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This Article is From Jan 16, 2024

Explainer : इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन जंग की आग में झुलसते दूसरे देश, जानें- कैसे चुका रहे कीमत

100 दिनों में इजरायल ने बमबारी से गाजा पट्टी को लगभग पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. करीब 24,000 फिलिस्तीनी इन हमलों में मारे गए हैं. 60, 000 से ज़्यादा लोग घायल हो गए हैं. हताहतों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. गाजा की 1 फीसदी आबादी इन हमलों में मारी जा चुकी है

Explainer : इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन जंग की आग में झुलसते दूसरे देश, जानें- कैसे चुका रहे कीमत
इजरायल ने संघर्ष के दौरान हमास से गाजा बॉर्डर के क्षेत्रों का कंट्रोल वापस ले लिया है.
नई दिल्ली:

इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Israel-Hamas War) के बीच चल रहे जंग को 14 जनवरी को 100 दिन हो चुके हैं. 7 अक्टूबर 2023 को गाजा (Gaza Strip) के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया था. इसमें 1200 इजरायलियों की मौत हुई थी. इसके फौरन बाद इजरायल ने गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ जंग का ऐलान किया, जो अब तक जारी है. वहीं, रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन (Russia-Ukrain War) पर अटैक किया था. इस जंग को भी 24 फरवरी 2024 को पूरे साल हो जाएंगे. इजरायल-गाजा युद्ध से बिगड़े हालात पश्चिम एशिया में हर रोज तबाही मचा रहे हैं. इस जंग की चपेट में कुछ छोटे देश भी आ गए हैं. उधर, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग का असर यूरोप के कुछ देशों पर देखा जा सकता है.

आइए समझते हैं कि इजरायल-गाजा जंग और रूस-यूक्रेन युद्ध का दुनिया पर क्या असर पड़ रहा है:-

इजरायल-गाजा युद्ध 
100 दिनों में इजरायल ने बमबारी से गाजा पट्टी को लगभग पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. मिडिल ईस्ट के प्रमुख न्यूज चैनल 'अलजजीरा' के मुताबिक, करीब 24,000 फिलिस्तीनी इन हमलों में मारे गए हैं. 60, 000 से ज़्यादा लोग घायल हो गए हैं. हताहतों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. गाजा की 1 फीसदी आबादी इन हमलों में मारी जा चुकी है. गाजा की 23 लाख की आबादी में करीब 20 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. अब ये सभी दक्षिण गाजा में खुले आसमान के नीचे या टेंटों में रह रहे हैं.

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गाजा में बढ़ता जा रहा मानवीय संकट
जंग की तबाही के बीच गाजा में अभूतपूर्व मानवीय संकट और भुखमरी है. दुनिया के कई देश और संयुक्त राष्ट्र संघ समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इजरायल से हमले रोकने की अपील कर चुके हैं, लेकिन इजरायल ने ऐलान किया है कि वह हमास के खात्मे और बंधक बनाए सभी नागरिकों की रिहाई तक हमले नहीं रोकेगा. 

हमास ने 240 लोगों को बनाया था बंधक
हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर रॉकेट हमले के साथ ही करीब 240 लोगों को अगवा कर लिया था. अगवा हुए लोगों में  कई विदेशी भी शामिल थे. 24-30 नवंबर 2023 को हुए 6 दिनों के सीजफायर में 105 नागरिकों को रिहा कर दिया गया.
अब भी 136 इजरायली हमास के कब्ज़े में हैं. इन्हें कहां रखा गया है, इसकी जानकारी नहीं है.

वहीं, US खुफिया एजेंसी के मुताबिक हमास लीडर याह्या सिनवर खान युनिस में ही किसी सुरंग में छुपा है. वो बंधकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है.

पश्चिम एशिया के कई देशों पर भी पड़ा असर
इजरायल और हमास के बीच चल रहे इस जंग की आग पश्चिम एशिया के कई देशों तक भी फैल गई है. इजरायल के हमले से गाजा के पड़ोसी देश बेचैन और नाराज़ हैं. यमन, सीरिया, लेबनान, ईरान जैसे देश इजरायल को सबक सिखाने के लिए कुछ भी करने को तैयार दिख रहे हैं.

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जंग से भड़के ईरान ने किए हमले
गाजा पर इजरायली हमलों से ईरान खासतौर पर नाराज और आक्रोशित है. ईरान ने अपने पड़ोसी देश सीरिया और इराक के स्वायत्त कुर्दिस्तान में कुछ चुनिंदा ठिकानों पर हमला किए हैं. ईरान का कहना है कि उसने इराकी कुर्दिस्तान के इर्बिल में जासूसों के हेडक्वॉर्टर पर ईरान विरोधी आतंकवादी गुटों पर हमला किया है. इराकी कुर्दिस्तान में इन हमलों में 4 लोगों के मारे जाने और 6 के घायल होने की खबर है. इनमें एक जाना माना कारोबारी शामिल है. 

