लंदन:
अकसर महिलाएं अपने बढ़े हुए वज़न को लेकर चिंता में रहती हैं। फास्ट-फूड पर कंट्रोल न कर पाने की वज़ह से ये समस्या पैदा होती है। सुबह में एक्सरसाइज़ न करना और दिन भर बैठकर खाते रहना भी इसकी वज़ह बन सकती है। आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने महिलाओं को उनके बढ़ते वज़न से छुटकारा दिला दिया है। उन्होंने ‘महिलाओं को अपना वज़न घटाने में मुश्किल क्यों होती है’ इस गुत्थी को सुलाझा लिया है।
आपको यह जानकर खुशी होगी कि शोधकर्ताओं ने चूहों पर अध्ययन करने के बाद ही यह दावा किया है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एबेरडीन की लोरा हीजलेर का कहना है कि “दिमाग के उस हिस्से का स्ट्रक्चर महिलाओं और पुरूषों में अलग-अलग होता है, जो भोजन की कैलोरी का उपयोग तय करता है”। हीजलेर ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि दिमाग में मौजूद मांसपेशियां प्रो ऑपियोमेलानोकोर्टिन पेपटाइड (पीओएमसी) नामक हार्मोन बनाती हैं, जो व्यक्ति के भूख लगने, शारीरिक गतिविधि, एनर्जी वेस्टेज और वज़न को नियमित करते हैं। हीजलेर ने बताया कि “मादा चूहे में पीओएमसी पेपटाइड्स का यह स्रोत शारीरिक गतिविधि या उर्जा की ख़पत को सख़्ती से ठीक नहीं करता है”।
मिले प्रमाण बताते हैं कि पीओएमसी पेपटाइड के स्रोतों को ख़त्म कर, किए गए इलाज से महिलाओं में भूख घट सकती है। लेकिन यह पदार्थ हमारे दिमाग के उन संकेतों को लाभ नहीं पहुंचाएगा, जो शारीरिक गतिविधि या उर्जा की खपत को सख़्ती से दुरूस्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं और पुरूषों की शारीरिक गतिविधि, उर्जा की खपत और शरीर के वज़न में अंतर का कारण दिमाग में मौजूद पीओएमसी पेपटाइड्स, एक ख़ास स्रोत माना जाता है।
अध्ययन के नतीजे “मॉलिक्यूलर मेटाबॉलिज्म” जरनल में प्रकाशित हुए हैं।
आपको यह जानकर खुशी होगी कि शोधकर्ताओं ने चूहों पर अध्ययन करने के बाद ही यह दावा किया है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एबेरडीन की लोरा हीजलेर का कहना है कि “दिमाग के उस हिस्से का स्ट्रक्चर महिलाओं और पुरूषों में अलग-अलग होता है, जो भोजन की कैलोरी का उपयोग तय करता है”। हीजलेर ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि दिमाग में मौजूद मांसपेशियां प्रो ऑपियोमेलानोकोर्टिन पेपटाइड (पीओएमसी) नामक हार्मोन बनाती हैं, जो व्यक्ति के भूख लगने, शारीरिक गतिविधि, एनर्जी वेस्टेज और वज़न को नियमित करते हैं। हीजलेर ने बताया कि “मादा चूहे में पीओएमसी पेपटाइड्स का यह स्रोत शारीरिक गतिविधि या उर्जा की ख़पत को सख़्ती से ठीक नहीं करता है”।
मिले प्रमाण बताते हैं कि पीओएमसी पेपटाइड के स्रोतों को ख़त्म कर, किए गए इलाज से महिलाओं में भूख घट सकती है। लेकिन यह पदार्थ हमारे दिमाग के उन संकेतों को लाभ नहीं पहुंचाएगा, जो शारीरिक गतिविधि या उर्जा की खपत को सख़्ती से दुरूस्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं और पुरूषों की शारीरिक गतिविधि, उर्जा की खपत और शरीर के वज़न में अंतर का कारण दिमाग में मौजूद पीओएमसी पेपटाइड्स, एक ख़ास स्रोत माना जाता है।
अध्ययन के नतीजे “मॉलिक्यूलर मेटाबॉलिज्म” जरनल में प्रकाशित हुए हैं।
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