दही भारतीय खान-पान का एक अभिन्न अंग है. इसे सदियों से भारतीय रसोई में जगह मिलती रही है. यह न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी यह किसी वरदान से कम नहीं है. दही को दूध से फर्मेंटेशन (किण्वन) की प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में दूध में मौजूद लैक्टोज शर्करा, लैक्टिक एसिड में बदल जाती है. इसी लैक्टिक एसिड के कारण दही में हल्का खट्टापन आता है. दही में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन बी-12, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे एक संपूर्ण आहार बनाते हैं.
दही का सबसे बड़ा फायदा इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स (अच्छे बैक्टीरिया) होते हैं. ये अच्छे बैक्टीरिया हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये आंतों में हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं और भोजन को पचाने में मदद करते हैं. एक स्वस्थ पाचन तंत्र का सीधा संबंध बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) से होता है.
Dahi Ka Sewan Kaise Kare: भारत में अलग-अलग तरह के व्यंजनों में दही का इस्तेमाल होता है. इसे रायता, लस्सी, छाछ या कढ़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ग्रामीण इलाकों में इसे सीधे चावल या रोटी के साथ भी खाया जाता है. दही को खाने का सही समय और तरीका जानने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं, जबकि गलत समय पर खाने से यह नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसकी तासीर, इसे किस महीने में नहीं खाना चाहिए, और ईसबगोल के साथ इसके फायदे जैसे कई सवाल हैं जिनके जवाब जानना जरूरी है ताकि आप इसका पूरा लाभ उठा सकें और इससे होने वाले संभावित नुकसानों से बच सकें. नीचे आपके सभी सवालों का जवाब विस्तार से दिया गया है.
1. दही कब खाना चाहिए? (Dahi Kab Khana Chahiye)
दही को खाने का सबसे अच्छा समय दिन का समय है, यानी सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन. इस दौरान आपका पाचन तंत्र सबसे ज़्यादा सक्रिय होता है और दही में मौजूद पोषक तत्वों को शरीर आसानी से अवशोषित कर लेता है.
2. दही खाने का सबसे उत्तम समय | Dahi Khane Ka Sahi Samay
सुबह का नाश्ता: सुबह नाश्ते में दही शामिल करना एक बेहतरीन शुरुआत है. यह पेट को शांत रखता है और इसमें मौजूद प्रोटीन दिनभर के लिए ऊर्जा देता है. नाश्ते में आप इसे फल (जैसे केला या बेरीज) या ओट्स के साथ मिलाकर खा सकते हैं.
दोपहर का भोजन (लंच): दही को दोपहर के खाने के साथ या खाने के तुरंत बाद खाना सबसे ज़्यादा फायदेमंद माना जाता है. इस समय दही खाने से भोजन को पचाने में आसानी होती है, खासकर अगर आपने दोपहर में भारी खाना खाया हो. यह पेट को ठंडक भी पहुंचाता है, जो गर्मी के मौसम में बहुत जरूरी है.

3. दही कब नहीं खाना चाहिए? | Dahi Kab Nahi Khana Chahiye
दही को कभी भी रात के समय नहीं खाना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार, दही की तासीर ठंडी होती है और रात में इसे खाने से बलगम (कफ) और म्यूकस बनने की संभावना बढ़ जाती है. रात में पाचन क्रिया भी धीमी हो जाती है, जिससे दही को पचाना मुश्किल हो सकता है. इससे सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या बढ़ सकती है, खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले से ही अस्थमा या जोड़ों में दर्द (गठिया) की शिकायत है.
4. दही किस महीने में नहीं खाना चाहिए? (Dahi Kis Mahine Mein Nahi Khana Chahiye)
दही को किसी विशेष महीने में पूरी तरह से छोड़ना ज़रूरी नहीं है, लेकिन मानसून (बरसात) और सर्दियों के महीनों में इसे खाते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
मानसून का महीना: बरसात के मौसम में दही को सीमित मात्रा में खाना चाहिए. नमी और कम धूप के कारण इस मौसम में वातावरण में बैक्टीरिया और फंगस जल्दी पनपते हैं. दही फर्मेंटेड (किण्वित) भोजन है, और वातावरण की नमी के कारण इसमें हानिकारक बैक्टीरिया के पनपने की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा, आयुर्वेद मानता है कि मानसून में वात दोष बढ़ जाता है, और दही वात को और बढ़ा सकता है.
