मध्य प्रदेश के भिंड (Bhind) में पुलिस ने तीन पत्रकारों पर झूठी और भ्रामक खबर चलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. दाबोह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ राजीव कौरव की शिकायत पर पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने तीनों पत्रकारों (journalists) के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 505 (2) और आईटी एक्ट की धारा 66 (F)1 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. बता दें कि भिंड जिले के एक गांव के 40 वर्षीय ग्यास प्रसाद विश्वकर्मा को ठेले पर अस्पताल लेकर जाने का वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो को इन तीनों पत्रकारों ने 16 अगस्त को शेयर किया था. खबर में बताया गया था कि 108 पर कॉल करने के बाद भी एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची, जिसके बाद परिजनों को मजबूरन ठेले पर मरीज को लेकर 5 किलोमीटर दूर अस्पताल जाना पड़ा. वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी ने इन्क्वायरी करवाई और बताया कि ये खबर झूठी थी, क्योंकि एम्बुलेंस के लिए कोई कॉल ही नहीं की गई थी. इसके बाद स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से यह एफआईआर दर्ज की गई.
इन पत्रकारों को बनाया गया आरोपी
पुलिस ने स्थानीय पत्रकार कुंजबिहारी कौरव, अनिल शर्मा और एनके भटेले के खिलाफ मामला दर्ज किया है. भिंड के जिला कलेक्टर सतीश कुमार द्वारा गठित राजस्व और स्वास्थ्य विभागों की एक जांच टीम ने कहा कि परिवार ने एम्बुलेंस के लिए कोई कॉल नहीं किया था. परिवार ने बुजुर्ग व्यक्ति ज्ञान प्रसाद विश्वकर्मा को पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती करायी था न कि सरकारी अस्पताल में.
वहीं पीड़ित के बेटे हरिकृष्णा और बेटी पुष्पा ने कहा कि उन्हें फोन कॉल के बावजूद एम्बुलेंस नहीं मिलने के बाद गाड़ी को 5 किमी तक धकेलना पड़ा. घटना भिंड जिले के दबोह कस्बे के पास लहर की है. NDTV सहित कई समाचार पत्रो और डिजिटल आउटलेट्स ने इस घटना की खबर प्रकाशित की थी. परिवार क्षेत्र के गांव मारपुरा का रहने वाला है. पीड़ित की बेटी ने प्रशासन के इस दावे का भी खंडन किया कि पत्रकारों की रिपोर्ट के विपरीत परिवार को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा, "हमें पीएम आवास योजना की सिर्फ एक किस्त मिली है. जिला प्रशासन की एक टीम ने मेरे भाई के घर की तस्वीरें ली है".
बेटे हरिकृष्णा का आरोप है कि सरकारी अधिकारी "हाल ही में हमारी झोपड़ी में आए और हमसे एक कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाया" हालांकि प्रशासन की ओर से इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. मध्य प्रदेश में हाल के दिनों में कई ऐसे मामले रिपोर्ट किये गये हैं, जिनमें लोगों को एंबुलेंस नहीं पहुंचने से चलते समस्या का सामना करना पड़ा है.
बता दें कि शिवराज सरकार एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने का ऐलान कर चुकी है. अप्रैल में, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक समारोह में घोषणा की थी कि यह संख्या 1,445 से बढ़कर 2,052 हो गई है. उन्नत जीवन रक्षक वाहनों की संख्या भी 75 से बढ़ाकर 167 कर दी गई है. बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस, जिनकी संख्या 531 थी, को बढ़ाकर 835 कर दिया गया है, लेकिन सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही यह एक अलग बात है. वहीं एफआईआर के विरोध में कई स्थानीय पत्रकार और मीडिया संस्थानों के लोग इस मामले को वापस लेने के लिए धरना प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं.
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