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नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से अपनी अलग पहचान बनाकर रखने वाले शरद पवार ने हाल ही में एनसीपी अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर सबको हैरत में डाल दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने अपने फैसले को वापस ले लिया. पवार द्वारा अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा के बाद पक्ष-विपक्ष के साथ-साथ उनके आधार क्षेत्र के लोगों में गजब की निराशा देखने को मिली थी. बारामती में लोग लगातार उनसे आग्रह करने लगे थे कि वो अभी राजनीति से अपने आप को अलग न करें. एनडीटीवी ने इस जिले के लोगों से बात कर जानना चाहा कि इस जगह पर शरद पवार का क्यों चलता है जादू?
क्या है शरद पवार का विकास मॉडल?
80 साल की उम्र में भी शरद पवार की इतनी मजबूत पकड़ क्यों है इसे जानने के लिए उनके कार्यों को समझने का प्रयास एनडीटीवी ने किया. बारामती जैसे छोटे जिले में सिर्फ एक हाईटेक टेक्सटाइल पार्क में साढ़े तीन हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है, यानी साढ़े तीन हजार परिवारों को सहारा.और इनमें 80% महिलाएं हैं. देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यहां का विकास मॉडल देखने आईं थी. शरद पवार का टेक्सटाइल पार्क तो सिर्फ एक नमूना है.
पवार ने बारामती में खेती के क्षेत्र में जो काम किया है, वो सीखने-सिखाने लायक है. बात 1960 की है, जब बारामती सूखे का सामना कर रहा था. कम बारिश वाले इस इलाके के किसान सूखे के आंसू न रोएं, इसके लिए शरद पवार ने वहां एक कृषि संस्थान बनाया. आज आलम ये है कि न सिर्फ यहां के किसान कम पानी वाली खेती की तकनीक सीख चुके हैं बल्कि देश भर के किसानों को भी सिखा रहे हैं.
किसानों की बदली है जिंदगी
शरद पवार के बनाए कृषि विज्ञान ट्रस्ट के जरिए यहां के लोगों ने इजरायल और नीदरलैंड्स से जाकर खेती के आधुनिक तरीके सीखे हैं और बारामती के लोगों को सिखाया है. जिसका फायदा ये हुआ कि किसानों की लागत कम और आमदनी ज्यादा हो गई. जनवरी 2023 में आधुनिक खेती सीखने के लिए 13 देशों से लोग यहां आए थे और देश भर के 4 लाख किसान बारामती पहुंचे थे.
55 साल से बारामती में चलता है पवार परिवार का जादू
बारामती में पवार परिवार बीते 55 साल से चुनाव नहीं हारा है. खुद शरद पवार 6 बार जीते हैं. वो चार बार महाराष्ट्र के सीएम रहे, सुप्रिया सुले तीन बार सांसद बनीं और अजीत पवार 6 बार विधायक...लेकिन पवार की पर्सनैलिटी का सिर्फ एक पहलू है बारामती. पवार उन कुछ नेताओं में हैं जिनकी तारीफ विपक्ष के नेताओं से लेकर उनके साथ काम कर चुके ब्यूरोक्रेट तक करते हैं.
विपक्षी एकता को लेकर भी लोग थे चिंतित
2024 के चुनाव से पहले शरद के पद छोड़ने के ऐलान ने विपक्षी एकता के प्रयासों को भी झटका दिया था. लेकिन शरद पवार ने बताया कि दरअसल वो पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के अगले दिन से ही विपक्ष को एकजुट करने में जुटने वाले थे. पद पर बने रहने के बाद भी इसके लिए प्रयास जारी रखेंगे. ऐसा कहकर शरद पवार विपक्षी नेताओं के मन में उठ रही आशंका को भी दूर कर दिया.
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी से लेकर आरजेडी तक कई पार्टियां है जो विरासत के सवाल पर मुसीबत में फंसती नजर आती है. ऐसे में शरद पवार का ये कहना कि अभी तो पद पर हूं लेकिन जल्द ही एक प्लान लेकर आऊंगा कि आगे पार्टी कौन-कौन संभालेगा, अपने आप में एक नजीर है. 2019 में बीजेपी के खेमे में जा चुके अजीत पवार को वापस लाना हो या फिर एमवीए जैसे अचंभे को अंजाम देना हो, पवार ने हमेशा चौंकाया है.
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