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BMC चुनाव: NCP की पहली लिस्ट से मुस्लिम राजनीति और मलिक फैक्टर फिर केंद्र में कैसे? समझें

विश्लेषकों का मानना है कि एनसीपी ने यह साफ कर दिया है कि वह दबाव की राजनीति में अपने पुराने और प्रभावशाली नेताओं को किनारे नहीं करेगी, चाहे इसके लिए उसे आलोचना ही क्यों न झेलनी पड़े.

BMC चुनाव: NCP की पहली लिस्ट से मुस्लिम राजनीति और मलिक फैक्टर फिर केंद्र में कैसे? समझें
मुंबई:

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) द्वारा जारी की गई पहली 37 उम्मीदवारों की सूची ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है. यह सूची केवल उम्मीदवारों के नामों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए पार्टी ने अपने राजनीतिक रुख, सामाजिक समीकरण और भविष्य की रणनीति के साफ संकेत दिए हैं. खास तौर पर इस सूची में मुस्लिम उम्मीदवारों की उल्लेखनीय संख्या और नवाब मलिक परिवार के तीन सदस्यों को टिकट देना राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है.

एनसीपी की पहली सूची में कई मुस्लिम उम्मीदवारों को जगह दी गई है. मुंबई जैसे महानगर में, जहां कई वार्डों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, यह फैसला केवल सामाजिक प्रतिनिधित्व नहीं बल्कि साफ राजनीतिक गणित का हिस्सा माना जा रहा है.राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, मौजूदा दौर में जब गठबंधन राजनीति अस्थिर दिख रही है और महाविकास आघाड़ी (MVA) के भीतर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, तब एनसीपी का यह कदम मुस्लिम वोट बैंक को सीधे साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह अल्पसंख्यक समुदाय की राजनीतिक आकांक्षाओं को गंभीरता से ले रही है और उन्हें केवल गठबंधन के भरोसे नहीं छोड़ रही.

इसके साथ ही, यह भी माना जा रहा है कि जहां कांग्रेस और अन्य दलों में टिकट वितरण को लेकर असंतोष है, वहां एनसीपी मुस्लिम उम्मीदवारों को आगे बढ़ाकर खुद को एक व्यवहारिक और स्वीकार्य विकल्प के रूप में पेश करना चाहती है.इस सूची का सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला पहलू है नवाब मलिक परिवार के तीन सदस्यों को टिकट दिया जाना. यह फैसला कई मायनों में राजनीतिक संदेश देता है. एक ओर, यह कदम बताता है कि एनसीपी के लिए नवाब मलिक का संगठनात्मक और क्षेत्रीय प्रभाव अब भी महत्वपूर्ण है. मुंबई के कुछ इलाकों में मलिक परिवार की मजबूत पकड़ रही है और नगर निगम जैसे स्थानीय चुनावों में यह नेटवर्क चुनावी बढ़त दिला सकता है.

टिकट पाने वाले पारिवारिक सदस्य:

  • अब्दुल रशीद “कप्तान” मलिक – नवाब मलिक के भाई और पूर्व नगरसेवक, वार्ड 165 (कुर्ला) से उम्मीदवार
  • डॉ. सईदा खान – नवाब मलिक की बहन और पूर्व नगरसेवक, वार्ड 168 से उम्मीदवार
  • बुशरा मलिक – कप्तान मलिक की बहू, पहली बार चुनाव मैदान में, वार्ड 170 (महिला आरक्षित) से उम्मीदवार

इन तीनों नामों की घोषणा ने साफ कर दिया है कि NCP कुर्ला और आसपास के मुस्लिम बहुल इलाकों में नवाब मलिक के पारिवारिक और राजनीतिक प्रभाव पर दांव लगा रही है. विश्लेषकों का मानना है कि एनसीपी ने यह साफ कर दिया है कि वह दबाव की राजनीति में अपने पुराने और प्रभावशाली नेताओं को किनारे नहीं करेगी, चाहे इसके लिए उसे आलोचना ही क्यों न झेलनी पड़े. पहली सूची का समग्र संदेश यह भी है कि एनसीपी बीएमसी चुनाव को लेकर अपनी अलग राजनीतिक लाइन खींचना चाहती है. 

यह रणनीति खास तौर पर तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब पार्टी पहले ही यह संकेत दे चुकी है कि वह बीएमसी चुनाव में अकेले दम पर उतरने को तैयार है. ऐसे में यह सूची संगठन को एकजुट करने और अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास मानी जा रही है.

यदि मुस्लिम उम्मीदवारों को मुस्लिम-बहुल वार्डों में सफलता मिलती है, तो यह एनसीपी को मुंबई में एक मजबूत अल्पसंख्यक समर्थक दल के रूप में स्थापित कर सकता है. वहीं, नवाब मलिक परिवार के उम्मीदवारों की जीत पार्टी के भीतर उनके प्रभाव को और बढ़ाएगी, जिससे एनसीपी की मुंबई इकाई में शक्ति संतुलन भी स्पष्ट होगा.

एनसीपी की पहली 37 उम्मीदवारों की सूची केवल नामों की घोषणा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक घोषणा-पत्र जैसी है. मुस्लिम उम्मीदवारों को प्रमुखता देना और नवाब मलिक परिवार को तीन टिकट देना यह साफ करता है कि पार्टी:

  • सामाजिक समीकरणों को चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है,
  • दबाव के बावजूद अपने प्रभावशाली नेताओं के साथ खड़ी है,
  • और बीएमसी चुनाव के जरिए मुंबई की राजनीति में अपनी स्वतंत्र और आक्रामक मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है.

आने वाले दिनों में दूसरी और तीसरी सूची इस रणनीति को और स्पष्ट करेंगी, लेकिन पहली सूची ने इतना जरूर साफ कर दिया है कि एनसीपी इस बार सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने भी मैदान में उतरी है.

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