- इलाहाबाद HC ने प्रयागराज के उमेश पाल मर्डर केस में 4 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की और तल्ख टिप्पणी की है
- दिनदहाड़े 3 लोगों की नृशंस हत्या में हथियार और विस्फोटक का उपयोग कर सार्वजनिक दहशत फैलाने का मामला गंभीर बताया
- सभी आरोपियों पर हत्या, षड्यंत्र, विस्फोटक अधिनियम और एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा चल रहा है
प्रयागराज के चर्चित उमेश पाल मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हत्याकांड में शामिल चार आरोपियों को जमानत देने से इंकार करने के साथ ही तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि ये मामला दिनदहाड़े हथियारों और विस्फोटक का उपयोग करके तीन व्यक्तियों की क्रूर पूर्व-नियोजित हत्या से जुड़ा है जिससे सार्वजनिक दहशत फैली है.
अपराध का गंभीरता सर्वोपरी- अदालत
कोर्ट ने पूर्व के कई फैसलों का हवाल देते हुए कहा है कि अपराध की गंभीरता सर्वोपरि है जैसा कि फैसलों में माना गया है. सार्वजनिक क्षेत्र में खुलेआम हथियारों और विस्फोटक का उपयोग करके दो पुलिसकर्मियों सहित तीन व्यक्तियों की नृशंस हत्या ने जनता में व्यापक दहशत और आतंक फैला दिया. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जघन्य कृत्य न केवल एक निर्मम हत्या थी बल्कि व्यापक रूप से समाज को डराने का एक प्रयास भी था जो जमानत न्यायशास्त्र में विचार करने योग्य एक महत्वपूर्ण मामला है.
सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, षड्यंत्र आदि के तहत अपराध शामिल है
सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, षड्यंत्र और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और एससी/एसटी अधिनियम के तहत अपराध शामिल है जो मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय है. तीन लोगों की दिनदहाड़े नृशंस हत्या ने जनता के विश्वास को हिला दिया है और समाज में आतंक पैदा कर दिया है. अपराध को जिस असाधारण रूप से वीभत्स तरीके से अंजाम दिया गया उससे उत्पन्न सार्वजनिक आतंक, आपराधिक साजिश में कई आरोपियों की संलिप्तता और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह न्यायालय आरोपी को जमानत पर रिहा करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं पाता है.
हाईकोर्ट ने चार आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. 29 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उमेश पाल हत्याकांड मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद माफिया अतीक के बहनोई अखलाख अहमद उर्फ एकलाख, वकील विजय मिश्र, नौकर नियाज़ अहमद और ड्राइवर कैश अहमद की जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक की तरफ से उसके वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि उसे अतीक के रिश्तेदार होने के कारण फंसाया जा रहा है जबकि अन्य ने भी अपने को निर्दोष बताया था.
24 फरवरी 2023 का है मामला
24 फरवरी 2023 को हुए प्रयागराज के जयंतीपुर इलाके में हुए बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी माफिया अतीक अहमद के बहनोई डॉ अखलाख अहमद, वकील विजय मिश्रा, ड्राइवर कैश और नौकर नियाज़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से मामले के लंबित रहने तक जमानत देने की गुहार लगाई थी. 24 फरवरी 2023 की शाम को प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के जयंतीपुर इलाके में वकील उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतारा गया था.
मामले में अतीक और उसके भाई पर जेल से साजिश रचने का लगा था आरोप
इस मामले में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर जेल से साजिश रचने का आरोप लगा था. अतीक के छोटे बेटे असद ने खुद शूटर्स के साथ उमेश पाल के घर के बाहर फायरिंग करते हुए सबकी हत्या की थी. 15 अप्रैल 2023 को माफिया अतीक और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की भी तीन शूटरों ने कॉल्विन अपस्ताल में रात को गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. मेरठ निवासी अतीक के बहनोई डॉ अखलाक अहमद पर हत्याकांड के बमबाज गुड्डू मुस्लिम को शरण देने का आरोप है. जबकि बाकी आरोपियों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है.
