प्रतीकात्मक तस्वीर
कराची:
पाकिस्तान के तीन बच्चों की रहस्यमयी बीमारी ने डॉक्टरों को चकित कर दिया है, जो कि सूरज ढलने के बाद इन बच्चों को पूरी तरह अशक्त बना देती है।
गांव में सौर बच्चों के नाम से जाने जाते हैं ये
ये तीनों बच्चे क्वेटा से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित मियां कुंडी के रहने वाले हैं, जिनका नाम शोएब (1 साल), राशिद (9 साल) और इलयास हाशिम (13 साल) हैं। वे दिन में आम बच्चों की तरह ही पूरी तरह से ऊर्जावान रहते हैं, सूरज ढलते ही चलने फिरने में भी लाचार हो जाते हैं। अपने गांव में सौर बच्चों के नाम से जाने जाने वाले ये बच्चे हर दिन सूर्योदय के साथ ही फिर ऊर्जावान हो जाते हैं और घूमने फिरने लगते हैं।
बच्चों की जांच के लिए बना नौ डॉक्टरों का बोर्ड
इन तीनों बच्चों को इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेंज में जांच और संभावित इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। संस्थान के कुलाधिपति डॉ. जावेद अकरम ने बताया कि यह एक दुर्लभ चिकित्सकीय स्थिति है, जिसका हमने कभी सामना नहीं किया और हम इसकी जांच कर रहे हैं। जांच के लिए नौ सदस्यीय एक बोर्ड का गठन किया गया है। शुरुआती जांच के मुताबिक तीनों बच्चे मास्थेनिया सिंड्रोम से ग्रस्त हैं, जिसके दुनिया में अब तक 600 मामले दर्ज हुए हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गांव में सौर बच्चों के नाम से जाने जाते हैं ये
ये तीनों बच्चे क्वेटा से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित मियां कुंडी के रहने वाले हैं, जिनका नाम शोएब (1 साल), राशिद (9 साल) और इलयास हाशिम (13 साल) हैं। वे दिन में आम बच्चों की तरह ही पूरी तरह से ऊर्जावान रहते हैं, सूरज ढलते ही चलने फिरने में भी लाचार हो जाते हैं। अपने गांव में सौर बच्चों के नाम से जाने जाने वाले ये बच्चे हर दिन सूर्योदय के साथ ही फिर ऊर्जावान हो जाते हैं और घूमने फिरने लगते हैं।
बच्चों की जांच के लिए बना नौ डॉक्टरों का बोर्ड
इन तीनों बच्चों को इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेंज में जांच और संभावित इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। संस्थान के कुलाधिपति डॉ. जावेद अकरम ने बताया कि यह एक दुर्लभ चिकित्सकीय स्थिति है, जिसका हमने कभी सामना नहीं किया और हम इसकी जांच कर रहे हैं। जांच के लिए नौ सदस्यीय एक बोर्ड का गठन किया गया है। शुरुआती जांच के मुताबिक तीनों बच्चे मास्थेनिया सिंड्रोम से ग्रस्त हैं, जिसके दुनिया में अब तक 600 मामले दर्ज हुए हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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