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लेबनान में हिजबुल्लाह से अब शांति क्यों चाहता है इजरायल, क्या है मजबूरी

बार्डुगो ने आगामी समझौते के बारे में कहा कि इजरायल अपने किसी भी पड़ोसी देश में एक आतंकवादी राज्य को उभरने ही देगा. इजरायल लेबनान में अपनी कार्रवाई की स्वतंत्रता बनाए रखेगा. बार्डुगो ने कहा कि बाकी सब सिर्फ बातें हैं.

लेबनान में हिजबुल्लाह से अब शांति क्यों चाहता है इजरायल, क्या है मजबूरी
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू.
नई दिल्ली:

Israel - Lebanon Truce: इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकाने पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं. लेबनान में सरकार से अलग हिजबुल्लाह का अलग दबदबा रहा है. हिजबुल्लाह आतंकी गठबंधन कहा जाता है जो कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है. ऐसे में इजरायल की गाज़ा पर लगातार कार्यवाही और हमास के प्रमुख नेताओं की हत्या के बाद से हिजबुल्लाह ने भी इजरायल पर मिसाइलें दागीं. इसके बाद इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. अब इजरायल की सेनाएं भी गाज़ा के बाद लेबनान में घुसकर तबाही मचा रही हैं. अब हर तरफ से दोनों पर दबाव बना है कि शांति समझौता किया जाए. ऐसे में इजरायल समझौते के लिए तैयार हो गया है. खबरें आ रही है कि इजरायल ने लेबनान के साथ शांति समझौते के मसौदे को तैयार कर लिया है. 

संदेश दे रहे नेतन्याहू के सहयोगी

येरुसेलम पोस्ट के अनुसार चैनल 14 के जरिए बताया जा रहा है कि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू लेबनान के साथ शांति चाहते  हैं. चैनल पर नेतन्याहू के  तमाम सहयोगी समझौते के समर्थन में अपनी बात रख रहे हैं. यह बातें याकोव बार्डुगो से लेकर एरेल सेगल तक कई सहयोगी इस चैनल के माध्यम से बोल चुके हैं. 

पड़ोस में आतंकवादी राज्य नहीं चाहता इजरायल

बार्डुगो ने आगामी समझौते के बारे में कहा कि इजरायल अपने किसी भी पड़ोसी देश में एक आतंकवादी राज्य को उभरने ही देगा. इजरायल लेबनान में अपनी कार्रवाई की स्वतंत्रता बनाए रखेगा. बार्डुगो ने कहा कि बाकी सब सिर्फ बातें हैं.

सेना को राहत देना है चाल

कुछ लोगों का कहना है कि इजरायल पर समझौते का दबाव इसलिए भी है ताकि उसकी सेना को कुछ समय मिल सके. पिछले काफी समय से इजरायल की सेना युद्ध के मैदान में व्यस्त है और सैनिकों को लंबे समय से ठीक से आराम नहीं मिला है. चैनल में नेतन्याहू के  सहयोगी बार्डुगो ने कहा है कि उत्तरी लेबनान से जो सकारात्मक पहलू निकला है  वह यह रहा है कि यहां पर बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो हिजबुल्लाह से छुटकारा चाहते हैं. 

ट्रंप की ताजपोशी का इंतजार

एक अन्य नेतन्याहू के सहयोगी यिनॉन मैगल ने समझौते के लाभों को सूचीबद्ध करते हुए एक्स/ट्विटर पर एक पोस्ट किया है. अन्य बातों के अलावा, मैगल ने समझौते के कुछ बिंदुओं के बारे में बताया है. उसमें नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण तक अगले दो महीनों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इजरायल के खिलाफ वोट को रोकना, नियमित और आरक्षित बलों को ताज़ा और मजबूत करना, युद्ध सामग्री, मिसाइलों को बहाल करना. साथ ही गोले, और हथियार, उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों के बीच संबंध तोड़ना, हमास को अलग-थलग करना और शेष 101 बंधकों के संबंध में उस पर दबाव बढ़ाना. मैगल की पोस्ट में अनिवार्य रूप से उन संपूर्ण वार्ता बिंदुओं को बताया गया है जिनका उपयोग प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू समझौते को बढ़ावा देने के लिए करेंगे.

हमास को दिया जा सके संदेश

इससे पहले सोमवार को, प्रधानमंत्री के करीबी श्लोमो फिल्बर ने एक्स पर पोस्ट किया था कि "इजरायल को लड़ाई से छुट्टी की जरूरत है," अपने तर्क को विस्तार से बताते हुए फिल्बर ने कहा कि उत्तरी मोर्चे को बंद करने से बंदियों की वापसी और दक्षिण में युद्धविराम हासिल करने के लिए एक समझौते के लिए सुविधा होगी. हमास को यह एहसास होगा कि वह अकेला रह गया है, पीटा गया है और लगभग नष्ट हो गया है. 

बाइडेन से टकराव को टालना

जानकारों का कहना है कि नेतन्याहू का इरादा समझौते को बढ़ावा देने और राजनयिक तर्कों के माध्यम से लोगों को इसकी आवश्यकता के बारे में समझाने का है. जनवरी में राष्ट्रपति ट्रंप के सत्ता में आने से पहले युद्धविराम हासिल करने की आवश्यकता और अपने अंतिम महीनों में बाइडेन प्रशासन के साथ गंभीर टकराव से बचने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं.

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