
पैरों में जूते-चप्पल पहनने से न केवल पैरों को प्रोटेक्शन मिलती है, धूल-मिट्टी, कंकड़ से हम बच पाते हैं. हर अटायर के साथ अलग तरह के जूते चप्पल होते हैं. फॉर्मल्स के साथ शूज पहने जाते हैं, तो महिलाएं, सैंडल, स्लीपर और कई तरह के फुटवियर पहनती हैं. लेकिन क्या आप एक ऐसी जगह के बारे में जानते हैं, जहां पर लोग जूते चप्पल तक नहीं पहनते हैं. इसके पीछे की वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे, तो चलिए जानते हैं भारत के इस गांव के बारे में.
इस गांव में जूता चप्पल नहीं पहना है कोई भी इंसान
आज हम आपको बताते हैं दक्षिण भारत के अंडमान गांव के बारे में, जो चेन्नई से 450 किलोमीटर दूर है. देखने में तो ये गांव अन्य गांव की तरह ही है. जहां पर 130 से ज्यादा परिवार रहते हैं, ज्यादातर लोग यहां पर किसानी या खेतों में मजदूरी किया करते हैं. लेकिन,
इस गांव की सबसे खास बात यह है कि यहां पर कोई भी व्यक्ति जूते चप्पल नहीं पहनता हैं. केवल गांव के बुजुर्ग या जो लोग बहुत ज्यादा बीमार हैं वही जूते चप्पलों का इस्तेमाल करते हैं, चाहे तपती गर्मी हो या फिर भीषण ठंड यहां के लोग जूते चप्पल पहनना पसंद नहीं करते हैं, इसके पीछे की वजह भी बेहद खास है.
क्यों जूते चप्पल नहीं पहनते अंडमान गांव के लोग?
अंडमान गांव के लोगों का मानना है कि गांव की रक्षा मुथ्यालम्मा नाम की एक देवी करती हैं, जिनके सम्मान के लिए लोग यहां पर जूते चप्पल नहीं पहनते हैं. हिंदू धर्म में किसी भी मंदिर में प्रवेश से पहले जूते चप्पल उतारे जाते हैं, ऐसे में इस गांव के लोगों का मानना है कि उनका पूरा गांव ही एक मंदिर की तरह है, इसलिए यहां पर लोग बिना जूते चप्पल के रहते हैं.
ये प्रथा सदियों से चली आ रही है और आज भी कई लोग इस प्रथा को मानते हैं. जब बाहर से भी कोई इंसान इस गांव में आता है, तो उसे भी इस प्रथा के बारे में बताया जाता है और अगर वो चाहें, तो अपने जूते चप्पल उतार सकता है.
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