- उत्तराखंड में इलेक्शन कमीशन ने वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी शुरू कर दी हैं
- राज्य में विधानसभा चुनाव 2027 में जनवरी-फरवरी में हो सकते हैं, उससे पहले SIR का काम पूरा किया जाएगा
- राज्य में 11,733 बूथ हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी केवल 4,155 बूथ लेवल एजेंट ही नियुक्त किए हैं
उत्तराखंड में भी जल्द वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी (Special Intensive Revision - SIR) शुरू होने जा रहा है. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के निर्देश पर उत्तराखंड राज्य में प्री-एसआईआर गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं. इस दौरान आगामी स्पेशल रिवीजन को लेकर प्रारम्भिक तैयारियां की जाएंगी. एसआईआर के दौरान मतदाताओं को कोई असुविधा ना हो, इसके लिए "प्रत्येक मतदाता तक पहुंच, समन्वय और संवाद' अभियान पर कार्य किया जा रहा है.
विधानसभा चुनाव में एक साल से अधिक का समय
उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से ज्यादा का समय है. उत्तराखंड में 2027 की जनवरी या फिर फरवरी के महीने में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. उत्तराखंड में इलेक्शन कमिशन इसी के मद्देनजर वोटर लिस्ट के गहन रिवीजन में जुट गया है. इसके लिए भी साल 2003 की मतदाता सूची को आधार रखा गया है. निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे उत्तराखंड में अपने-अपने बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त करें ताकि मतदाता सूची पुनरीक्षण किया जा सके.
11,733 बूथ, पर अभी 4155 BLA ही नियुक्त
उत्तराखंड में 6 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दल - बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बीएसपी, सीपीआई (मार्क्सवादी) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NNP) का प्रतिनिधित्व है. उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि राज्य में 11,733 बूथ हैं लेकिन अभी तक 4,155 बीएलए ही राजनीतिक दलों ने नियुक्त किए हैं. भाजपा लगभग 2830 से ज्यादा बीएलए अपॉइंट कर चुकी है, वहीं कांग्रेस ने लगभग 1250 बूथ लेवल एजेंट नियुक्त कर दिए हैं. सीपीएम भी 60 के करीब बूथ एजेंट तैनात कर चुकी है. आम आदमी पार्टी, बीएसपी और एनएनपी ने अभी तक कोई बीएलए नियुक्त नहीं किया है.
40 साल से कम उम्र के वोटरों की सीधे मैपिंग
प्री-एसआईआर फेज में उत्तराखंड की मौजूद वोटर लिस्ट में शामिल 40 वर्ष तक की उम्र वाले ऐसे मतदाता जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज थे, उनकी सीधे बीएलओ ऐप से मैपिंग की जाएगी. 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के ऐसे मतदाता जिनके नाम 2003 की वोटर लिस्ट में किसी कारणवश नहीं थे, तो उनके माता-पिता या दादा-दादी के नाम के आधार पर मैपिंग की जाएगी.
उत्तराखंड में 2003 में हुआ था पिछला SIR
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इससे पहले अलग-अलग वर्षों में 11 बार विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसआईआर) पूरे देश में किया जा चुका है. उत्तराखंड में 2003 में एसआईआर किया गया था. 2025 में एसआईआर के पहले चरण में बिहार में वोटर लिस्ट सुधारने का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण में 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है. इसका उद्देश्य हर पात्र मतदाता को वोटर लिस्ट में शामिल करना है.
2003 की वोटर लिस्ट में ऐसे ढूंढें अपना नाम
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि राज्य के मतदाता बेवसाइट ceo.uk.gov.in या voters.eci.gov.in पर जाकर 2003 की मतदाता सूची में अपना नाम सर्च कर सकते हैं. मोबाइल पर ECINET ऐप के जरिए भी नाम ढूंढा जा सकता है. उन्होंने बताया कि जनपद और ईआरओ स्तर पर हेल्पडेस्क स्थापित की जा रही हैं ताकि मतदाताओं को एसआईआर में आसानी हो सके.
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