कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज लंबे समय बाद अपनी चु्प्पी तोड़ते हुए राज्य की राजनीतिक में वापसी की तरफ इशारा कर दिया. मध्य प्रदेश में आज शिवराज सिंह चौहान सरकार के कैबिनेट विस्तार में अपने 11 समर्थकों को मंत्री बनवाने वाले सिंधिया ने एक महीनों की चुप्पी के बाद बस एक लाइन में ही सारी अटकलों पर विराम लगा दिया. सिंधिया ने कहा...'टाइगर जिंदा है' बीजेपी नेता सिंधिया हाल ही में राज्यसभा के लिए चुने गए है. मार्च में छोड़ी अपनी 19 साल पुरानी पार्टी पर हमला करते हुए सिंधिया ने कहा, "अन्याय के खिलाफ लड़ना हमारा कर्तव्य है, यहां तक कि अगर इसका मतलब युद्ध है, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अग्रिम पंक्ति में होंगे. पिछले दो महीनों से लोग मेरे चरित्र को कलंकित करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं उन्हें बताना चाहता हूं - टाइगर अभी जिंदा है"
बता दें कि आज शपथ लेने वाले 28 नेताओं में से 20 को कैबिनेट और 8 को राज्य मंत्री बनाया गया है. इनमें 4 नेता ऐसे हैं, जो तीन महीने पहले तक कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे थे. भोपाल में मंत्रियों की शपथ के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर वार करते हुए सिंधिया ने कहा,'ना मुझे कमल नाथ से प्रमाणपत्र चाहिये ना दिग्विजय सिंह से. प्रदेश के सामने तथ्य हैं कि 15 महीनों में इन्होंने किस तरह प्रदेश का भंडार लूटा है औऱ खुद ले लिया. वादा खिलाफी का इतिहास देखा है. मैं दोनों से यही कहना चाहता हूं कि टाईगर अभी जिन्दा है.'
सिंधिया मध्य प्रदेश में रिक्त हुई 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. राज्य में 22 सीटें सिंधिया खेमे के विधायकों द्वारा इस्तीफे के बाद खाली हुई थी, जिसकी वजह से कमलनाथ सरकार गिरी थी और बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी. वहीं दो सीटें निर्वाचित विधायकों के निधन के बाद रिक्त हुई हैं.
सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके समर्थक विधायकों ने भी पार्टी ज्वाइन कर ली थी. आज उनमें से 11 को मध्य देश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. आज के शपथ ग्रहण समारोह के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार में 34 मंत्री हो गए हैं. जिनमें से 59 प्रतिशत वो मंत्री हैं जो 2018 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए थे. जबकि 41 प्रतिशत यानि 14 मंत्री वो हैं जो कांग्रेस छोड़कर आए हैं.
इस मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा फायदा सिंधिया समर्थकों को ही हुआ है. कमलनाथ सरकार में 6 मंत्री सिंधिया समर्थक थे.
शिवराज सरकार में 11 मंत्री सिंधिया कोटे से हैं. इनमें कांग्रेस छोड़कर आए और आज मंत्री बने 3 और नेताओं को जोड़ लें, तो इनकी संख्या 14 हो जाती है.ग्वालियर-चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इन सीटों पर कुल 9 मंत्री बने हैं, जिसमें 8 सिंधिया समर्थक हैं. इस मंत्रिमंडल पर आने वाले दिनों में होने वाले 24 उपचुनावों की छाया दिख रही है. वैसे महाकौशल और विंध्य इलाके के किसी भी बड़े नेता को मंत्री नहीं बनाकर नाराजगी की वजह बढ़ा दी है जबकि बीजेपी को इस बार अच्छी सीटें इन्हीं दोनों इलाकों से मिली थीं. हालांकि बीजेपी कह रही है कोई दिक्कत नहीं है
पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती भी अपने करीबियों की अनदेखी और जातिगत अंसतुलन की बात कह रही हैं, वहीं मंदसौर में यशपाल सिसोदिया को मंत्री नहीं बनाने पर उनके लोगों ने धरना शुरू कर दिया है तो इंदौर में रमेश मेंदोला को मंत्री नहीं बनाने पर उनके समर्थक भी नाराज हैं.
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