सुप्रीम कोर्ट वकीलों के लिए और चेंबर ब्लॉक्स बनाने के लिए 1.33 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश शहरी विकास मंत्रालय को देने की गुहार वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह के बीच दिलचस्प दलीलें हुईं. CJI यू यू ललित ने कहा कि आपकी मांग हमेशा बढ़ती ही जा रही है. सभी मांगें पूरी करना मुश्किल है, हालांकि सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता की सुझाई 1.33 एकड़ सौंपने के मुद्दे पर दो हफ्ते में रुख स्पष्ट करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान सीजेआई ललित ने कहा कि क्योंकि किसी भी वकील को चेंबर हमेशा के लिए नहीं मिलते, न वो वंशानुगत मिलते हैं. ये जनता की संपत्ति यानी लोक संपदा हैं. आपको एक तरीका बनाना होगा कि वकीलों को हमेशा के लिए ये चेंबर ना मिलें. जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि लेकिन हम किसी दूसरे के नाम वाली सम्पत्ति में क्या कर सकते हैं? मेरे और सीजेआई जस्टिस ललित के नाम कोई चेंबर है? इस पर सीजेआई जस्टिस ललित ने कहा कि मेरे पास तो यहां कभी कोई चेंबर नहीं रहा. इस विकास सिंह ने कहा फिर तो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की संख्या वाली सीमा तय करनी होगी. हमें वकीलों को कहना होगा कि इस सीमा से ज्यादा वकील यहां प्रैक्टिस ना करें. इस पर सीजेआई ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे हैं. कॉमन एरिया का इस्तेमाल मुवक्किलों से मिलनेजुलने के लिए किया जा सकता है. इस पर फिर विकास सिंह ने कहा कि इस बाबत पुस्तकालय बनाने की बात थी, लेकिन इस पर भी कुछ नहीं हो पाया. विकास सिंह ने कहा कि प्रगति मैदान के पास पेट्रोल पंप के सामने 1.33 एकड़ भूखंड है, पास ही फॉरेन करेस्पोंडेंट्स क्लब है. उसे खाली करने के आदेश दिए जा चुके हैं. किसी और के हाथ में जाने से पहले ही वो चेंबर बनाने के लिए देने का निर्देश सरकार को दिया जाए, हालांकि कोर्ट ने सारी प्रार्थनाओं पर विचार करने से इनकार करते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि आपको 1.33 एकड़ जमीन मिल जाए तो आप जितने मन आए, उतने चेंबर बना लीजिएगा.
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