
- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी कि पश्चिमी देशों की सेना की तैनाती को वैध सैन्य लक्ष्य मानेंगे.
- यूरोप के 26 देशों ने यूक्रेन की सुरक्षा के लिए शांति समझौते के बाद सैनिक तैनात करने का संकल्प लिया है.
- यूक्रेन में रूस के साथ जारी संघर्ष में हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लाखों विस्थापित हो गए हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार, 5 सितंबर को चेतावनी दी कि अगर यूक्रेन में पश्चिमी देश अपनी सेना को तैनात करते हैं तो उसे रूस की सेना एक "वैध" लक्ष्य मानेगी यानी उनपर सीधा हमला करेगी. दरअसल एक दिन पहले ही यूरोप के 26 देशों ने शांति समझौते के बाद यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी के लिए अपनी सेना को तैनात करने की बात कही है. ऐसे में पुतिन ने उन्हें साफ धमकी दी है.
फरवरी 2022 में रूस द्वारा शुरू किए जंग को समाप्त करने के लिए शांति समझौते की कोशिश की जा रही है. ऐसे में फ्रांस और ब्रिटेन के नेतृत्व में कुल 26 देशों ने वादा किया है कि वो सीजफायर के बाद यूक्रेन की सुरक्षा के लिए जमीन, समुद्र और हवा में ‘रिएश्योरेंस फोर्स' तैनात करेंगे.
यूक्रेन का कहना है कि पश्चिमी सैनिकों द्वारा समर्थित सुरक्षा गारंटी, किसी भी समझौते के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रूस भविष्य में अपना आक्रमण दोबारा शुरू न करे.
पुतिन की चेतावनी
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में एक इकनॉमिक मंच पर पुतिन ने कहा, "अगर कुछ सैनिक वहां दिखाई देते हैं, खासकर अब लड़ाई के दौरान, तो हम इस आधार पर आगे बढ़ते हैं कि वे वैध लक्ष्य होंगे."
उन्होंने कहा कि इस तरह के बल की तैनाती लंबी शांति के लिए सही नहीं है, साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिम के साथ यूक्रेन के करीबी सैन्य संबंध ही इस संघर्ष के "मूल कारणों" में से एक हैं.
यूक्रेन की सुरक्षा का वादा कर रहे पश्चिमी देश
यूक्रेन में शांति समझौता होने पर उसकी सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने के लिए गुरुवार को एक शिखर सम्मेलन हुआ. इस गठबंधन का नाम कीव “कोएलिशन ऑफ विलिंग्स” है. इस शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस भी किया गया.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने शिखर सम्मेलन के बाद मीडिया से कहा, "आज हमारे पास 26 देश हैं जिन्होंने औपचारिक रूप से प्रतिबद्धता जताई है कि यूक्रेन में ‘रिएश्योरेंस फोर्स' के रूप में सैनिकों को जमीन पर, समुद्र में या हवा में मौजूद रहने के लिए तैनात किया जाएगा. कुछ अन्य देशों ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है." उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह पता चलेगा कि अमेरिका इसमें अपना समर्थन देगा या नहीं.
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