इस्लामाबाद/नई दिल्ली:
भारत द्वारा हिंदुओं के दमन पर चिता जताने के बीच पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध प्रांत में हिंदुओं से मिलकर उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाने के लिए सांसदों की एक तीन सदस्यीय समिति गठित की है। जरदारी ने यह कदम तब उठाया, जब तमाम हिंदू परिवारों ने अपना घर-बार छोड़कर पाकिस्तान से पलायन का निर्णय लिया।
पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) द्वारा जारी रपट के अनुसार, सिंध प्रांत में हिंदुओं के भीतर असुरक्षा की भावना से सम्बंधित खबरों को जरदारी ने गम्भीरता से लिया है और सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हिंदुओं की शिकायतें दूर की जाएं और उस बारे में रपट उन्हें सौंपी जाए।
पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर भारत में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि राष्ट्रपति ने सांसदों की एक तीन सदस्यीय समिति भी गठित की है, जो सिंध प्रांत के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेगी और उनकी तरफ से तथा सरकार की ओर से हिंदुओं के प्रति सहानुभूति जाहिर करेगी और उनकी सुरक्षा व बेहतरी का उन्हें भरोसा दिलाएगी।
इस समिति में सीनेटर हरि राम, नेशनल एसेम्बली के सदस्य लालचंद और संघीय मंत्री मौला बख्श चंदियो शामिल हैं।
ज्ञात हो कि लगभग 250 हिंदू स्थानीय अधिकारियों को यह वादा कर भारत चले गए कि तीर्थयात्रा पूरी होने के बाद वे वापस लौट आएंगे।
पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का भारत में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिंदुओं के खिलाफ पाकिस्तान के रवैये का विरोध किया।
भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कहा, "सरकार को देखना चाहिए कि क्या वे यहां रहना चाहते हैं या फिर वापस जाना चाहते हैं। हम सरकार से कार्रवाई की मांग करते हैं। हम पूरे देश को हिंदुओं के खिलाफ पाकिस्तान के रवैये को दिखाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा, "वर्तमान की लोकतांत्रिक सरकार की प्रमुख प्राथमिकता अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण और उन्हें सशक्त करना है।"
250 हिंदू परिवारों का भारत आगमन ऐसे समय पर हो रहा है जब पाकिस्तान में अल्पसंख्यक दिवस मनाया जा रहा है।
आंतरिक मंत्री रहमान मलिक ने गुरुवार रात सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि यह पाकिस्तान के खिलाफ एक साजिश है और पूछा कि पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग ने हिंदुओं को इतनी बड़ी संख्या में वीजा क्यों दिए? यही नहीं मलिक ने हिंदुओं को सिंध के जकोबाबाद से आगे तबतक नहीं बढ़ने दिया, जबतक कि उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं कर लिया कि वे भारत में शरण नहीं लेंगे, बल्कि तीर्थ करने के बाद वापस लौट आएंगे।
पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) द्वारा जारी रपट के अनुसार, सिंध प्रांत में हिंदुओं के भीतर असुरक्षा की भावना से सम्बंधित खबरों को जरदारी ने गम्भीरता से लिया है और सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हिंदुओं की शिकायतें दूर की जाएं और उस बारे में रपट उन्हें सौंपी जाए।
पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर भारत में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि राष्ट्रपति ने सांसदों की एक तीन सदस्यीय समिति भी गठित की है, जो सिंध प्रांत के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेगी और उनकी तरफ से तथा सरकार की ओर से हिंदुओं के प्रति सहानुभूति जाहिर करेगी और उनकी सुरक्षा व बेहतरी का उन्हें भरोसा दिलाएगी।
इस समिति में सीनेटर हरि राम, नेशनल एसेम्बली के सदस्य लालचंद और संघीय मंत्री मौला बख्श चंदियो शामिल हैं।
ज्ञात हो कि लगभग 250 हिंदू स्थानीय अधिकारियों को यह वादा कर भारत चले गए कि तीर्थयात्रा पूरी होने के बाद वे वापस लौट आएंगे।
पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का भारत में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिंदुओं के खिलाफ पाकिस्तान के रवैये का विरोध किया।
भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने कहा, "सरकार को देखना चाहिए कि क्या वे यहां रहना चाहते हैं या फिर वापस जाना चाहते हैं। हम सरकार से कार्रवाई की मांग करते हैं। हम पूरे देश को हिंदुओं के खिलाफ पाकिस्तान के रवैये को दिखाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा, "वर्तमान की लोकतांत्रिक सरकार की प्रमुख प्राथमिकता अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण और उन्हें सशक्त करना है।"
250 हिंदू परिवारों का भारत आगमन ऐसे समय पर हो रहा है जब पाकिस्तान में अल्पसंख्यक दिवस मनाया जा रहा है।
आंतरिक मंत्री रहमान मलिक ने गुरुवार रात सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि यह पाकिस्तान के खिलाफ एक साजिश है और पूछा कि पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग ने हिंदुओं को इतनी बड़ी संख्या में वीजा क्यों दिए? यही नहीं मलिक ने हिंदुओं को सिंध के जकोबाबाद से आगे तबतक नहीं बढ़ने दिया, जबतक कि उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं कर लिया कि वे भारत में शरण नहीं लेंगे, बल्कि तीर्थ करने के बाद वापस लौट आएंगे।
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