अमित
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बाराबंकी में अक्षरा सिंह के शो में मची अफरा-तफरी, भीड़ बेकाबू, कुर्सियां चकनाचूर
अक्षरा के शो में आगे बढ़ती भीड़ के दबाव में एक के बाद एक कुर्सियां टूटती चली गईं और देखते ही देखते पंडाल में सैकड़ों कुर्सियां चकनाचूर हो गईं.
- नवंबर 23, 2025 14:04 pm IST
- Reported by: Amit Kaushik, रनवीर सिंह, Edited by: पीयूष जयजान
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दुबई में 'तेजस' क्रैश ने दिलाई दुनिया के सबसे घातक एयर शो हादसों की याद
Tejas crashes at Dubai Air Show: भारतीय वायुसेना का एक तेजस विमान दुबई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. दुबई एयर शो के दौरान यह हादसा हुआ.
- नवंबर 22, 2025 03:15 am IST
- Reported by: अमित सिंह, Edited by: शुभम उपाध्याय
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10 साल में भी नहीं बन पाया सीधी-सिंगरौली राजमार्ग, सांसद पहुंचे भगवान की शरण में,सड़क पर किया बाधा निवारण हवन
नेशनल हाईवे के इस हिस्से के निर्माण का काम करीब एक दशक पहले शुरू हुआ था. लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया है. इसे पूरा कराने के लिए सीधी-सिंगरौली के सांसद राजेश मिश्र ने सड़क पर बाधा निवारक हवन किया.
- नवंबर 03, 2025 13:14 pm IST
- Reported by: अमित सिंह
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Exclusive: कभी भी हो सकती है मेरी गिरफ्तारी... अनंत सिंह के अरेस्ट के बाद NDTV से बोले पीयूष प्रियदर्शी
वोटिंग से पहले मोकाम में हुई घटना को लेकर पुलिस प्रशासन और चुनाव आयोग अलर्ट है. चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाने हुए मोकामा के एसपी को हटा दिया गया है. इसके साथ ही दो थाना प्रभारियों को भी सस्पेंड किया गया है.
- नवंबर 02, 2025 19:28 pm IST
- Reported by: Amit Kaushik, Edited by: चंदन वत्स
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मोदी जीतते हैं, क्योंकि वह भारतीयों की आकांक्षाओं के प्रतीक हैंः मालवीय
विश्वास और भरोसे पर आधारित यह रिश्ता भारतीय इतिहास में अद्वितीय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक जनादेश हासिल किया है. यह उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा जीता गया तीसरा आम चुनाव है. आमतौर पर लोकतंत्र और विशेष रूप से भारतीय लोकतंत्र के लिए कई ऐतिहासिक तथ्यों को फिर से लिखा गया है.
- जून 06, 2024 22:18 pm IST
- अमित मालवीय
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भारतीयों में सकारात्मकता बरकरार, देश को शून्यवाद की ओर ले जाना चाहती है कांग्रेस
पश्चिमी लोकतंत्रों को अपनी आबादी के भीतर क्रोधित अराजकतावादियों का सामना करना पड़ रहा है. बिना किसी भावनात्मक आधार वाले क्रांतिकारी, बिना किसी विश्वास प्रणाली के विशाल शून्य को लेकर, अपने आस-पास के अधिकार, सरकार और समाज को चुनौती देने के लिए एक मुद्दे से दूसरे मुद्दे पर कूदते रहते हैं. यह अराजकतावाद, जो अपनी पतनशील विचारधारा को ठोकने के लिए नई कीलें खोजने में माहिर है, भारत में भी अपना रास्ता बना चुका है. और इससे भी बुरी बात यह है कि इसे भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी - कांग्रेस ने भी अपना लिया है.
- जून 02, 2024 21:21 pm IST
- अमित मालवीय
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इज़रायल-अरब के बीच अंतिम मोर्चा है UNRWA?
इज़रायल के लिए आतंकी संगठन हमास ने भी UNRWA पर इज़रायली आरोपों को धमकी करार दिया और UN सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि वे इज़रायली धमकी या ब्लैकमेल से प्रभावित न हों. हालांकि UNRWA ने भी इज़रायल के आरोपों पर 13 में से 12 कर्मियों या अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई भी की है, जिसकी जानकारी स्वयं UN महासचिव एंटोनियो गुटरेस द्वारा दी गई थी.
- फ़रवरी 07, 2024 19:45 pm IST
- अमित
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नया शीत युद्ध : पांचवीं बार जीत की ओर बढ़ रहा है पुतिन का रूस?
खुद को अखिल सोवियत रूस के ज़ार जैसा शासक बनाने और सोवियत संघ के गौरव को वापस लाने का व्लादिमिर पुतिन का सपना फिलहाल अजेय लग रहा है.
- दिसंबर 25, 2023 14:11 pm IST
- अमित
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'बूस्टर क्यों जरूरी है?' भारत के संदर्भ में ब्रिटिश डॉक्टर का दृष्टिकोण
डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन लगभग 4 गुना तेजी से फैलता है. ब्रिटेन में लगभग 40 प्रतिशत मामले इसी के हैं और अनुमान है कि क्रिसमस तक ये डेल्टा की जगह ले लेगा.
