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लक्ष्मी पूजा के बाद चंद्रपुर में भैंसों की पारंपरिक कुश्ती, मैदान में भिड़ते हैं सजे-धजे भैंसे

इस कुश्ती को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा होती है. ये लड़ाई तब तक चलती है जब तक कोई एक भैंसा हार मानकर मैदान से भाग नहीं जाता. इस दौरान भैंसों को उकसाने के लिए चारों तरफ से शोर मचाया जाता है और लाठियों से उनके पास लाकर उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित/उकसाया जाता है. 

लक्ष्मी पूजा के बाद चंद्रपुर में भैंसों की पारंपरिक कुश्ती, मैदान में भिड़ते हैं सजे-धजे भैंसे
  • महाराष्ट्र के चंद्रपुर में नंदी समुदाय दशकों से नर भैंसों की पारंपरिक कुश्ती का आयोजन करता है
  • भैंसों को रंग-रोगन कर सजाया जाता है और उनकी पीठ पर विभिन्न नाम लिखे जाते हैं
  • कुश्ती तब तक चलती है जब तक कोई भैंसा हार मानकर मैदान से बाहर नहीं निकल जाता
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चंद्रपुर:

महाराष्ट्र के चंद्रपुर में, लक्ष्मी पूजा के अगले दिन, नंदी समुदाय के लोग अपनी दशकों पुरानी परंपरा को निभाते हुए नर भैंसों की पारंपरिक कुश्ती का आयोजन करते हैं. आज (बुधवार) चंद्रपुर के रयतवारी इलाके के मैदान में यह रोमांचक मुकाबला देखने को मिला. इस आयोजन के लिए भैंसों को खूब सजाया जाता है, उन्हें रंग-रोगन कर उनकी पीठ पर 'सरकार', 'खली', 'महाकाली' और 'राजा' जैसे नाम लिखे जाते हैं. 

इस कुश्ती को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा होती है. ये लड़ाई तब तक चलती है जब तक कोई एक भैंसा हार मानकर मैदान से भाग नहीं जाता. इस दौरान भैंसों को उकसाने के लिए चारों तरफ से शोर मचाया जाता है और लाठियों से उनके पास लाकर उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित/उकसाया जाता है. 

कई बार ये गुस्सैल भैंसे दर्शकों के पीछे भी दौड़ पड़ते हैं, जिससे जान का खतरा भी रहता है, लेकिन अपने पारंपरिक खेल के प्रति जुनून के चलते लोग हर जोखिम उठाकर बड़े उत्साह के साथ इस आयोजन में शामिल होते हैं. यह परंपरा पिछले पचास सालों से लगातार जारी हैं.

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