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भारत से क्यों मुंह फुलाए बैठे हैं ट्रंप, पूर्व राजनयिक ने बताई पीछे की कहानी  

ANI के साथ एक इंटरव्यू में स्वरूप ने बिजनेस टॉक में ट्रंप प्रशासन के दबाव में नहीं आने के नई दिल्ली के फैसले की सराहना की और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ आखिरकार अमेरिका में मुद्रास्फीति को बढ़ावा देंगे. 

भारत से क्यों मुंह फुलाए बैठे हैं ट्रंप, पूर्व राजनयिक ने बताई पीछे की कहानी  
डोनाल्ड ट्रंप ने इस वजह से लगाया था अतिरिक्त टैरिफ
  • अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त पच्चीस प्रतिशत टैरिफ लगा कर नाराजगी जताई है.
  • कनाडा के पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप के अनुसार ट्रंप भारत की भूमिका को लेकर असंतुष्ट हैं.
  • ट्रंप की नाराजगी का एक कारण भारत का ब्रिक्स समूह का सदस्य होना और अमेरिका विरोधी माना जाना है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाकर ये साफ कर दिया कि वो किसी ना किसी बात से खींचे हुए हैं. ऐसा कहना है कि कनाडा मे रहे पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप का. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप इस साल मई में हुए सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान के साथ शांति समझौते में अपनी तथाकथित भूमिका की अनदेखी करने के कारण भारत से नाराज हैं. पूर्व राजनयिक ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका के मौजूदा संबंधों को बड़े पैमाने पर वित्तीय हितों से प्रेरित एक अल्पकालिक, सामरिक व्यवस्था के रूप में सबके सामने रखा. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका-भारत संबंध रणनीतिक बने रहेंगे.

समाचार एजेंसी ANI के साथ एक इंटरव्यू में स्वरूप ने बिजनेस टॉक में ट्रंप प्रशासन के दबाव में नहीं आने के नई दिल्ली के फैसले की सराहना की और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ आखिरकार अमेरिका में मुद्रास्फीति को बढ़ावा देंगे. 

उन्होंने इस इंटरव्यू के दौरान कहा कि हमें ये समझने की जरूरत है कि आखिर ये टैरिफ क्यों लगाई गई है. एक तो ये कि ट्रंप भारत से खुश नहीं हैं. वो इसलिए खुश नहीं है क्योंकि हम BRICS के सदस्य हैं. उनको ऐसा लगता है कि BRICS एक ऐसा देशों का समूह है जो अमेरिका विरोधी हैं. और ये आगे चलकर अमेरिकी डॉलर को बड़ी चुनौती दे सकते हैं. ट्रंप को लगता है कि भारत को BRICS का सदस्य नहीं होना चाहिए. 

स्वरूप के अनुसार इसका दूसरा कारण मई में ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पाकिस्तान के साथ शांति समझौता करने के लिए ट्रंप को श्रेय देने से नई दिल्ली का इनकार है. नई दिल्ली शुरू से ही कहती रही है कि अमेरिका ने युद्धविराम वार्ता में कोई भूमिका नहीं निभाई, क्योंकि भारत बाहरी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता है. पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक के अनुरोध पर दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सीधे तौर पर संघर्ष विराम की मध्यस्थता की गई थी. 

उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप अब लगभग 30 बार कह चुके हैं कि  वही थे जिन्होंने दोनों देशों को कगार से वापस रोका, जिन्होंने उपमहाद्वीप में परमाणु विस्फोट को रोका. इसलिए, वह इस बात से नाराज हैं कि भारत ने उनकी भूमिका को स्वीकार नहीं किया है, जबकि पाकिस्तान ने न केवल उनकी भूमिका को स्वीकार किया है बल्कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया है.

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