैं, जबकि ये ज्यादा होना चाहिए. प्रोटीन ज्यादातर दालों और फलियों से मिलता है, लेकिन दूध और मांस से मिलने वाला प्रोटीन बहुत कम खाया जाता है.

वहीं, फैट (चर्बी) के मामले में भी कुछ गड़बड़ है. कुल फैट तो हम ठीक ही खा रहे हैं, लेकिन जो सैचुरेटेड फैट (बैड फैट) होता है, वो लगभग सभी राज्यों में बहुत ज्यादा खाया जा रहा है. जबकि अच्छे फैट, जैसे कि जैतून का तेल या मछली से मिलने वाले फैट, बहुत कम खाए जा रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

डॉ. आर.एम. अंजना, जो इस रिसर्च की मुख्य लेखिक हैं, कहती हैं कि सिर्फ सफेद चावल की जगह रोटी या बाजरा खाने से काम नहीं चलेगा. हमें अपने खाने में कुल कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम करनी होगी और प्रोटीन इंटेक बढ़ाना होगा, खासकर दालों, फलियों और डेयरी प्रोडक्ट्स (दूध, दही, पनीर) से.

 5% कार्बोहाइड्रेट्स की कटौती लाएगा बड़ा बदलाव

अगर हम अपने खाने में से सिर्फ 5% कार्बोहाइड्रेट्स हटाकर उसकी जगह दालों या दूध से मिलने वाला प्रोटीन जोड़ दें, तो डायबिटीज और प्री-डायबिटीज का खतरा काफी कम हो सकता है. लेकिन ध्यान रहे, कार्बोहाइड्रेट्स की जगह लाल मांस या अधिक फैट खाने से ये फायदा नहीं मिलेगा.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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