विज्ञापन
This Article is From Dec 18, 2021

'बूस्टर क्यों जरूरी है?' भारत के संदर्भ में ब्रिटिश डॉक्टर का दृष्टिकोण

Dr Amit Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 18, 2021 13:18 pm IST
    • Published On दिसंबर 18, 2021 13:18 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 18, 2021 13:18 pm IST

पिछला वैरिएंट अभी गया भी नहीं कि नए का ख़तरा मँडराने लगा है. डेल्टा  वैरिएंट के मामले कम हो गए थे, मास्क हटने लगे थे, तभी शादियों का मौसम आ गया और लगा कि जीवन सामान्य  होने को है लेकिन अफसोस कि ओमिक्रॉन यह सब बदल सकता है.

डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन लगभग 4 गुना तेजी से फैलता है. ब्रिटेन में लगभग 40 प्रतिशत मामले इसी के हैं और अनुमान है कि क्रिसमस तक ये डेल्टा की जगह ले लेगा. ये वैरिएंट अब कोविड मामलों को हर दो दिन में दोगुना कर रहा है. 15 दिसंबर को यूके ने 78  हज़ार मामले दर्ज किए थे. इस महामारी के शुरू होने के बाद की दर देखें तो यह एक रिकॉर्ड है.

भारत में वायरस के नए वैरिएंट के अब तक 100 मामले सामने आए हैं. यह निश्चित रूप से असली आँकड़ों से कम है. सबसे पहले, वैरिएंट के लिए  ‘जेनेटिक स्क्रीनिंग' यानि  आनुवंशिक जांच सीमित है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पास प्रति दिन करीब 100 सैम्पल आते हैं, जबकि ब्रिटेन की लगभग आधी प्रयोगशालाएं इस वैरिएंट की जाँच में सक्षम हैं. दूसरे, स्क्रीनिंग अभी भी उनकी हो रही है जो विदेश से आ रहे हैं जबकि ‘लोकल ट्रांसमिशन'हो चुका है. और महत्वपूर्ण बात ये कि इसके लक्षण ऐसे हैं कि परीक्षण की संभावना कम हो जाती है. अधिक लोग सामान्य सर्दी के लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं और गंध की कमी और तेज बुखार जैसे स्पष्ट लक्षणों की कम रिपोर्ट है. 

दक्षिण अफ्रीका के हालात से लगता है कि ओमिक्रॉन का प्रभाव हल्का फुल्का हो सकता है. डेल्टा के 3% की तुलना में इसकी मृत्यु दर 0.5% है लेकिन जिस तेज़ी से ये फैला है, उस पर नज़र डालें तो ये आँकड़ा कम आशावादी दिखाई देगा. सीधे शब्दों में कहें तो ये 0.5% बड़ी संख्या में तब्दील हो सकता है यदि वायरस समाज में बड़े पैमाने पर फैल जाए. यूके में इसके मामलों की रिकॉर्ड संख्या है और अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में हर हफ़्ते  10% और लंदन में 30% तक की वृद्धि हुई है. मृत्यु के आँकड़े कुछ हफ़्ते बाद ही आते हैं, इसलिए नए साल में बुरी ख़बर मिल सकती है. दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का मात्र एक चौथाई है. यह समझना मुश्किल नहीं है कि कथित रूप से कम घातक लेकिन बहुत अधिक संक्रामक वायरस का स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत दबाव पड़ेगा और बड़ी संख्या में मौतें हो सकती हैं.

‘हल्का फुल्का रोग' का टैग अप्रमाणित है. अगर ये सच है तब भी यह स्पष्ट नहीं कि यह वायरस कमज़ोर है या कि वैक्सीन या संक्रमण से प्राप्त ‘इम्यूनिटी' से कमजोर हुआ है. जब तक हम नहीं जानते, हमें दूसरी बात को मान लेना चाहिए. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस बात को ज़ोर देकर कहा है. दक्षिण अफ्रीका में हाल ही में (जुलाई से नवंबर) तीसरी लहर आई, जिस से समझ में आता है कि टीकाकरण के अपेक्षाकृत निम्न स्तर (26%) की भरपाई मज़बूत ऐंटीबॉडीज़ से हो सकती है. 

मास्किंग, हाथ धोने आदि की सामान्य सलाह के अलावा सबसे सही बचाव है ‘इम्यूनिटी' को मज़बूत करना. आँकड़ों से स्पष्ट है कि टीके की दो खुराक से 6 महीने की सुरक्षा हो जाती है. तीसरा  टीका वायरस के फैलाव को नहीं रोक सकता लेकिन गंभीर बीमारी से सुरक्षा दे सकता है. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यूके और
यूरोपीय संघ ने अपनी आबादी को तीसरी खुराक देने की मुहिम तेज़ कर दी है और ऐसे सभी वयस्कों को बूस्टर की पेशकश की जा रही है जिन्हें दूसरा टीका लगे तीन महीने से ऊपर हो चुके हैं. टीकाकरण केंद्रों पर बड़ी कतारें हैं और प्रति दिन लगभग 10 लाख टीके लगाए जा रहे हैं. 

भारत में एक दिन में औसतन लगभग 80 लाख टीके लग रहे हैं. इसके उत्पादन और आपूर्ति के मज़बूत इंतज़ाम हैं, फिर भी दो टीके प्राप्त करने वाले लोगों की आबादी 38% ही है. टीकाकरण अभियान में बुजुर्गों और स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता दी गई थी उनमें से अधिकांश को दूसरा टीका लिए छह महीने से ऊपर हो गए हैं. ऐसे में ओमिक्रॉन उनके लिए एक बड़ा ख़तरा है. चाहे सभी वयस्कों के लिए ना सही, इस आबादी के लिए  बूस्टर शुरू करने की ज़रूरत है. देश में सभी को दो टीके लगाने की मुहिम में रुकावट डाले बग़ैर ये काम हो सकता है.

आने वाले समय में हम चाहे किसी भी नतीजे पर पहुँचें, आज इसे कमज़ोर वायरस समझना ठीक नहीं होगा. इस समय हमें हर तरह से इसका मुक़ाबला करना चाहिए. वरना, कहीं ऐसा ना हो कि लोगों की लापरवाही, राज्यों के विधान सभा चुनाव और ठंड का मौसम किसी बड़े संकट की वजह बन जाए. इसलिए, बूस्टर का लगना अनिवार्य है.

(डॉ. अमित गुप्ता ऑक्सफोर्ड में न्यूबॉर्न सर्विसेज़ के क्लिनिकल डायरेक्टर हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण):इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
BLOG : हिंदी में तेजी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना जरूरी है!
'बूस्टर क्यों जरूरी है?' भारत के संदर्भ में ब्रिटिश डॉक्टर का दृष्टिकोण
बार-बार, हर बार और कितनी बार होगी चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा
Next Article
बार-बार, हर बार और कितनी बार होगी चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com