न्यूयॉर्क:
आज के समय में दस में से दो आदमी प्रोस्टेट कैंसर से लड़ते दिख जाते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि अगर इस बीमारी का पता शुरुआत में ही चल जाए, तो इसके इलाज में आसानी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, उम्रदराज लोगों में पाई जानेवाली बीमारी प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में जब हार्मोन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है, तो इससे अवसाद का खतरा बढ़ जाता है। एक शोध से यह खुलासा हुआ है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों का एड्रोजेन हार्मोन देकर प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किया जा रहा था, उनमें इसके कारण डिप्रेशन के लक्षण पाए गए। प्रमुख शोधकर्ता अमेरिका के ब्रिंघम एंड वुमेन अस्तपाल के पॉल नगूएन का कहना है, "हम जानते हैं कि जिन मरीजों की हार्मोन थेरेपी की जाती है वे अक्सर यौन कार्यप्रणाली में कमी, वजन में बढ़ोतरी और ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं। ऐसे ही कई कारण मिलकर पीड़ित को डिप्रेशन का शिकार बना देते हैं। हमने गहराई से इसकी जांच की तो हार्मोन थेरेपी से इसका गहरा संबंध नजर आया।"
वहीं, दूसरी ओर प्रोस्टेट कैंसर को लेकर वैज्ञानिकों ने और शोध किया। इस दौरान उन्होंने कोलेस्ट्रोल को कम करने वाली दवाओं में एक यौगिक की पहचान की, जो केवल प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ने से तो रोकता ही है, साथ ही मानव शरीर में घातक कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है। कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए इस दवा में आर ओ 48-8071 यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है।
निष्कर्षों के अनुसार, कीमोथेरेपी के साथ इस दवा का प्रयोग प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ एक नया दृष्टिकोण पैदा कर सकता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिसूरी के प्रोफेसर सलमान हैदर ने बताया, "अक्सर कैंसर चिकित्सा में रोगियों को जहरीली कीमोथेरपी के प्रभाव से गुजरना पड़ता है, लेकिन हमारे अध्ययन में कैंसर की कोशिकाओं में कोलेस्ट्रोल के उत्पादन को कम करने पर जोर दिया गया है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर इस खतरनाक कीमोथेरेपी की आवश्यकता को घटाया जा सकता है।"
हाल ही में हुए यह नए शोध शायद आने वाले समय में कीमोथेरेपी के दर्द से गुजर रहे लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों का एड्रोजेन हार्मोन देकर प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किया जा रहा था, उनमें इसके कारण डिप्रेशन के लक्षण पाए गए। प्रमुख शोधकर्ता अमेरिका के ब्रिंघम एंड वुमेन अस्तपाल के पॉल नगूएन का कहना है, "हम जानते हैं कि जिन मरीजों की हार्मोन थेरेपी की जाती है वे अक्सर यौन कार्यप्रणाली में कमी, वजन में बढ़ोतरी और ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं। ऐसे ही कई कारण मिलकर पीड़ित को डिप्रेशन का शिकार बना देते हैं। हमने गहराई से इसकी जांच की तो हार्मोन थेरेपी से इसका गहरा संबंध नजर आया।"
वहीं, दूसरी ओर प्रोस्टेट कैंसर को लेकर वैज्ञानिकों ने और शोध किया। इस दौरान उन्होंने कोलेस्ट्रोल को कम करने वाली दवाओं में एक यौगिक की पहचान की, जो केवल प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ने से तो रोकता ही है, साथ ही मानव शरीर में घातक कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है। कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए इस दवा में आर ओ 48-8071 यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है।
निष्कर्षों के अनुसार, कीमोथेरेपी के साथ इस दवा का प्रयोग प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ एक नया दृष्टिकोण पैदा कर सकता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिसूरी के प्रोफेसर सलमान हैदर ने बताया, "अक्सर कैंसर चिकित्सा में रोगियों को जहरीली कीमोथेरपी के प्रभाव से गुजरना पड़ता है, लेकिन हमारे अध्ययन में कैंसर की कोशिकाओं में कोलेस्ट्रोल के उत्पादन को कम करने पर जोर दिया गया है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर इस खतरनाक कीमोथेरेपी की आवश्यकता को घटाया जा सकता है।"
हाल ही में हुए यह नए शोध शायद आने वाले समय में कीमोथेरेपी के दर्द से गुजर रहे लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
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