
टोरंटो:
जौ एक आम अनाज है, जो ब्रेड, ड्रिंक्स और कई तरह के क्यूजज़न में पाया जाता है। यह दुनियाभर में सबसे ज़्यादा खाया जाने वाला अनाज है। जौ फाइबर से भरपूर होता है। यही नहीं, इसमें दोगुना प्रोटीन और ओट्स की आधी कैलोरी पायी जाती हैं। इसके साथ ही, जो लोग वज़न और डाइट को लेकर थोड़े सर्तक होते हैं, उनके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।
यह ब्लड शुगर को कम करने, बल्ड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वज़न कम करने में सहायक होता है। यही नहीं, यह पाचन संबंधी परेशानियों के साथ डायरिया, पेट में दर्द, जलन जैसी समस्याओं से भी निपटने में मदद करता है।
इसके साथ ही, एक नए अध्ययन से पता लगा है कि भोजन में जौ का इस्तेमाल कई प्रकार के हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है। जौ में जई की तरह ही कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव मौजूद होते हैं। शोध के निष्कर्षों के मुताबिक, शरीर में कम-घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) और गैर-उच्च घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (नॉन एचडीएल) को सात प्रतिशत कम कर सकता है।
कनाडा के सेंट मिशेल हॉस्पिटल से व्लादिमिर वुकसुन ने बताया, "यह निष्कर्ष टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्हें हृदय रोगों का जोखिम सर्वाधिक होता है। ऐसे लोगों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहता है, लेकिन गैर-एचडीएल या एपोलाइपोप्रोटीन बी का स्तर उच्च होता है।"
जौ सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में ही नहीं, बल्कि बिना उच्च कोलेस्ट्रॉल के लोगों को भी फायदा पहुंचा सकता है।
जौ में प्रोटीन की तुलना में दोगुना फाइबर होता है, जो वजन नियंत्रण या आहार चिंताओं का सामना कर रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण है।
इस शोध के लिए कनाडा समेत सात देशों के चिकित्सकीय परीक्षणों पर 14 अध्ययन किए गए।
यह शोध 'यूरोपीयन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
यह ब्लड शुगर को कम करने, बल्ड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वज़न कम करने में सहायक होता है। यही नहीं, यह पाचन संबंधी परेशानियों के साथ डायरिया, पेट में दर्द, जलन जैसी समस्याओं से भी निपटने में मदद करता है।
इसके साथ ही, एक नए अध्ययन से पता लगा है कि भोजन में जौ का इस्तेमाल कई प्रकार के हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है। जौ में जई की तरह ही कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव मौजूद होते हैं। शोध के निष्कर्षों के मुताबिक, शरीर में कम-घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) और गैर-उच्च घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (नॉन एचडीएल) को सात प्रतिशत कम कर सकता है।
कनाडा के सेंट मिशेल हॉस्पिटल से व्लादिमिर वुकसुन ने बताया, "यह निष्कर्ष टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्हें हृदय रोगों का जोखिम सर्वाधिक होता है। ऐसे लोगों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहता है, लेकिन गैर-एचडीएल या एपोलाइपोप्रोटीन बी का स्तर उच्च होता है।"
जौ सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में ही नहीं, बल्कि बिना उच्च कोलेस्ट्रॉल के लोगों को भी फायदा पहुंचा सकता है।
जौ में प्रोटीन की तुलना में दोगुना फाइबर होता है, जो वजन नियंत्रण या आहार चिंताओं का सामना कर रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण है।
इस शोध के लिए कनाडा समेत सात देशों के चिकित्सकीय परीक्षणों पर 14 अध्ययन किए गए।
यह शोध 'यूरोपीयन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
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