हत्याकांड के बाद से फरार बमबाज गुड्डू मुस्लिम पांच लाख का इनामी
हत्याकांड के बाद से फरार बमबाज गुड्डू मुस्लिम पांच लाख का इनामी है. पुलिस का दावा है कि घटना को अंजाम देने के बाद गुड्डू मुस्लिम ने डॉ अखलाख के मेरठ स्थित घर में शरण ली थी. मेरठ से गिरफ्तार एकलाख ने जमानत पर रिहाई के लिए सितंबर 2023 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. डॉ. अखलाक के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी थी कि वह एफआईआर में नामजद नहीं है और पेशे से डॉक्टर है. अपराध की दुनिया से उसका कोई वास्ता नहीं है बल्कि उसे केवल अतीक के रिश्तेदार होने के कारण फंसाया गया है.
विजय मिश्रा पर उमेश पाल हत्याकांड में मुखबिरी करने का आरोप
अतीक के वकील विजय मिश्रा पर उमेश पाल हत्याकांड में मुखबिरी करने का आरोप है. विजय की गिरफ्तारी लखनऊ से हुई थी. जमानत पर रिहाई की मांग करते हुए उनकी अधिवक्ता मंजू सिंह ने दलील थी कि उन्हें अतीक के वकील होने के कारण फंसाया जा रहा है. इसी तरह कैश व नियाज की ओर से भी बेगुनाह होने की दलीलें दी गई थी. उनके अधिवक्ता ने दलील दी कि कैश ड्राइवर था जबकि काफी समय पहले से नौकरी छोड़ चुका था. उसका कोई अपराधिक इतिहास नहीं है. नियाज के वकील ने भी उसे बेकसूर बताया और कहा था कि वो एफआईआर में नामजद नहीं है.
मामले में राज्य सरकार और स्वर्गीय उमेश पाल की पत्नी जया पाल को प्रतिवादी बनाया गया
इस मामले में राज्य सरकार और स्वर्गीय उमेश पाल की पत्नी जया पाल को प्रतिवादी बनाया गया था. उमेश पाल की पत्नी जयपाल के अधिवक्ता प्रवीण पांडे, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, एजीए रूपक चौबे ने जमानत पर रिहाई का विरोध किया था. सुनवाई के दौरान कहा गया था कि सभी आरोपी हत्याकांड में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. अभी तक ट्रायल कोर्ट में आरोप निर्मित होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
इन लोगों को मामले में भेजा गया जेल
पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में शामिल माफिया अतीक अहमद के बहनोई अखलाक, अधिवक्ता खान शौलत हनीफ, अधिवक्ता विजय मिश्रा, मुस्लिम छात्रावास में रहने वाले सदाकत, अतीक के गुर्गे नियाज अहमद, मो. सजर, अरशद कटरा उर्फ अरशद खान, कैश अहमद और राकेश कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. उमेश पाल हत्याकांड में पांच लाख के इनामी गुड्डू मुस्लिम, अरमान बिहारी और साबिर अभी तक फरार चल रहे हैं. इसके अलावा हत्याकांड के बाद से फरार अतीक खानदान की तीन महिलाओं पर भी इनाम घोषित है.
इन लोगों पर है इनाम
इसमें अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा और अतीक की बहन आयशा नूरी शामिल है. अतीक की बीवी पर 50,000 और बाकी दोनों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित है. अतीक के छोटे बेटे असद, उसके गुर्गे गुलाम समेत चार लोग पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं. कोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत को खारिज करते हुए कहा कि प्रभाव वाले मामले में जमानत देने से गलत संकेत जा सकता है और न्याय प्रशासन कमजोर हो सकता है. अदालत को इस बात पर विचार करना चाहिए कि अभियुक्त की रिहाई का जनता और गवाहों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि जमानत मिलने के बाद सभी अभियुक्त जो इस पूरे मामले में प्रमुख षड्यंत्रकारी और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि अपराध के बेहद वीभत्स तरीके और उससे उपजे सार्वजनिक आतंक, आपराधिक षडयंत्र में कई आरोपियों की संलिप्तता और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इस न्यायालय को आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का कोई पर्याप्त आधार नहीं दिखता. आपराधिक अपील में योग्यता का अभाव है और इसे खारिज किया जाता है.
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