ईरान के कदम पर अमेरिका ने जताई आपत्ति
ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर ने एक बयान में कहा कि उसने ये हमले कर अपने अफसरों और लोगों की शहादत का बदला लिया है. ईरान ने ये भी बताया कि उसने अपने ऊपर आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार इस्लामिक स्टेट के कुछ आतंकवादी कमांडरों को सीरिया में निशाना बनाया. अमेरिका ने इन हमलों की कड़ी निंदा करते हुए इसे गैर-ज़िम्मेदार हरकत बताया है. अमेरिका ने कहा कि ईरान के ये हमले इराक की स्थिरता के खिलाफ हैं.

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3 जनवरी को कुछ आत्मघाती हमलावरों ने ईरान के करमान इलाके में ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के एक पूर्व जनरल कासिम सुलेमानी की पहली बरसी पर उनकी कब्र पर जमा हुए हज़ारों लोगों की भीड़ के बीच बम धमाके किए थे. उन हमलों में करीब 90 लोग मारे गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी. 

हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर अमेरिका की बमबारी 
दूसरी ओर, अमेरिका और इंग्लैंड की ओर से बीते शुक्रवार को यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी के बाद हूती और भी हमलावर हो गए हैं. लाल सागर में उनके हमलों से कार्गो शिप लगातार निशाना बन रहे हैं, जिसके बाद दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने अपने जहाज़ों का रास्ता बदलना शुरू कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर इसके असर को देखते हुए और कार्गो शिप की सुरक्षा के लिए अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बनाया. अमेरिका और ब्रिटेन के इन हमलों से पश्चिम एशिया के देशों ने चेतावनी दी है कि इससे इजरायल-गाजा संकट और भी बड़ा हो जाएगा.

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भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने की आशंका
लाल सागर पर हूती हमलों का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा विपरीत असर पड़ने की आशंका है. उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, यूरोप के लिए भारत से अधिकतर निर्यात इसी रास्ते होता है. ऐसे में संकट यूरोप को जाने वाले भारत के 80% निर्यात पर असर डाल सकता है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पहले ही यूरोप के लिए भारत के निर्यात पर काफी असर पड़ा है. अब ये नया संकट समस्या और गहरा देगा. 

उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, दुनियाभर के कंटेनर ट्रैफिक का 30 फीसदी लाल सागर और स्वेज़ नहर से होकर गुजरता है. इन हमलों के बाद पुराने व्यापारिक मार्ग पर विचार हो रहा है, जो काफी लंबा पड़ेगा और महंगा भी.

साफ है कि लाल सागर में तनाव का असर सभी देशों पर पड़ेगा. माल ढुलाई महंगी होगी, तो अर्थव्यवस्था पर उसका असर दिखेगा. महंगाई बढ़ेगी और देशों पर इसका बोझ भी आएगा. भारत जैसे बड़े देशों पर तो इसका असर सबसे ज़्यादा महसूस होगा. 

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
रूस-यूक्रेन युद्ध को भी 24 फरवरी 2024 को 2 साल होने हैं. इस युद्ध का भी कोई अंत नहीं दिख रहा. उधर, उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय तनावों की आग में घी डालने का काम करता दिख रहा है. उत्तर कोरिया बेशक भुखमरी और गरीबी की समस्या झेल रहा है, लेकिन उसके पास एक से बढ़कर एक हथियार हैं. इन दिनों पड़ोसी देश रूस से उसकी दोस्ती दुनिया को ज़्यादा परेशान कर रही है. क्योंकि रूस ने कहा है कि वो उत्तर कोरिया के साथ सभी क्षेत्रों में अपने संबंध मजबूत करेगा. 

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किम जोंग उन ने किया रूस का दौरा
बीते साल सितंबर में उत्तर कोरिया के तानाशाह राष्ट्रपति किम जोंग उन ने रूस का दौरा किया था. किम जोंग इस दौरान रूस के रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण कई संस्थानों को भी देखा. उसी दौरे के अगले कदम के तौर पर दोनों देशों के विदेश मंत्री रविवार को मॉस्को में मिले. हालांकि, सोवियत यूनियन के विघटन के बाद से रूस के साथ उत्तर कोरिया के रिश्ते इतने खास नहीं रहे. लेकिन, यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के कई देशों ने जब रूस से मुंह मोड़ा; तो उत्तर कोरिया ने इसे एक मौके की तरह लिया है. 

चिंता की बात ये है कि उत्तर कोरिया आधुनिक हथियारों के निर्माण के लिए रूस की मदद लेने की फिराक में है. सितंबर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति से मुलाकात में सैटेलाइट के विकास में उनकी मदद करने की बात कह चुके हैं. इस बीच पश्चिमी देश ये आरोप लगा रहे हैं कि रूस ने यूक्रेन पर उत्तर कोरिया में बनी बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है.

ये सभी बातें पूरी दुनिया को परेशान कर रही हैं. यही नहीं इस बीच उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति ने अपने एक बड़े फैसले से दक्षिण कोरिया के साथ तनाव को और बढ़ा दिया है. 

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