एम्बुलेंस नहीं मिलने पर बुजुर्ग पिता को ठेले से अस्पताल ले जाने की खबर सामने के बाद आनन-फानन में शनिवार को दूसरी बार प्रशासन गांव पहुंच गया. इस मामले में पीड़ित परिवार का आरोप है कि एसडीएम (SDM) ने उनको धमकाया है. पीड़ित के अनुसार एसडीएम ने उससे कहा कि पत्रकारों के सामने मुंह खोला तो शासन की जो योजना वृद्धा पेंशन, बीपीएल कार्ड और आवास की पहली किस्त सभी छीन लेंगे. एसडीएम ने पीड़ित को जेल में डालने की धमकी भी दी. NDTV से बात करते हुए पीड़ित ने कहा कि प्रशासन ने खाली कागज पर दस्तखत कराए थे.
इतना ही नहीं लहार एसडीएम की जांच में एक और झूठ आया सामने है. दरअसल ये दावा किया गया था कि पीड़ित पानी पुरी का ठेला लगाता है और शासन की तमाम योजना का लाभ ले रहा हैं. लेकिन हकीकत कुछ ओर है. पीड़ित बढ़ई का काम करती है. वहीं दूर से पानी लाने के लिए ठेले का इस्तेमाल करती हैं.
मुख्य मंत्री @ChouhanShivraj @CMMadhyaPradesh वही प्रशासन दौड़ लगा रहा है जिसपर धमकाने,उपेक्षा का आरोप है.क्यों ना सर्वदलीय टीम को ही भेजा जाये? बाकी सच बोलने वाले तो हर दौर में पिसे हैं इसलिये पत्रकारों पर FIR होती रहेगी @digvijaya_28 @OfficeOfKNath @GovindSinghDr https://t.co/kRmlENmGMt pic.twitter.com/WWNcGI4h6O
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) August 21, 2022
क्या है पूरा मामला
बुजुर्ग को अस्पताल ले जाने के लिए उनके परिजनों ने 108 एम्बुलेंस (Ambulance) पर फोन किया था. लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुंची. मजबूरी में बुजुर्ग के बेटे हरि सिंह ने एक ठेला लिया और उस पर अपने पिता को लिटाकर 5 किलोमीटर तक ठेले को धकेलकर अस्पताल पहुंचा. वहां पहुंचने पर उसके पिता का उपचार हो सका.
मारपुरा गांव निवासी हरिकृष्ण विश्वकर्मा की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है. उसके पास इतने पैसे भी नहीं कि खुद का मोबाइल फोन खरीद सके. उसने पिता की तबीयत खराब हो जाने पर पड़ोसी का फोन लेकर एम्बुलेंस को फोन लगाया था लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची.
वहीं ये खबर दिखाने पर मध्य प्रदेश के भिंड (Bhind) में पुलिस ने तीन पत्रकारों पर झूठी और भ्रामक खबर चलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. दाबोह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ राजीव कौरव की शिकायत पर पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने तीनों पत्रकारों (journalists) के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 505 (2) और आईटी एक्ट की धारा 66 (F)1 के तहत प्राथमिकी दर्ज की. जबकि पीड़ित की बेटी ने प्रशासन के इस दावे का खंडन किया कि पत्रकारों की रिपोर्ट के विपरीत परिवार को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा, "हमें पीएम आवास योजना की सिर्फ एक किस्त मिली है. जिला प्रशासन की एक टीम ने मेरे भाई के घर की तस्वीरें ली है".
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