उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को 'भारत का चीनी का कटोरा' (Sugar Bowl of India) कहा जाता है. उत्तर प्रदेश न केवल भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है, बल्कि यहां चीनी उद्योग का एक पुराना इतिहास भी रहा है. उत्तर प्रदेश भारत के कुल गन्ना उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 45-50%) पैदा करता है. राज्य के पश्चिमी और मध्य जिलों, जैसे कि मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर और लखीमपुर खीरी में गन्ने की खेती अधिक की जाती है. मुजफ्फरनगर को खास तौर पर 'गुड़ की मंडी' के रूप में जाना जाता है.
भौगोलिक और जलवायु संबंधी कारण
उत्तर प्रदेश को 'चीनी का कटोरा' बनाने में यहा. की भौगोलिक स्थिति का बड़ा हाथ है.
उपजाऊ मिट्टी, गंगा और यमुना नदियों के बीच का 'दोआब' क्षेत्र बेहद उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil) से भरा है, जो गन्ने जैसी लंबी अवधि वाली फसल के लिए अच्छा होता है. राज्य में नहरों और नलकूपों (Tubewells) का जाल बिछा हुआ है, जिससे गन्ने की फसल को साल भर जरूरत भर पानी मिलता रहता है. गन्ने की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की जरूरत होती है, जो उत्तर प्रदेश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.
चीनी मिलों का नेटवर्क
उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों की संख्या भारत में सबसे अधिक है. राज्य में 100 से अधिक चालू चीनी मिलें हैं, जो लाखों किसानों की आजीविका का जरिया हैं. चीनी के साथ-साथ यहां गुड़ (Jaggery) और खांडसारी का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है.
ऐतिहासिक महत्व
भारत में चीनी उद्योग की शुरुआत मुख्य रूप से उत्तर भारत से ही हुई थी. हालांकि हाल के सालों में महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने भी चीनी उत्पादन में बड़ी प्रगति की है और कई बार महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश से आगे निकल जाता है, लेकिन 'क्षेत्रफल' (Area under cultivation)और 'परंपरागत पहचान' के कारण उत्तर प्रदेश को ही 'चीनी का कटोरा' कहा जाता है.
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