सर्दी का महीना: ठंड के महीनों में रात के समय दही खाने से पूरी तरह बचना चाहिए. अगर आप दिन में दही खा रहे हैं, तो उसे सामान्य तापमान पर ही खाएं, फ्रिज से निकालकर तुरंत न खाएं. सबसे अच्छा तरीका यह है कि सर्दी में आप ताज़ा दही के बजाय छाछ या लस्सी का सेवन करें, जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है.
5. दही खाने के 10 फायदे (Dahi Khane Ke 10 Fayde)
दही को अपनी डाइट में शामिल करने से आपके स्वास्थ्य को अनेक लाभ मिलते हैं.
- पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है: दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स (अच्छे बैक्टीरिया) पेट के स्वास्थ्य को सुधारते हैं, कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं.
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: प्रोबायोटिक्स आंतों में हानिकारक बैक्टीरिया को नियंत्रित करते हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) मजबूत होती है.
- हड्डियों को मजबूत बनाता है: यह कैल्शियम और विटामिन डी का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद करता है.
- वजन नियंत्रण में सहायक: दही में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो पेट को लंबे समय तक भरा रखता है, जिससे आप ओवरईटिंग से बचते हैं और वजन नियंत्रित रहता है.
- त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: दही में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा को प्राकृतिक रूप से एक्सफोलिएट करता है और बालों को पोषण देता है.
- रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित करता है: इसमें पोटेशियम और मैग्नीशियम होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.
- तनाव और चिंता को कम करता है: आंत और मस्तिष्क के बीच एक सीधा संबंध होता है. प्रोबायोटिक्स तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं (जिसे गट-ब्रेन एक्सिस कहते हैं).
- एसिडिटी से राहत: दही पेट में बनने वाले अतिरिक्त एसिड को शांत करने में मदद करता है, जिससे एसिडिटी और सीने की जलन से राहत मिलती है.
- अनिद्रा दूर करता है: इसमें मौजूद पोषक तत्व नींद को नियंत्रित करने वाले हार्मोन के उत्पादन में मदद करते हैं, जिससे बेहतर नींद आती है.
- जल्दी रिकवरी: वर्कआउट या शारीरिक श्रम के बाद दही खाने से शरीर को ज़रूरी प्रोटीन मिलता है, जो मांसपेशियों की रिकवरी में तेज़ी लाता है.
6. दही खाने के 10 नुकसान (Dahi Khane Ke 10 Nuksan)
हालांकि दही बहुत फायदेमंद है, लेकिन गलत तरीके या अत्यधिक मात्रा में सेवन करने पर इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं.
- कफ और सर्दी में वृद्धि: रात के समय दही खाने से गले में बलगम (कफ) जमा हो सकता है, जिससे सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या बढ़ जाती है.
- जोड़ों के दर्द में बढ़ोतरी: जिन लोगों को गठिया (Arthritis) या जोड़ों के दर्द की समस्या है, उन्हें दही सीमित मात्रा में या बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, खासकर सर्दियों में, क्योंकि यह दर्द को बढ़ा सकता है.
- पाचन संबंधी समस्या (अति-सेवन): दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन कुछ लोगों में पेट फूलने (Bloating) या दस्त का कारण बन सकता है.
- वजन बढ़ना (यदि शक्कर मिलाई जाए): यदि आप दही में बहुत ज़्यादा चीनी या मीठा मिलाकर खाते हैं, तो इससे कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है और वजन बढ़ने लगता है.
- लेट नाइट अपच: रात में पाचन क्रिया धीमी होने के कारण दही को पचाना मुश्किल हो जाता है, जिससे अपच या पेट में भारीपन महसूस हो सकता है.
- लैक्टोज असहिष्णुता (Lactose Intolerance): हालांकि फर्मेंटेशन के कारण दही में लैक्टोज कम होता है, लेकिन जिन लोगों को लैक्टोज असहिष्णुता की गंभीर समस्या है, उन्हें दही खाने से गैस या पेट दर्द हो सकता है.
- एलर्जी प्रतिक्रियाएं: दुर्लभ मामलों में, कुछ लोगों को डेयरी उत्पादों से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर चकत्ते (Rashes) या खुजली हो सकती है.
