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बेटी को जरूर बतानी चाहिए ये 5 बातें, पैरेंटिंग कोच ने कहा आपकी लाडली खुद को कभी किसी से कम नहीं समझेगी

बेटियों की परवरिश करते हुए हर पैरेंट यही चाहता है कि बेटी सशक्त बने और आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहे. ऐसे में उसे बचपन से ही कुछ बातें जरूर कहनी चाहिए.

बेटी को जरूर बतानी चाहिए ये 5 बातें, पैरेंटिंग कोच ने कहा आपकी लाडली खुद को कभी किसी से कम नहीं समझेगी
बेटी से जरूर कहें ये बातें.

Parenting Tips: बेटियां माता-पिता की जान होती हैं. वह हंसती हैं तो पूरे घर में रौनक आ जाती है. लेकिन, बचपन में चहचहाने वाली यही नन्हीं परियां जब बड़ी हो जाती हैं तो अक्सर ही चेहरे पर मुस्कान की जगह उदासी ले लेती है. जिंदगी में इतने बदलाव होते हैं कि बेटियां (Daughters) ना सिर्फ कोंफिडेंस में कमी महसूस करती हैं बल्कि कई बार खुद की असल पहचान समझने में भी उन्हें कठिनाई होने लगती है. ऐसे में पैरेंट्स छोटी उम्र से ही बेटियों को ऐसी कुछ बातें कह सकते हैं जिससे बिटिया का कोंफिडेंस भी बढ़े और वह एक सशक्त और मजबूत शख्सियत के रूप में उभरे. इसी बारे में बता रही हैं रिद्धि देवरिया जोकि पैरेंटिंग कोच हैं और इंस्टाग्राम अकाउंट पर पैरेंट्स के लिए टिप्स वगैरह शेयर करती रहती हैं. यहां रिद्धी ने ऐसी ही 5 बातों का जिक्र किया है जो हर पैरेंट को अपनी बेटी से जरूर कहनी चाहिए. 

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बेटी को जरूर बताएं ये 5 बातें | 5 Things You Must Tell Your Daughter

तुम्हारी आवाज मायने रखती है 

बेटी को बताएं कि उसकी आवाज मायने रखती है, उसकी वॉइस मैटर करती है. उसे सिखाएं कि किस तरह खुद के लिए आवाज उठाई जाती है और अपनी बात सामने रखी जाती है. बेटी को यह सिखाएं कि वह अपने विचार किस तरह सभी के सामने रख सकती है. उसे बताएं कि वह जो कुछ कह रही है वह ना सिर्फ उसके लिए जरूरी है बल्कि उसके आस-पास के लोगों के लिए भी मायने रखता है. 

ना कहना सिखाएं 

बेटियों को यह बताना बेहद जरूरी है कि वह ना (No) बोल सकती हैं. अपनी बेटी को बताएं कि वह खुशी डिजर्व करती है और खुश रहने के लिए उसे जो करना है वह कर सकती है. अगर वह खुश नहीं है तो किसी और की खुशी के लिए उसे समझौता करने की जरूरत नहीं है. वह अगर ना कहना चाहती है तो कह सकती है. अपने आस-पास के लोगों को खुश करने के लिए उसे हर काम के लिए हां कहने की जरूरत नहीं है. 

दयालु होने का मतलब कमजोर होना नहीं है 

अक्सर ही व्यक्ति के दयालु होने को उसकी कमजोरी समझ लिया जाता है. अपनी बेटी को सिखाएं कि उसका दयालु (Kind) होना उसे कमजोर नहीं बनाता है. अपनी बेटी को सिखाएं कि किस तरह दयालु होने के साथ-साथ मजबूत भी बना जा सकता है. बेटी को सम्मान के साथ बाउंडरीज बनानी आनी चाहिए. 

गलतियां आपको डिफाइन नहीं करती हैं 

अपनी बेटी को यह बताएं कि उसकी गलतियां उसे डिफाइन नहीं करती हैं या कहें परिभाषित नहीं करती हैं. गलती करना ठीक है, हो जाता है, कोई बात नहीं लेकिन पछतावा लेकर बैठे रहना सही नहीं है. 

तुम पूरी हो 

बेटी से कहें कि वह जैसी है, जो है इनफ है यानी पूरी है. बेटी कैसी दिखती है, कैसे नंबर लाती है या क्या-क्या हासिल कर चुकी है, यह सब उसे पूरा नहीं करता है बल्कि वह जो है उसमें ही पूरी है. 

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