मध्यप्रदेश के बालाघाट (Balaghat) में शहर से सटे जंगल को काटकर सड़क बनाने की विरोध में शहर के युवा आगे आए हैं. इस विरोध के लिए वे कभी बांसुरी बजा कर लोगों को जगाने का काम कर रहे हैं तो कभी पेड़ों के पास बैठकर शहर के ऑक्सी जोन से गुजरने वाले लोगों को हाथ जोड़कर पेड़ों को बचाने की भीख मांगते देखे जा सकते हैं. जितने पेड़ उतने किलोमीटर दौड़ कर और पेंटिंग के सहारे भी काटे जाने वाले 450 पेड़ों को बचाने की मुहिम यहां जोर पकड़ती दिख रही है. धनेन्द्र कांवड़े (Dhanendra Kanvade) का विरोध का यह नायाब तरीका चर्चा में है. मुंबई में रंगमंच की दुनियां में जाना पहचाना नाम है धनेन्द्र कांवड़े. उनका कहना है कि मुझे लगता है बतौर कलाकार हमारी जिम्मेदारी बनती है. मुझे लगता है आने वाली पीढ़ी तक पहुंचानी है. संगीत और कला का लोगों से संबंध बहुत अटूट है ये बात लोगों को बहुत आसानी से कनेक्ट किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मूल भूत जल-जंगल-जमीन वही है तो खुश रह सकते हैं जीवित रह सकते हैं.
अद्भुत बालाघाट में जंगल को काटकर सड़क बनाने के विरोध में शहर के युवा कभी बांसुरी बजा कर लोगों को जगा रहे हैं तो कभी पेड़ों के पास बैठकर लोगों से हाथ जोड़कर पेड़ों को बचाने की भीख मांग रहे हैं @ndtvindia @ndtv @GargiRawat @SrBachchan @ParveenKaswan @susantananda3 #fridaymorning pic.twitter.com/H9IziLPoiL
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 24, 2020
शहर के बीचों बीच बालाघाट में बने फॉरेस्ट के रेंजर कॉलेज की ट्रेनिंग के लिए विकसित किया गया था, लेकिन अब इसके बीच से एक सड़क बनाने का प्रस्ताव है जिसमें 450 पेड़ काटे जाएंगे. ऐसे में कोई बांसुरी लेकर तो कोई जितने पेड़ कटने है उतने किमी का मैराथन कर तो कुछ युवा पेंटिंग का सहारा लेकर जंगल को बचाने की अपील में लगे हैं. वहीं अधिकारी कह रहे हैं वनविभाग को दोगुनी जमीन पेड़ लगाने के लिये मिलेगी. पर्यावरणविद उमेश बागरेचा का कहना है कि पेंच, कान्हा के बीच का फॉरेस्ट एरिया में भारी वाहन का यातायत बंद रहता है. उन्होंने कहा कि शहर से बायपास निकाला जा रहा है वो शहर के बाहर होना चाहिये. दुर्घटना बढ़ेगी फॉरेस्ट का नुकसान पहुंचेगा.
इसके अलावा वनविभाग के DFO, अनुराग कुमार ने कहा कि बालाघाट से ट्रैफिक को बायपास करने के लिये डेंजर रोड को बायपास बनाया जाएगा, पीडब्लूडी ने आवेदन किया था समिति बनाई गई. उन्होंने बताया कि अंतत ये निश्चित हुआ 2.64 हैक्टेयर जमीन दी जाएगी डबल हमें मिलेगी कैंपा से वृक्षारोपण होगा, कुल 450 पेड़ काटना प्रस्तावित है.
2019 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट आई थी जिससे पता लगा कि उस वक्त प्रदेश के 50 जिलों में से 25 में वनक्षेत्र दो साल में कम हुआ और 25 में बढ़ा है. सबसे ज्यादा जंगल मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में कटा ये हाल उस राज्य में हैं जहां सबसे ज्यादा वन क्षेत्र है देश में जंगल 807276 वर्ग किलोमीटर में फैला है. जिसमें मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी पहले नंबर पर है 77482 वर्ग किलोमीटर जंगल के साथ है. कोरोना जैसे संकट ने हमें प्रकृति की महत्ता के बारे में बताया है, बावजूद इसके इसकी अनदेखी करते हुए पेड़ों को काटने की योजना बनाना सभी की समझ से परे है.
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