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    एक करोड़ का पैकेज भी होता होगा, लेकिन IIT वालों के लिए ज़मीनी हकीकत कुछ और है...

    मीडिया में इस तरह के हालात की कुछ ख़बरें दिखती हैं, लेकिन सब छिप जाती हैं, जब एक करोड़ से ज़्यादा तनख्वाह वाली कोई नौकरी किसी को मिल जाती है. इस रिपोर्ट में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के उस विद्यार्थी की बात की जाती है, जो कोर क्षेत्र में नौकरी करना चाहता था, लेकिन माता-पिता के ज़ोरदार दबाव में उसने बैंकिंग की नौकरी कबूल कर ली. एक और विद्यार्थी ने 30 लाख रुपये की पेशकश मिलने पर कहा, "लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझसे एक करोड़ रुपये वाले पैकेजों के बारे में कहा था, जिनके बारे में उन्होंने पढ़ा है..."

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    क्या IIT-JEE सचमुच दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा है?

    वास्तव में बड़ा सवाल यह है कि क्यों IIT प्रवेश परीक्षा या JEE के लिए अब तक बहुविकल्पी प्रश्नों वाले फॉरमैट का इस्तेमाल करते हैं. यह फॉरमैट मशीन द्वारा ग्रेडिंग को संभव बनाने के लिए अपनाया गया था, और फिर लगातार बढ़ती आवेदकों की संख्या की वजह से ज़रूरत बन गया. उन पेपरों का मूल्यांकन, जिनमें हर 'लम्बे' जवाब को पढ़ा जाना होता था, असंभव होता जा रहा था, क्योंकि IIT के पास मानवीय रूप से पेपर जांचे जाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे. इस समस्या का एक संभव हल यह था कि इस काम को आउटसोर्स कर दिया जाए, लेकिन IIT अपनी परीक्षा की निष्पक्षता की जी-जान से हिफाज़त करती रही हैं, और कभी किसी बाहरी एजेंसी को शामिल नहीं किया. यह भी हो सकता है कि लगभग 12 साल पहले जिस वक्त MCQ फॉरमैट को अपनाया गया था, उस वक्त किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यह इतनी गंभीर समस्याएं पैदा कर देगा.

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