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This Article is From Jul 08, 2020

विदेशी छात्र वीजा मामला: ट्रंप प्रशासन के आदेश से चीन और भारत होंगे सर्वाधिक प्रभावित, जानें किस देश के कितने स्‍टूडेंट..

अमेरिका में इस समय 10 लाख से ज्यादा इंटरनेशनल छात्र हैं, जिनमें बड़ी संख्या में चीन, भारत, साउथ कोरिया, सउदी अरब और कनाडा जैसे देशों के छात्र शामिल हैं. संख्‍यावार देखें तो चीनी के सर्वाधिक तीन लाख 70 हजार छात्र इस समय अमेरिका में अध्‍ययन कर रहे हैं,

विदेशी छात्र वीजा मामला: ट्रंप प्रशासन के आदेश से चीन और भारत होंगे सर्वाधिक प्रभावित, जानें किस देश के कितने स्‍टूडेंट..
भारत के दो लाख से अधिक स्‍टूडेंट इस समय अमेरिका में पढ़ रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)

कोरोना वायरस की महामारी के बीच अमेरिका के डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन (Donald Trump Administration)का ताजा आदेश वहां अध्‍ययन कर रहे भारतीय सहित विदेशी छात्रों के लिए मुश्किल का कारण बन सकता है. अमेरिका (USA) ने ऐलान किया है कि ऐसे छात्रों का वीजा (Student Visa Row) वापस ले लिया जाएगा जिनकी क्लासेज केवल ऑनलाइन (Online) मॉडल पर हो रही है. गौरतलब है कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण स्‍कूल, यूनिवर्सिटी समेत शैक्षणिक संस्‍थान बंद हैं और ऑनलाइन क्‍लॉसेज चल रही हैं. अमल में लाए जाने पर इस फैसले से सबसे ज्‍यादा चीनी और भारतीय मूल के छात्र प्रभावित होंगे. अनुमान के अनुसार, अमेरिका में इस समय 10 लाख से ज्यादा इंटरनेशनल छात्र हैं, जिनमें बड़ी संख्या में चीन, भारत, साउथ कोरिया, सउदी अरब और कनाडा जैसे देशों के छात्र शामिल हैं. संख्‍यावार देखें तो चीनी के सर्वाधिक तीन लाख 70 हजार छात्र इस समय अमेरिका में अध्‍ययन कर रहे हैं, इस मामले में दूसरे स्‍थान पर भारत है, हमारे देश के दो लाख से कुछ अधिक स्‍टूडेंट अमेरिका में पढ़ रहे हैं. तीसरे स्‍थान पर दक्षिण कोरिया के छात्र हैं, इस देश के 52 हजार छात्र अमेरिका में पढ़ रहे हैं.

अमेरिका में विभिन्‍न देशों के स्‍टूडेंट की संख्‍या
चीन- 3,70000 
भारत-202000
साउथ कोरिया-52000
सऊदी अरब-37000
कनाडा-26000
वियतनाम-24000
ताईवान- 23000
जापान-18000 
ब्राजील-16000
मैक्सिको-15000 
आंकड़े: एकेडमिक ईयर 2018-19 के हैं.

गौरतलब है कि अमेरिका के इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट (आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग) की तरफ से एक बयान जारी करके कहा गया कि नॉनइमिग्रैंट F-1 और M -1 छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा जिनकी केवल ऑनलाइन क्लासेज चल रही है. विभाग के अनुसार ऐसे छात्रों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी या फिर अगर वह अभी भी अमेरिका में रह रह हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़कर अपने देश जाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो ऐसे छात्रों को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. ICE के अनुसार, F-1 के छात्र अकैडमिक कोर्स वर्क में हिस्सा लेते हैं जबकि M-1 स्टूडेंट 'वोकेशनल कोर्सवर्क' के छात्र होते हैं. हालांकि अमेरिका की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज ने अब तक अगले सेमेस्टर के लिए योजना के बारे में नहीं बताया है. 

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