जिद्दी हो रहा है बच्‍चा? बिहेवियर में भी आ रहा है बदलाव, तो ऐसे करें डील, इस तरह दें उसे सही दिशा...

Children and Mental Health: पैरेंट को बच्चों के बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार में अचानक आए बदलाव पर ध्यान देना चाहिए. इससे समय पर पहचान से मेंटल हेल्थ बेहतर रखने में मदद मिल सकती है. इसके लिए पैरेंट को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

जिद्दी हो रहा है बच्‍चा? बिहेवियर में भी आ रहा है बदलाव, तो ऐसे करें डील, इस तरह दें उसे सही दिशा...

Children and Mental Health: आज की कॉम्प्लेक्स दुनिया में वयस्कों की ही नहीं, बच्चों के मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखना जरूरी है. छोटी उम्र से बच्चे डिप्रेशन और एंग्जायटी के शिकार होने लगे हैं. अधिकतर पैरेंट्स बच्चों की इन समस्याओं को पहचान ही नहीं पाते हैं. पैरेंट अक्सर बच्चों के उदास रहने या अकेले रहने को उनके मूड की समस्या मान लेते हैं. जबकि हो सकता है कि बच्चा किसी मेंटल प्रॉब्लम से जूझ रहा हो.

Parenting tips: पैरेंट्स को बच्चों के बॉडी लैंग्वेज और व्यवहार में अचानक आए बदलाव पर ध्यान देना चाहिए. इससे समय पर पहचान से मेंटल हेल्थ बेहतर रखने में मदद मिल सकती है. इसके लिए पैरेंट को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का इस तरह रखें ध्यान | How to Improve Your Child's Mental Health

1. व्यवहार को समझने की जरूरत : पैरेंट को अपने बच्चों के व्यवहार संबंधी आदतों पर नजर रखनी चाहिए. अगर आपको पता होगा कि बच्चा खुश होने या नाराज होने पर कैसे रिएक्ट करता है तो अचानक उसमें आए बदलाव को समझने में आसानी होगी. अगर बच्चा अलग तरह से व्यवहार करने लगे, अपनी पसंद की चीजों के प्रति उदासीनता दिखाने लगे तो इसे नजरअंदाज न करें. यह उनके किसी परेशानी में होने का संकेत हो सकता है.

2. इमोशंस पर नजर : बच्चों के भावनात्मक व्यवहार पर नजर रखें. कहीं वे भावनात्मक उतार चढ़ाव से तो नहीं गुजर रहे हैं. उनसे बातचीत करते हुए उनकी भावनाओं का मजाक न उड़ाए. अगर कोई बच्चा सिंगर या थियेटर कलाकार बनने की इच्छा जताता हो तो उन्हें तुरंत डिसकरेज न करें. उनकी भावनाओं का सम्मान उन्हें आपसे बातें शेयर करने के लिए बढ़ावा देगा.

3. प्रॉपर कम्युनिकेशन : पैरेंट को बच्चों से बातचीत करनी चाहिए. स्कूल में बिताए समय या उनके दोस्तों के बारे में बातें करें. उन्हें खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें. ऐसे में उनके मन में चीजें जमा नहीं होगी. अगर कभी बच्चा बातचीत में रुचि नहीं ले रहा हो, तो जानने की कोशिश करें कि क्यों उनका व्यवहार बदला हुआ है.

4. कॉन्फिडेंस बढ़ाएं : बच्चे से बातचीत करते हुए उन्हें अपने सपनों को पूरा करने और गलतियों से नहीं घबराने के बारे में बताएं. उनसे शेयर करें कि सफलता और असफलता दोनों ही जीवन के अंग हैं. इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह छोटी मोटी असफलता के कारण परेशान नहीं होगा.

अस्वीकरण : सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. 
 

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