
रेलवे हमेशा से हमारे देश की लाइफलाइन रही है. लाखों लोग रोजाना ट्रेनों से सफर करते हैं. लेकिन कई बार यात्री ऐसी हरकतें कर बैठते हैं, जिनसे न सिर्फ दूसरे लोगों को दिक्कत होती है बल्कि सोशल मीडिया पर बहस भी छिड़ जाती है. हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया जब एक यात्री ने ट्रेन की अपर बर्थ पर कपड़े सूखते देखे और उसकी तस्वीर इंटरनेट पर डाल दी. इसके बाद तो लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई.
केवल इंडियन रेलवे में...
वायरल तस्वीर को Mysuru–Jaipur Express से ली गई है. फोटो को सबरेडिट r/IndianCivicFails पर शेयर किया गया है. कैप्शन में लिखा है- केवल इंडियन रेलवे में...यूजर ने मजाकिया अंदाज में बताया कि- 15 अगस्त 2025, करीब सुबह के 10 बजे. बेंगलुरु (एसबीसी) - जयपुर (जेपी) सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या - 12975/12976)... AC कोच की सीट न मिल पाई, लेकिन इस "फ्री लॉन्ड्री सर्विस" का नजारा जरूर देखने को मिल गया.
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर
यूजर ने ट्रेन में सफर करते समय देखा कि किसी ने अपनी अपर बर्थ को कपड़े सुखाने वाली जगह बना ली है. उन्होंने तुरंत इसकी फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दी. फोटो वायरल होते ही लोग दो हिस्सों में बंट गए—कुछ ने इसे ‘बेहद शर्मनाक' बताया, तो कुछ ने कहा कि “गांव-देहात के लोग ऐसे ही सीधे-साधे होते हैं, इसमें इतनी बड़ी बात नहीं हैं.”
Only in Indian Railways [OC]
byu/edging_all_night inIndianCivicFails
यात्रियों की राय में बंटवारा
इस तस्वीर पर कई लोगों ने नाराज़गी जताई कि रेलवे सफाई और सुविधाओं पर करोड़ों खर्च करता है, लेकिन ऐसे यात्री नियमों और शिष्टाचार की धज्जियां उड़ाते हैं. वहीं कुछ लोग बोले कि “हो सकता है उस यात्री के पास कोई विकल्प न रहा हो. लंबी यात्रा के दौरान कपड़े धोना- सुखाना कुछ लोगों के लिए मजबूरी होती है.” इस बहस ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर ट्रेन में अनुशासन और सुविधा दोनों को कैसे संतुलित किया जाए.
रेलवे की सख्त हिदायतें
रेलवे नियमों के मुताबिक, यात्री ट्रेन में इस तरह का काम नहीं कर सकते. कपड़े सुखाना, खाना पकाना या अन्य निजी गतिविधियां ट्रेनों की सुरक्षा और स्वच्छता दोनों के खिलाफ हैं. ऐसे मामलों में रेलवे पेनल्टी भी लगा सकता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ जुर्माने से आदत बदलेगी या हमें खुद अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी? यह घटना एक छोटी सी तस्वीर से शुरू हुई बहस है, लेकिन असल में यह हमारी सामाजिक आदतों और जिम्मेदारियों का आईना दिखाती है. जब तक हम खुद नियमों का पालन नहीं करेंगे, तब तक केवल नियम बनाकर कुछ हासिल नहीं होगा.
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