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क्‍या वाकई 'दोस्‍ती' का संदेश लेकर भारत आए हैं चीन के विदेश मंत्री या फिर माजरा कुछ और है?  

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को नई दिल्ली में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ खास मुलाकात की. वांग के साथ अपनी मीटिंग में, जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए.

क्‍या वाकई 'दोस्‍ती' का संदेश लेकर भारत आए हैं चीन के विदेश मंत्री या फिर माजरा कुछ और है?  
  • चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा किया और जयशंकर से मुलाकात की और कई अहम मसलों पर चर्चा की.
  • पूर्वी लद्दाख में 2020 के बाद से भारत-चीन सीमा विवाद पूरी तरह खत्‍म नहीं हुआ है औरसेनाएं LAC पर तैनात हैं.
  • अक्टूबर 2024 में मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद LAC पर शांति बनी और डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हुई.
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नई दिल्‍ली:

चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार को भारत आए हैं. वांग ने सोमवार को अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात की है. अब मंगलवार को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. साथ ही उनकी एक मीटिंग राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से भी होनी है. डोभाल से मुलाकात में लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर खास बातचीत होगी. अक्‍टूबर 2024 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद निश्चित तौर पर चीजें थोड़ी सी संभलती हुई नजर आ रही हैं. वहीं  यी ऐसे समय में भी भारत आए हैं जब टैरिफ की वजह से भारत का अमेरिका के साथ तनाव जारी है. वहीं चीन पर टैरिफ के बादल मंडराने लगे हैं. ऐसे में सवाल है कि क्‍या यी सुलह का संदेश लेकर  भारत आए हैं या फिर माजरा कुछ और है?

अभी नहीं सुलझा विवाद 

पूर्वी लद्दाख में 2020 के बाद से चला आ रहा भारत-चीन सीमा विवाद अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. गलवान झड़प के बाद भले तनाव कुछ कम हुआ हो, लेकिन दोनों देशों की सेनाएं आज भी LAC पर तैनात हैं. इसी विवाद को सुलझाने के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव (SR) स्तर की वार्ताओं का दौर जारी है. पहली बैठक 18 दिसंबर को बीजिंग में हुई थी, जिसमें एनएसए अजीत डोभाल शामिल हुए थे. अब दूसरी बैठक दिल्ली में होने जा रही है. 

अब तक कई दौर की वार्ता 

23 राउंड की बातचीत पहले हो चुकी है. गलवान झड़प के बाद SR स्तर की ये पहली बातचीत थी. दिल्ली में SR स्तर की ये 24वें दौर की बातचीत है. गलवान झड़प के बाद दूसरी बार यह वार्ता हो रही है. इसके लिये चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार को दिल्ली पहुंच गए हैं. शाम 6 बजे उनकी मुलाकात विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हुई है. इसके बाद 19 अगस्त को सुबह 11 बजे हैदराबाद हाउस में SR-स्तरीय वार्ता होगी. दिन के अंत में वांग यी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे. 

जयशंकर ने दिया साफ संदेश 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को नई दिल्ली में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ खास मुलाकात की. उन्‍होंने कहा कि साल 2024 में दोनों देशों के नेताओं की कजान में मुलाकात के बाद किसी चीन के अधिकारी की यह पहली मुलाकात है. वांग के साथ अपनी मीटिंग में, जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए. जयशंकर ने इस दौरान कहा, 'यह मीटिंग हमें एक ऐसा मौका देती है कि हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा कर सकें. साथ ही यह सही समय है जब हम ग्‍लोबल स्थिति पर चर्चा करने के साथ ही आपसी हितों से जुड़े कुछ मसलों पर भी बातचीत कर सकते हैं. ' 

जयशंकर ने वांग यी के सामने कहा कि दोनों देशों ने रिश्‍तों का एक कठिन दौर देखा है. लेकिन अब समय है जब आगे बढ़ा जाए. जयशंकर के अनुसार इसके लिए एक स्‍पष्‍ट और निर्माणात्‍मक सोच की जरूरत है. जयशंकर ने कहा कि इसे हासिल करने के लिए तीन बातों को आधार बनाने की जरूरत है, आपसी सम्‍मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित. न ही मतभेद विवाद बनने चाहिए और न ही किसी तरह की प्रतिस्‍पर्धा. 

अब तक एलएसी पर क्‍या-क्‍या हुआ 

  • 21 अक्टूबर 2024 को कजान में हुए BRICS शिखर सम्मेलन से ठीक पहले भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध खत्म करने का फैसला किया. 
  • डेमचोक और डेपसांग में डिसएंगेजमेंट पूरा हुआ. 
  • पैंगोंग, गलवान (PP-14), गोगरा और हॉट स्प्रिंग जैसे सभी फ्रिक्शन प्वाइंट्स से सेनाएं हट गईं. 
  • जहां 2020 के बाद गश्त रुकी थी, वहां पेट्रोलिंग बहाल कर दी गई. 
  • मोदी-जिनपिंग वार्ता के बाद SR स्तर की बातचीत का रास्ता खुला. 
  • तब से LAC पर शांति बनी हुई है और दोनों सेनाएं अपनी-अपनी सीमा के भीतर पेट्रोलिंग कर रही हैं. 

पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक

  • 2020 में चीन ने फिर 1962 जैसी हिमाकत की कोशिश की, लेकिन इस बार भारत पूरी तरह तैयार था. 
  • प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को बिना किसी देरी के ग्राउंड पर कार्रवाई की पूरी छूट दी. 
  • आर्थिक मोर्चे पर चीन पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए. 
  • इन दबावों ने चीन को बातचीत की मेज पर आने को मजबूर किया. 

जयशंकर की कूटनीतिक बिसात

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस जटिल विवाद को सुलझाने की कूटनीतिक जमीन तैयार की. हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्होंने LAC विवाद को मुखर ढंग से उठाया. विदेश मंत्रालय और सेना के बीच समन्वय बनाकर एक रोडमैप तैयार किया गया. इसी से चुशुल और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट हुआ और पेट्रोलिंग बहाल हुई. 

अजीत डोभाल:  भारत का जेम्स बॉन्ड

  • एनएसए अजीत डोवल को प्रधानमंत्री मोदी ने SR स्तर पर बातचीत की कमान सौंपी. 
  • दिसंबर 2024 में बीजिंग में डोवल-वांग यी मुलाकात ने SR फॉर्मेट को दोबारा सक्रिय किया. 
  • इससे पहले 2022 में वांग यी अचानक दिल्ली आए थे और डोवल से मिले थे. 
  • 2024 में सेंट पीटर्सबर्ग BRICS NSA मीटिंग और फिर जून 2025 में बीजिंग में भी अहम मुलाकातें हुईं. 

भारतीय सेना का दबदबा

2020 के बाद लद्दाख की स्थिति ने युद्ध जैसी आशंका पैदा कर दी थी. लेकिन भारतीय सेना की तैयारी और रणनीति ने चीन को चौका दिया. दक्षिण पैंगोंग में अहम चोटियों पर कब्जा जमाया गया, जहां 1962 के बाद भारतीय सैनिक नहीं गए थे. भारी टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों की तेज़ तैनाती ने साफ संदेश दिया कि आज का भारत, 1962 का भारत नहीं है. आज भी भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में सतर्क और मजबूत तैनाती बनाए हुए है. अब सबकी नजरें दिल्ली में होने वाली दूसरी SR-स्तरीय वार्ता पर हैं. अगर इसमें ठोस प्रगति होती है, तो यह सीमा विवाद को स्थायी हल की दिशा में सबसे बड़ा कदम साबित हो सकता है.  

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