- दिसंबर 18, 2021 13:18 pm IST
- डॉ अमित गुप्ता
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कौटिल्य: सत्ता हासिल करने से कहीं आगे है उनकी चाणक्य-नीति
हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जहां सत्ता के लिए होने वाली तिकड़मों में कौटिल्य (चाणक्य) याद आते हैं. इसे और से ठीक से पढ़िए, 'सिर्फ' सत्ता के लिए होने वाली तिकड़मों में ही चाणक्य याद आते हैं. यह ठीक है कि चाणक्य (अपनी कूटनीति और कुटिलता के कारण जो कौटिल्य भी कहलाते हैं) सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी तरक़ीब को सही मानते थे लेकिन उन्हें सिर्फ यहीं तक सीमित कर देना बहुत बड़ी नादानी/मूर्खता होगी. जो भी उन्हें नकारेगा या उन्हें हिस्सों में अपनाएगा, परिणाम भोगने होंगे. इससे पहले कि हम चाणक्य नीति पर आएं, आइए एक बार सरसरी निगाह से उनसे जुड़े इतिहास को देख लें.
- दिसंबर 28, 2019 17:34 pm IST
- अमित
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वल्लभ भाई पटेल के 'सरदार' बनने की कहानी...
फरवरी 1922 में अगर चौरी-चौरा की घटना न घटती तो गुजरात का बारदोली शायद सविनय अवज्ञा शुरू करने के लिए जाना जाता. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. 1926 में बारदोली तालुका में किसानों से वसूले जाने वाले राजस्व में 30% कई वृद्धि कर दी गई.
- अक्टूबर 31, 2019 14:39 pm IST
- अमित
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भारत के विभाजन और स्वतंत्रता में महाशक्तियों की भूमिका
कम लोगों को पता होगा कि 18वीं, 19वीं सदी तक भारत दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में एक था. इस वजह से दुनिया के कारोबारियों और हुक्मरानों की नज़र भारत पर होती थी. यूरोप ही नहीं, रूस और अमेरिका तक भारतीय जगमगाहट का जलवा था. बेशक, भारत की गुलामी और आज़ादी के सारे अभिशाप और वरदान भारत की ही कोख से निकले थे, लेकिन दुनिया भर का पर्यावरण अपनी-अपनी तरह से इन प्रक्रियाओं को पोषण दे रहा था.
- अगस्त 15, 2019 17:31 pm IST
- अमित
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ट्रिनिटी: "मैं महाकाल हूँ, मैं ही ईश्वर हूँ", परमाणु परीक्षण पर याद आए गीता के श्लोक
विनोबा भावे ने कहा है विज्ञान जब राजनीति के साथ मिलती है तो विनाश का जन्म होता है. सभी शीर्ष वैज्ञानिक चाहते थे कि परमाणु बमों की जानकारी सोवियत रूस (जो उस समय मित्र राष्ट्रों के साथ था) भी दी जानी चाहिए. अमेरिका ने ऐसा नहीं किया. इसी दौरान रुजबेल्ट की मौत हो चुकी थी. ट्रूमैन अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने. उनका मानना था कि जर्मनी ने सही तो जापान पर बम गिराकर युद्ध समाप्त किया जाए. अब परीक्षण की बारी आई, 16 जुलाई, 1945, समय सुबह 5:29... प्लूटोनियम वाले 'the Gadget' (जो आगे फैटमैन बना) को एक टावर पर रखा गया.
- जुलाई 16, 2019 00:10 am IST
- अमित
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NJAC: रंगनाथ पांडेय रिटायर हुए हैं, उनका उठाया गया मुद्दा नहीं...
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रंगनाथ पांडेय ने अपने रिटायमेंट से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति बंद कमरों में चाय पर चर्चा करते-करते हो जाती है. यहां कोई पारदर्शिता नहीं है. नियुक्ति में भाई-भतीजावाद और जातिवाद हावी है. जिसका मतलब है कि जजों के बच्चे या रिश्तेदार ही जज बनते हैं.
- जुलाई 08, 2019 20:10 pm IST
- अमित
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पं. नेहरू जिस बात पर अमल कर चुके हैं पीएम मोदी ने कही वही बात
इतिहास की उल्टी व्यख्या नहीं हो सकती. (जैसे 'समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाए) व्यक्ति एक-दूसरे के कार्यों से प्रेरणा ले सकते हैं, लेते हैं. कई बार देश की परंपराएं इतनी गहरी धंसी होती हैं कि, कभी ये किसी के कार्यों के द्वारा, तो कभी किसी के शब्दों के द्वारा प्रकट हो जाती हैं. अपनी वैचारिक मान्यताओं और सुविधा के कारण हम उन्हें किसी व्यक्ति या समूह से जोड़ देते हैं.
- मई 28, 2019 09:15 am IST
- अमित