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चेहरे पर साबुन नहीं, गोमूत्र! विदेशी गोरी मैम का ये प्रयोग देख हिल गया इंटरनेट

Viral Video: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने लोगों को हैरान कर दिया है. इसमें एक विदेशी महिला दक्षिण सूडान की एक जनजाति की परंपरा को अपनाते हुए गाय के मूत्र से हाथ और चेहरा धोती नजर आ रही है.

चेहरे पर साबुन नहीं, गोमूत्र! विदेशी गोरी मैम का ये प्रयोग देख हिल गया इंटरनेट
जब विदेशी महिला ने गाय के मूत्र से धोया मुंह, दक्षिण सूडान की जनजाति बनी चर्चा का विषय

Cow Urine Face Wash: दक्षिण सूडान को दुनिया के सबसे कम देखे जाने वाले देशों में गिना जाता है. यहां आज भी कई ऐसी जनजातियां रहती हैं, जिनका जीवन आधुनिक दुनिया से बिल्कुल अलग है. इन्हीं में से एक है मुंडारी जनजाति, जिसकी परंपराएं इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई हैं. हाल ही में एक विदेशी टूरिस्ट ने इस जनजाति के बीच समय बिताया और उनकी परंपरा को खुद आजमाया. वीडियो में महिला गाय के मूत्र से अपने हाथ और चेहरा धोती दिख रही है. यही वीडियो अब इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है.

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क्यों इस्तेमाल होता है गोमूत्र? जनजाति का दावा (Why Cow Urine Is Used by Mundari Tribe)

मुंडारी जनजाति के लोगों के लिए गाय सिर्फ पशु नहीं, बल्कि जीवन का केंद्र है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, गाय का मूत्र प्राकृतिक एंटीसेप्टिक, कीट निवारक और सनस्क्रीन की तरह काम करता है. गर्मी, तेज धूप और मच्छरों से भरे इलाके में यह उनकी सुरक्षा का एक पारंपरिक तरीका माना जाता है. वायरल वीडियो में महिला बताती है कि गोमूत्र से मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों से बचाव होता है. जनजाति के लोग रोजमर्रा की जिंदगी में इससे नहाते हैं और यहां तक कि बालों के रंग के लिए भी इसका उपयोग करते हैं.

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इंस्टाग्राम पर शेयर हुआ अनुभव (Tourist Uses Cow Urine)

यह वीडियो इंस्टाग्राम हैंडल @gizastruthtravel से शेयर किया गया है. पोस्ट के कैप्शन में टूरिस्ट लिखती है कि दक्षिण सूडान में गाय का कोई भी हिस्सा बेकार नहीं जाता. उसके मूत्र का इस्तेमाल प्राकृतिक कीटनाशक और एंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता है. महिला का कहना है कि अमोनिया की वजह से उनके बालों का रंग हल्का नारंगी हो गया है, जो मुंडारी जनजाति की पहचान भी मानी जाती है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इस अनुभव के दौरान उन्हें मलेरिया नहीं हुआ, जिससे उन्हें यह तरीका प्रभावी लगा.

सोशल मीडिया पर बंटी राय (South Sudan cow traditions)

इस वायरल वीडियो पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं. कुछ लोगों ने इसे अजीब और असहज बताया, तो कुछ ने जनजातीय ज्ञान और प्रकृति से जुड़े जीवन की तारीफ की. एक यूजर ने लिखा कि आधुनिक तकनीक खत्म हो जाए, तो ऐसी जनजातियां ही सबसे पहले खुद को बचा पाएंगी. वहीं कुछ यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या इंसानों को जानवरों पर इस तरह निर्भर होना चाहिए. किसी ने इसे सांस्कृतिक सम्मान बताया, तो किसी ने शिक्षा और आधुनिक सोच पर तंज कसा.

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अनोखी जनजातीय परंपरा (Tribal Lifestyle South Sudan)

यह वायरल वीडियो सिर्फ चौंकाने वाला दृश्य नहीं है, बल्कि यह दुनिया की उन संस्कृतियों की झलक दिखाता है, जो आज भी प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जी रही हैं यह खबर बताती है कि आधुनिक नजरिए से अजीब लगने वाली परंपराओं के पीछे कई बार व्यावहारिक कारण भी हो सकते हैं. दक्षिण सूडान की मुंडारी जनजाति और गोमूत्र से जुड़ी यह परंपरा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है. कोई इसे अंधविश्वास कह रहा है, तो कोई इसे सदियों पुराना प्राकृतिक विज्ञान, लेकिन इतना तय है कि यह वायरल वीडियो हमें दुनिया की विविध संस्कृतियों को समझने और सम्मान देने का मौका जरूर देता है.

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