
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपदा प्रबंधन को राहत-केंद्रित से बचाव-केंद्रित बनाने की सरकार की रणनीति बताई.
- उन्होंने कहा कि सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए SDRF-NDRF को 2014-2024 में लगभग दो लाख करोड़ रुपये आवंटित किए.
- साथ ही कहा कि 1999 के ओडिशा चक्रवात में हजारों मौतें हुईं, जबकि हाल के दो चक्रवातों में कोई हताहत नहीं हुआ.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘आपदा प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण' पर गृह मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले आपदा प्रबंधन राहत-केंद्रित था, जिसे मोदी सरकार ने बचाव-केंद्रित बनाया. पिछले 10 वर्षों में नीति, संस्थागत और वित्तीय स्तर पर कई अहम फैसले लिए गए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की रणनीति चार स्तंभों—क्षमता निर्माण, तीव्रता, दक्षता और सटीकता पर आधारित है.
उन्होंने बताया कि 1999 के ओडिशा चक्रवात में 10,000 मौतें हुई थीं, जबकि 2023 के बिपरजॉय और 2024 के दाना चक्रवात में कोई हताहत नहीं हुआ. चक्रवातों से नुकसान में 98% और हीटवेव से मौतों में उल्लेखनीय कमी आई है.
SDRF और NDRF को 2 लाख करोड़ दिए: शाह
साथ ही कहा कि 2004 -2014 में SDRF और NDRF को 66 हजार करोड़ रुपए दिए गए थे, 2014-2024 के 10 वर्ष में करीब तीन गुना बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपए कर दिए गए. शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के लिए 13,693 करोड़ रुपये और राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) के लिए 32,031 करोड़ रुपये भी आवंटित किए हैं. NCRMP के तहत चक्रवात आश्रय बनाए गए और 92,995 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया गया.
1 लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया: शाह
उन्होंने बताया कि ‘आपदा मित्र' और ‘युवा आपदा मित्र' योजनाओं के तहत 1 लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है. ‘सचेत ऐप' के प्रचार पर भी जोर दिया गया. शाह ने कहा कि आपदा से जुड़ी जानकारी सभी सांसदों को भेजी जाएगी.
बैठक में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, बंडी संजय कुमार, समिति के सदस्य और NDMA, NDRF, NIDM समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
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