- एसिडिटी (अत्यधिक खट्टा दही): बहुत ज़्यादा खट्टा या पुराना दही खाने से पेट में एसिडिटी बढ़ सकती है.
- त्वचा संबंधी समस्या: संवेदनशील त्वचा वाले लोग यदि रात में दही खाते हैं, तो आयुर्वेद के अनुसार इससे कुछ त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे पिंपल्स हो सकते हैं.
- गलत संयोजन: मछली, पनीर या गर्म पेय के साथ दही खाने से पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है और यह नुकसानदायक हो सकता है.
7. दही की तासीर (Dahi Ki Taasir)
आयुर्वेद के अनुसार दही की तासीर गर्म मानी जाती है. यह एक आम गलत धारणा है कि दही ठंडा होता है. दही ठंडा महसूस होता है क्योंकि इसे फ्रिज में रखा जाता है या यह पेट को तुरंत राहत देता है, लेकिन इसकी तासीर यानी शरीर पर इसका प्रभाव गरम होता है. दही पचने में भारी (गुरु) और चिपचिपा (स्निग्ध) होता है. यही कारण है कि आयुर्वेद रात में या सर्दी के मौसम में दही खाने से मना करता है क्योंकि यह शरीर में कफ दोष को बढ़ाता है.
ध्यान दें: दही से बनने वाली छाछ या लस्सी की तासीर को ठंडा माना जाता है, क्योंकि इसमें पानी मिलाया जाता है, जो दही की गर्मी को शांत करता है.
8. दही ईसबगोल के फायदे (Dahi Isabgol Ke Fayde)
दही और ईसबगोल (Psyllium Husk) का मिश्रण पाचन तंत्र के लिए एक बहुत शक्तिशाली उपाय है. इन दोनों को एक साथ खाने के कई बेहतरीन फायदे हैं:
कब्ज का रामबाण इलाज: ईसबगोल एक घुलनशील फाइबर है जो पानी को अवशोषित करके मल को नरम बनाता है. दही के प्रोबायोटिक्स के साथ मिलकर यह आंतों की गतिशीलता (Bowel Movement) को बेहतर बनाता है और कब्ज को जड़ से खत्म करने में मदद करता है.
दस्त में राहत: विरोधाभासी रूप से, दही और ईसबगोल दोनों ही दस्त (Diarrhea) के इलाज में भी मदद करते हैं. ईसबगोल अतिरिक्त पानी को अवशोषित करके मल को गाढ़ा करता है, जबकि दही आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ाता है.
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण: ईसबगोल का फाइबर रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम करने में मदद करता है.
वजन प्रबंधन: यह मिश्रण पेट को भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे भूख कम लगती है और वजन नियंत्रित रहता है.
पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा: दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं और ईसबगोल प्रीबायोटिक का काम करता है (यह अच्छे बैक्टीरिया का भोजन है). इन दोनों का मिश्रण आंतों के स्वास्थ्य को पूरी तरह से बेहतर बनाता है.
इस्तेमाल का तरीका: एक कटोरी ताज़ा दही में 1 से 2 चम्मच ईसबगोल मिलाएं और इसे तुरंत खा लें. इसे ज़्यादा देर तक भिगोकर न रखें.
9. दही किस समय खाना चाहिए? (Dahi Kis Samay Khana Chahiye)
दही खाने का सबसे उपयुक्त और सुरक्षित समय दिन का समय है.
सबसे अच्छा समय: दोपहर का भोजन (लंच) या उसके तुरंत बाद.
अच्छा समय: सुबह का नाश्ता.
इस समय दही खाने से शरीर को इसके प्रोबायोटिक्स और कैल्शियम का पूरा फायदा मिलता है. दोपहर में दही खाने से भोजन का पाचन आसानी से होता है और शरीर को ठंडक मिलती है. सुबह खाने से आपको दिनभर के लिए ऊर्जा मिल जाती है.
इस समय दही खाने से बचें
दही को शाम 4 बजे के बाद या रात के खाने में कभी भी नहीं खाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि रात में आपका शरीर आराम की अवस्था में चला जाता है और पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है. रात में दही खाने से शरीर में कफ दोष बढ़ जाता है, जिससे सर्दी, खांसी, जुकाम, या जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ सकती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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