इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन (Israel Palestine Conflict) हमास (Hamas) की जंग का बुधवार को 33वां दिन है. 7 अक्टूबर को हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल की तरफ कुछ मिनटों में 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे. हमास के लड़ाकों ने इसके साथ ही सुरंगों के रास्ते इजरायल में घुसपैठ की और कई लोगों की हत्या कर दी. इस हमले में 1400 लोग मारे गए. इसके बाद से इजरायल गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है. इजरायली सेना ने एयर स्ट्राइक के साथ ही ग्राउंड ऑपरेशन भी तेज कर दिए हैं. मंगलवार को इजरायल ने गाजा पट्टी के 3 रिलीफ कैंप को निशाना बनाया. जंग के बीच उन डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भी चर्चा हो रही है, जो इस भयावह स्थिति में भी लोगों की मदद करने में जुटे हैं. 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की मैनेजर' और अमेरिकी नर्स एमिली कैलाहन गाजा के ताजा हालात के बारे में बताया है.
दरअसल, एमिली कैलाहन पिछले बुधवार को गाजा से निकाले जाने के बाद अमेरिका लौट आईं. कैलाहन ने CNN के एंडरसन कूपर को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि गाजा में फिलहाल ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसे सुरक्षित कहा जाए. उन्होंने रिलीफ कैंपों के हालात को लेकर कहा, "50 हजार से ज्यादा लोगों वाले कैंप में सिर्फ 4 टॉयलेट हैं. इन टॉयलेट में एक दिन में सिर्फ 4 से 5 घंटे ही पानी की सप्लाई होती है. वहां खाना-पानी के लिए भी लोग तरस रहे हैं. ऐसे में आप वहां के हालात समझ सकते हैं.
कैलाहन आगे बताती हैं, "रिलीफ कैंप में लोग बुरी तरह जख्मी हालात में रहने को मजबूर हैं. हर मां-बाप अपने बच्चों के साथ हमारे पास आते हैं और मदद मांगते हैं. लेकिन हम मजबूर हैं. उनकी कोई मदद नहीं कर सकते."
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संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, गाजा पर इजरायल के जवाबी हमले में अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि इजरायल में 1400 लोगों की जान गई है.
एमिली कैलाहन बताती हैं, "मुझे वहां से आना पड़ा, क्योंकि हालात बदतर होते जा रहे थे. लोग अपने परिवार के सदस्यों को मरता देख आक्रोशित हो रहे थे. वो हमें अमेरिकी कहकर पुकारते थे. नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी करते थे."
उन्होंने कहा, "इजिप्ट में रफ़ाह बॉर्डर पार करने पर ये फिलिस्तीनी स्टाफ ही थे, जिन्होंने अधिकारियों से बात की. हमें बसों में बिठाया. उन्होंने हमारे लिए सब कुछ बलिदान कर दिया है. हम उन्हें हमें सीमा पार कराने के लिए लड़ते हुए देख रहे हैं, यह जानते हुए कि हम हम उन्हें अपने साथ नहीं ला रहे थे."
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अमेरिकी नर्स ने कहा, "जब भी हमले होते थे तो फिलिस्तीनी स्टाफ हमारी रक्षा में खड़े हो जाते थे. वो कहते थे कि यह हमारा समुदाय है, हमारा परिवार है, ये हमारे दोस्त हैं. अगर वे हमें मारने जा रहे हैं, तो हम बचाकर मरेंगे. मैं ऐसे लोगों का कर्ज कभी नहीं चुका पाऊंगी."
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