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This Article is From Oct 11, 2011

द. एशिया में परमाणु सुरक्षा एक गम्भीर खतरा : पीएम

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को परमाणु सुरक्षा एवं प्रसार को दक्षिण एशिया में 'एक गम्भीर खतरा बताया।' उन्होंने देश की भावी नीतियां अंतरराष्ट्रीय सामरिक एवं राजनीतिक वातावरण में आई गिरावट को ध्यान में रखकर बनाए जाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री थल, वायु एवं नौसेना और तटरक्षक के शीर्ष कमांडरों को उनके संयुक्त सम्मेलन में सम्बोधित कर रहे थे। मनमोहन सिंह ने कमांडरों से कहा, "परमाणु प्रसार एवं सुरक्षा हमारे पड़ोस में एक गम्भीर खतरा बनी हुई है।" उन्होंने कहा कि साइबर खतरा भी चिंता का एक प्रमुख कारण के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री ने हालांकि पाकिस्तान का उल्लेख नहीं किया जो क्षेत्र में भारत के साथ परमाणु हथियार रखने वाला दूसरा देश है। गम्भीर विवादों के बावजूद खासकर दिसम्बर 2001 में संसद और नवम्बर 2008 में मुम्बई के आतंकवादी हमलों के बाद दोनों देशों ने अपने परमाणु संग्रह को बढ़ाया नहीं है। पाकिस्तान का परमाणु प्रसार का रिकॉर्ड हालांकि संदिग्ध है। स्टॉकहोम स्थित एसआईपीआरआई के मुताबिक बताया जाता है कि दोनों देशों ने एक दूसरे की सीमा के नजदीक करीब 100 परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम मिसाइलों को तैनात कर रखा है। मनमोहन सिंह ने कहा, "स्पष्ट रूप से कहें, तो हमारे दृष्टिकोण से अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक एवं राजनीतिक वातावरण बिगड़ गए हैं। हम जो भी नीतियां अपनाएं, चाहे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर या घरेलू स्तर पर, उसमें इसका ध्यान रखा जाए।" सिंह ने कहा, "यह हमारे उस दृढ़ विश्वास पर आधारित है कि यदि हम अपने पड़ोसियों से उचित सम्बंध नहीं रख पाते, भारत की आर्थिक प्रगति और स्थिरता में उन्हें कोई ठोस हिस्सेदारी नहीं दे पाते, तो देश के सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण का काम हमेशा कठिन होगा और इसकी सफलता की सम्भावना काफी कम होगी।"

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द. एशिया, परमाणु सुरक्षा, खतरा, पीएम
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